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नमाज़ जनाजा बड़ी ईदगाह बेनाझाबर में अदा होगी ...

जामे उल उलूम पटकापुर में 52 वर्ष तक सेवाएं दीं

कानपुर :- अर्द्ध शताब्दी तक दीनी व धार्मिक सेवाएं अंजाम देने वाले दारुल उलूम देवबंद के रुक्ने शूरा मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी साहब काजी ए शहर कानपुर का अपोलो अस्पताल में इंतेकाल हो गया। इस खबर से मुस्लिम समाज में ग़म की लहर दौड़ गई वहीं अन्य दूसरे क्षेत्रों में काम करने वाले लोग भी गमगीन हो गए। जनाजा प्रात: 10 बजे परेड स्थित उनके आवास से रवाना होगा और नमाज़ जनाजा बड़ी ईदगाह बेनाझाबर में अदा होगी।
 मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी साहब ने दारुल उलूम देवबंद के रुक्ने शूरा की हैसियत से खिदमत की वहीं कानपुर में लगभग 42 वर्ष तक काजी ए शहर के रूप में मुसलमानों की रहनुमाई करते रहे, और मुश्किल हालात का डटकर मुकाबला किया। मुफ्ती साहब की मुखरता की सभी लोग क़द्र करते थे। मुफ्ती साहब ने जामे उल उलूम पटकापुर में 52 वर्ष तक सेवाएं दीं। जहां पर उन्होंने प्राचार्य और शेखुलहदीस के फ़र्ज़ को बखूबी निभाने के साथ साथ इफ्ता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में भी बहुत काम किया। पीली मस्जिद तोपखाना बाजार में लगभग 50 वर्षों तक इमामत की जिम्मेदारी संभाली। मौलाना मजाहिरी साहब के शागिर्द देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में धार्मिक सेवाएं अंजाम दे रहे हैं। इनमें बहुत-सी शख्सियतें भी शामिल हैं। यह जानकारी मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी साहब के नाएब मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा क़ासमी काजी ए शहर ने दी। उन्होंने बताया कि काफी दिनों से मुफ्ती साहब का इलाज चल रहा था। अंतिम समय में भी वह अपोलो अस्पताल में भर्ती थे। मजाहिरी साहब के परिजनों में 4 बेटे हाफिज मबरूर अहमद, हाफ़िज़ मसरूर अहमद, हाफिज मामूर अहमद और मौलाना मंसूर अहमद और 4 बेटियां , पत्नी और पोते-पोतियां, नवासे-नवासियां  हैं। मौलाना उसामा कासमी ने सभी लोगों से ईसाले सवाब की दुआ की है।

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