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कानपुर सेंट्रल स्टेशन बना आराजकता का केंद्र ...

आखरी कब तक हम भ्रष्टाचार के इस राक्षस के आहार चुपचाप बनते रहेंगे,क्या कभी हम एकजुट होकर इसका संघार कर भी पाएंगे यह फिर चुप्पी ही सादे प्रतिदिन एक कुंठित असहाय भोगी के समान ईश्वर पर सब छोड़ते रहेंगे,हम सब भलीभांति इस सत्य से परिचित है कि सरकारी विभाग के कर्मचारी अगर ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यो का निर्वाहन करे तो देश को कभी भी आर्थिक संकट से नही जूझना पड़े लेकिन रिश्वत खोरी की जड़े इतनी गहरी है अगर कोई काटने की कोशिश करता है तो उसे फर्जी मुकदमे में फसा दिया जाता है या फिर डरा धमकाकर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया जाता है।

बताना चाहेंगे सेंट्रल रेलवे (T C) टिकट चेकरो के आतंक का पर्याय बना हुआ है आने जाने वाले यात्रियों को जबरन रोककर टिकट चेकिंग के नाम पर घण्टो परेशान किया जा रहा है ट्रेन के आते ही बीसियों टिकट चेकर डिब्बे में घुसकर यात्रियों से नोकझोक करते देखे जा सकते है दबंग टी सी महिलाओ को भी नही बख्शते है उनसे भी अभद्रता पर उतारू हो जाते है,टिकट में हेर फेर देखते ही पैसो की मांग करते है अगर कोई बिना टिकट यात्री पकड़ा जाता है तो उससे वसूली करने में जरा भी परहेज नही करते है रोज़ाना सैकड़ो यात्री बिना टिकट पकड़े जाते है कार्यवाही के नाम पर ना तो उन पर जुर्माना होता है ना ही उनकी रसीद काटी जाती है एक मोटी रकम लेकर उन्हें छोड़ दिया जाता है अगर कोई यात्री रकम देंने में असमर्थता जताता है तो उसे जेल भेजने की धमकी दी जाती है जिससे डरकर यात्री अपने जेबे ढीली करने में ही अपनी भलाई समझते है वसूली हुई रकम को सभी टिकट चेकर मिलकर बन्दर बाट कर लेते है चर्चाओं द्वारा यह भी पता चला है कि सारा गोरखधंधा उच्चाधिकारियों की कृपा दृष्टि का ही नतीजा है रोज़ाना लाखो रुपए राजस्व के इसी तरह से बन्दर बाट किए  जाएंगे तो रेलवे विभाग के होने वाले घाटे की भरपाई होना शायद ही कभी सम्भव हो।

आज सेट्रल रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों को टिकट चेकरो द्वारा यात्रियों से वसूली की कवरेज करना भारी पड़ गया आनन्द विहार ट्रेन के प्लेटफार्म पर रुकते ही टिकट चेकरो की टीम यात्रियों से बिना टिकट पाए जाने पर नोक झोंक कर रही थी ये देख कवरेज कर रहै पत्रकार महोदय ने उनकी फोटो खींच ली ये देखकर चेकर महोदय पत्रकार पर कार्य मे बाधा डालने का आरोप लगाते हुए आगे बढ़ गए इसके बाद कवरेज कर रहे पत्रकार ने देखा की एक टी सी यात्री को पकड़कर डरा धमकाकर पैसे ऐंठ रहा है यह देखकर पत्रकार महोदय ने उसको अपने कमरे में कैद कर लिया इतना करते देख उस टी सी ने पचासों टिकट चेकरो को इकट्ठा कर पत्रकार को घेर लिया और उसका मोबाइल छीन लिया और लगा गरियाने पत्रकार को तुम होते कौन हो हमारी फोटो निकालने वाले तुम्हारे जैसे कितने रोज आते जाते है हम लोग यहां कुछ भी कर रहे है वो सब अपने मातहतों के कहने पर कर रहे है पत्रकार ने कहा कि क्या आपके अधिकारी आप लोगो से वसूली करवाते है इतना सुनते ही सारे टी सी उग्र होकर पत्रकार से अभद्रता करने लगे साथ ही फर्जी मुकदमे में फसाने की धमकी भी दी जाने लगी टिकट चेकरो ने छीने हुए मोबाइल से सारी फोटुएं डिलीट कर दी जो उनके द्वारा की गई वसूली का सबूत था टिकट चेकरो की घेरा बन्दी में फंसे पत्रकारों ने वहां से निकलने में ही भलाई  समझी टिकट चेकरो की गुंडई देखकर तो लगता है उन्हें खुलकर अवैध वसूली करने की छूट दी गई है टिकट चेकरो के हिसाब से स्टेशन पर मसाला सिगरेट और भी कई सामानों की बिक्री कर रहे अवैध वेंडर जीआरपी का नतीजा है सारे अवैध काम जीआरपी करवाती है तभी वो भी उन पर हाथ डालने से कतराते है ये तो वही बात हुई चोर चोर मौसेरे भाई तुम हमरी छुपाओ हम तुमरी छुपाई।

बहरहाल मामला कुछ भी हो समाज को दिशा देने वाले पत्रकारों का पतन क्या इसी तरह किया जाता रहेगा फर्जी मामलो में फसाने की धमकी दी जाती रहेगी तो वो दिन दूर नहीं जब लोग पत्रकारिता के पेशे में आने के नाम से भी गुरेज करेंगे।पर किसी न किसी को तो पहल करनी ही पड़ेगी सिर्फ आत्म मंथन की आवश्यकता है,हो सकता है कि हम में से किसी कि एक छोटी सी पहल भ्रष्टाचार के विरूद्ध क्रान्ति का एक नया इतिहास लिख दे क्योंकि ईश्वर भी उनका ही साथ देता है जिनमे पर्वत का सीना चीर अपना मार्ग बनाने का हौसला होता है ।

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