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एआईएमपीएलबी दायर करेगा अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका ...

 मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गिनाए प्रमुख बिंदु

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दायर करेगा। रविवार को बोर्ड कार्यकारिणी की बैठक में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन भी नहीं लेने का फैसला हुआ। बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी और व मौलाना उमरैन महफूज रहमानी ने बैठक के बाद दावा किया कि दोनों फैसले आम राय से हुए और 30 दिन में याचिका दाखिल कर दी जाएगी।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ की जमीन भी स्वीकार नहीं करेगा। लखनऊ के मुमताज पीजी कॉलेज में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसन नदवी की अध्यक्षता में बोर्ड की कार्यकारिणी सदस्यों की बैठक में ये फैसला लिया गया।बैठक के बाद बोर्ड के सदस्यों ने मामले की जानकारी प्रेस कांफ्रेस कर दी। बोर्ड के सचिव एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि हमें वही जमीन चाहिए जिसके लिए हमने लड़ाई लड़ी। मस्जिद के लिए किसी दूसरी जगह जमीन लेना शरिया के खिलाफ है।  बोर्ड ने याचिका के लिए ये आधार गिनाए:-
आधार नंबर एक: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मस्जिद निर्माण कराया था।
आधार नंबर दो:  मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 1857 से 1949 तक मस्जिद और अंदरूनी हिस्सों पर मुस्लिमों का कब्जा था।
आधार नंबर तीन: बोर्ड के अनुसार, कोर्ट ने यह भी माना कि बाबरी मस्जिद में आखिरी नमाज 16 दिसंबर, 1949 को पढ़ी गई थी।
आधार नंबर चार: बोर्ड ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि 22-23 दिसंबर, 1949 की रात मूर्तियां रखी गईं। उनकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई लिहाजा देवता नहीं माना जा सकता।
आधार नंबर पांच: गुंबद के नीचे रामजन्मभूमि पर पूजा की बात नहीं कही गई, फिर जमीन रामलला विराजमान के पक्ष में क्यों दी गई।
आधार नंबर छह:  कोर्ट ने रामजन्मभूमि को पक्षकार नहीं माना, फिर उसके आधार पर फैसला क्यों दिया?
आधार नंबर सात: कोर्ट ने कहा, मस्जिद ढहाना गलत था। इसके बावजूद मंदिर के लिए फैसला क्यों दिया?
आधार नंबर आठ:  कोर्ट ने कहा, हिंदू सैकड़ों साल से पूजा करते रहे हैं, इसलिए जमीन रामलला को दी जाती है, जबकि मुस्लिम भी इबादत करते रहे हैं।
आधार नंबर नौ:  वक्फ एक्ट की अनदेखी की गई, जिसके मुताबिक मस्जिद की जमीन बदली नहीं जा सकती।
आधार नंबर दस: कोर्ट ने यह माना कि किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण नहीं हुआ था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गिनाए ये प्रमुख दस आधार

इकबाल अंसारी का पुनर्विचार याचिका से साफ इंकार

लखनऊ में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक पर बाबरी मामले के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि हमने फैसला स्वीकार कर लिया है। अब आगे नहीं जाना चाहते। उन्होंने कहा कि हम भारत के मुसलमान हैं और संविधान मानते है। अयोध्या मुद्दा बेहद अहम था अब इसे आगे नहीं बढ़ाएंगे। हम चाहते हैं कि मामले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए।

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