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सड़को पर कूड़ा डाल पीपल्स कम्पनी के कर्मचारी हो जाते छूमंतर ...

कानपुर 
प्रकृति के दूषित होते वातावरण के शुद्धिकरण हेतु  प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान छेड़ा हुआ है जिसका पालन करवाने के लिए सभी राज्य के प्रयेक जिले के अधिकारियों को सख्ती से आदेशित किया गया है परन्तु स्वच्छता अभियान सड़को से ज्यादा कागजो पर होता दिखाई दे रहा है

बताना चाहेंगे कैंट बोर्ड अंतर्गत आने वाले वार्डो की सफाई मात्र कागजो पर सिमट कर रहे गई है वार्ड नं0 6 अंतर्गत एक मिनारी मस्जिद के सामने स्टेशन को जाने वाली रोड पर पिछले कई दिनो से सड़क के बीच में सीवर से निकला हुआ कचरा पड़ा हुआ है अधूरा कार्य कर छूमंतर हुए कोई भी सफाई कर्मचारी दिखाई नही दे रहे है जिससे आने जाने वाले लोगो को काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है वही कचरे की दुर्गंध की वजह से आस पास के लोगो को मुह पर कपड़ा रखकर निकलना पड़ रहा है लोगो का आरोप है छावनी बोर्ड से सफाई का ठेका लिए पीपल्स नामक कम्पनी के कर्मचारी अपनी मर्जी के मालिक है सफाई के नाम पर सिर्फ खाना पूरी करके चलते बनते है कई दिनों तक झाड़ू नही लगती है लोग कचरा लेकर घर के बाहर गाड़ी का इंतजार करते है लेकिन कोई कचरा उठाने नही आता है दो चार दिन में कोई आ जाए तो समझो बहोत बड़ी बात हो गई सड़को पर भी कई दिनों तक कचरे का ढेर सड़ता रहता है सफाई कर्मियों का जब दिल करेगा तभी कूड़ा उठेगा किसी को ज्यादा जल्दी काम करवाना है तो अलग से शुल्क देना पड़ता है इस बारे में कई बार लोगो ने सभासद से शिकायत की तो उनका कहना है कि पीपल्स कम्पनी के मालिक व कर्मचारी सिर्फ़ उपाध्यक्ष लखन लाल ओमर की सुनते है किसी अन्य बोर्ड मेम्बर को पहचानना भी चाहते है यहां बताना चाहेंगे अभी हाल ही में उपाध्यक्ष लखन लाल ओमर को बोर्ड ने स्वच्छता अभियान के तहत पुरुस्कृत भी किया परन्तु सत्यता इसके विपरीत दिखाई देती है जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हुए है गलियों के अंदर कचरे की वजह से गन्दगी फैली हुई है नियमानुसार प्रतिदिन होने वाली सफाई सिर्फ कागजो पर दिखाई देती है

छावनी बोर्ड के अंतर्गत आने वाले सभी आठो वार्डो का ठेका पीपल्स नामक कम्पनी को मिला हुआ है जिसके अधीन लगभग 210 कर्मचारी है जिनके द्वारा आठो वार्डो की रोज़ाना सफाई करवाई जाती है इसमे कुछ ड्राइवर है कुछ कर्मचारी लिखा पढ़ी में भी लगे रहते है जो बचते है वही लोग सफाई की बागडोर संभालते है स्टाफ कम होने की वजह से सफाई कर्मी सभी वार्डो की सफाई नही कर पाते है जिसे दूसरे दिन के लिए टाल दिया दिया जाता है जिसकी वजह से कचरा  डम्प होने लगता है इस बारे में कई बार मुंशी अनिल को आगाह किया लेकिन वो किसी की सुनना ही नही चाहता है अब बताओ हम क्या करे ये सब जानकारी सफाई कर्मियों ने अपना नाम ना आने की शर्त पर हमें दी वही दूसरी तरफ पीपल्स नामक कम्पनी सफाई के एवज में प्रत्येक माह छावनी बोर्ड से लगभग 68 लाख रु0 लेती है परंतु सेवा के नाम पर शून्य साबित होती दिखाई दे रही है छावनी बोर्ड में स्वच्छ्ता अभियान के नाम पर करोड़ो खर्च किये जाते है लेकिन ये सब कागजो पर दिखाई देते नजर आते है शायद यही वजह है जो मोदी जी द्वारा स्वदेश के वातावरण को देश में लाने की कोशिश को पलीता लग रहा है

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