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पुलिस कमिश्नर प्रणाली को कैबिनेट बैठक में मिल सकती है मंजूरी ...

क्या है कमिश्नर प्रणाली

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज प्रदेश कैबिनेट की अहम बैठक होगी। इसमें लखनऊ और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू करने सहित कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी जा सकती है। शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री का 13 जनवरी को गोरखपुर जाने का कार्यक्रम है। वह 15 जनवरी तक गोरखपुर रहेंगे। ऐसे में कैबिनेट की नियमित बैठक इस बार मंगलवार की जगह सोमवार को ही हो जाएगी। मुख्यमंत्री कैबिनेट की बैठक के बाद गोरखपुर जाएंगे। इस बैठक में पुलिस आयुक्त प्रणाली, कृषक दुर्घटना कल्याण योजना सहित कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी जा सकती है। बैठक लोकभवन में सुबह साढ़े नौ बजे से होगी।

 दो ज्वाइंट कमिश्नर की भी होगी तैनाती

अपराधों पर नियंत्रण व बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए प्रदेश के बड़े जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली का पूरा खाका तैयार हो चुका है। बहुत जल्द इसे अमली जामा पहनाया जाएगा। डीजीपी ओम प्रकाश सिंह की ओर से शासन को जो प्रस्ताव सौंपा गया है, उसमें पुलिस कमिश्नर के नीचे दो ज्वाइंट कमिश्नर भी तैनात होंगे। इनमें से एक ज्वाइंट कमिश्नर पुलिस मुख्यालय का, जबकि दूसरा कानून-व्यवस्था का होगा। इन पदों पर आईजी और डीआईजी में से कोई भी तैनात हो सकता है। वहीं, कमिश्नर पुलिस के एडीजी स्तर का होगा।

सूत्रों के अनुसार लखनऊ में कमिश्नर के अतिरिक्त ज्वाइंट कमिश्नर के रूप में दो आईजी स्तर के अफसरों की तैनाती की जा सकती है। वहीं, गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में ज्वाइंट कमिश्नर डीआईजी स्तर का होगा। सूत्रों का कहना है कि पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने के लिए जल्द ही प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। इसके फौरन बाद अफसरों की तैनाती की जाएगी।

सार एवं विस्तार

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित राज्य के बड़े शहरों में कई बार पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की बात होती रही है। हालांकि अब तक यह लागू नहीं हो सकी। बीते कुछ महीनों में राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर लगातार उठे सवालों के बाद एक बार फिर पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था की बात उठी है।

अब यह तय हो गया है कि लखनऊ और नोएडा में सबसे पहले पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होगी। मुख्यमंत्री आवास में हुई बैठक में इस पर मुहर भी लग गई है। सूत्रों के अनुसार राज्य के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के साथ एक घंटे से अधिक चली बैठक में मुंबई व गुरुग्राम में लागू पुलिस कमिश्नर प्रणाली के मॉडल पर चर्चा की गई, जिसके बाद यह योजना आगे बढ़ी है।

अब यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर नोएडा और लखनऊ में किस तरह की कमिश्नर प्रणाली होगी? कमिश्नर प्रणाली क्या होती है? इससे कानून व्यवस्था में किस तरह के बदलाव आएंगे और किस स्तर के अधिकारी को इन दोनों जिलों में कमिश्नर बनाया जाएगा...?

क्या है कमिश्नर प्रणाली

आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी जो आजादी के बाद हमारी पुलिस ने अपनाया। इस वक्त यह व्यवस्था 100 से अधिक महानगरों में सफलतापूर्वक लागू है।

भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अलावा, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देता है। अगर हम इसे सामान्य भाषा में समझें तो तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं।

क्या हैं इस प्रणाली के फायदे

कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम आदि अधिकारियों के फैसले का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस फैसले लेने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जाएगी। जिले के कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा।

जिले के डीएम के पास अटकी रहने वाली फाइलों का निपटारा भी जल्द हो सकेगा। इस प्रणाली में एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्टेरियल पावर पुलिस के अधीन हो जाएंगी। इस तरह से पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका खुद लगाने में सक्षम हो जाएगी। कमिश्नर प्रणाली लागू होने से डीएम से इन बातों के लिए अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। इस प्रणाली के तहत पुलिस को सीआरपीसी में 107-16, धारा 144, 109, 110, 145 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी मिल जाएगी।

होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी इसमें शामिल होगा। धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय करती है। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा।

कमिश्नर प्रणाली में क्या होगी अधिकारियों की रैंकिंग

आम तौर पर पुलिस कमिश्नर विभाग को राज्य सरकार के आधार पर डीआईजी और उससे ऊपर यानी आईजी रैंक व अन्य के अधिकारियों को दिया जाता है। इनके अधीन पद के अनुसार कनिष्ठ अधिकारी होते हैं। चर्चा है कि नोएडा और लखनऊ में आईजी रैंक के अधिकारी को कमिश्नर नियुक्त किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले इन दोनों जिलों में एसएसपी की तैनाती होती थी। कमिश्नर प्रणाली के कुल पदानुक्रम निम्नानुसार दिए गये हैं:

पुलिस आयुक्त या कमिश्नर - सीपी

संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर –जेसीपी

डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी

सहायक आयुक्त- एसीपी

पुलिस इंस्पेक्टर – पीआई

सब-इंस्पेक्टर – एसआई

पुलिस दल

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