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कम होगा अंशदान, पीएफ कर्मियों के लिए जरूरी खबर ...

सीबीटी की बैठक में प्रस्ताव पर मुहर लग जाएगी मुहर

पीएफ कर्मियों के पीएफ फंड और पेंशन पर सरकार कैंची चलाने जा रही है। सरकार के श्रम मंत्रालय ने कर्मचारियों और नियोक्ताओं के अंशदान को 10-10 फीसदी करने का प्रस्ताव तैयार किया है। अभी तक 12-12 फीसदी अंशदान जमा होता था। अंशदान घटने से कर्मचारियों को सैलरी हाथ में कुछ अधिक आएगी, लेकिन उसकी पीएफ और पेंशन की राशि कम हो जाएगी।सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्ट (सीबीटी) की बैठक में इस प्रस्ताव को जल्द रखा जाने वाला है। कानपुर रीजन में 5 लाख से अधिक पीएफ खाताधारक हैं। ऐसे संस्थान जहां पर 20 या 20 से अधिक कर्मचारी हैं। वहां पर पीएफ के कानून प्रभावी होते हैं।

इसके तहत कर्मचारियों को मिलने वाली प्रतिमाह की सैलरी में से 12 फीसदी अंशदान कर्मचारी का पीएफ विभाग में जमा होता है। नियोक्ता की ओर से भी प्रति माह 12 फीसदी का अंशदान जमा किया जाता है। इसमें से 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी के पेंशन फंड के तौर पर और 3.67 फीसदी पीएफ फंड में जमा होता है।इस तरह कर्मचारी के पीएफ फंड में कुल 15.67 फीसदी का अंशदान जमा हो जाता है। पीएफ विभाग के सूत्रों ने बताया कि सरकार पीएफ का अंशदान कम करने जा रही है। इससे नियोक्ताओं को तो खासा लाभ होगा लेकिन पीएफ कर्मचारियों का अंशदान कम हो जाएगा।

सरकार का मानना है कि नियोक्ताओं का पीएफ अंशदान ज्यादा होने के कारण वो पीएफ दायरे में आने से बचने के नये-नये रास्ते तलाशते हैं। सरकार की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा नियोक्ता कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में पंजीकरण कराएं और कर्मचारियों को पीएफ जैसी सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराएं। बताया गया कि प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। सितंबर में होने वाली सीबीटी की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग जाएगी।

नियोक्ताओं को यह लाभ भी देनी की तैयारी

सूत्रों ने बताया कि सरकार नियोक्ताओं के प्रशासनिक शुल्क को और कम करने जा रही है। मौजूदा समय में यह दर .50 रुपये है। अब इसे .30 किया जाएगा। इस शुल्क के कम होने से नियोक्ताओं का दायित्व और कम हो जाएगा। पीएफ विभाग में नियोक्ताओं के ज्यादा से ज्यादा पंजीकरण बढ़ाने की प्रक्रिया के रूप में इसे देखा जा रहा है।

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