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देश विदेश के करोड़ो भक्तों को सरकार का तोहफ़ा ...

 दूरदर्शन पर होगा सकता है प्रसारण

कोरोना से बचाव की तैयारी में रामभक्तों को मिलेगा रामनवमी पर बड़ा तोहफा। श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट व प्रशासन के प्रस्ताव पर जल्द गृह मंत्रालय देगा हरी झंडी। 

कोरोना वायरस से बचाव की तैयारी में देश-विदेश के करोड़ों रामभक्तों को रामनवमी (दो अप्रैल) पर बड़ा तोहफा मिल सकता है। आप घर बैठे श्रीरामजन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला के भव्य जन्मोत्सव और आरती के साक्षी बन सकते हैं। सुरक्षा कारणों से यह अवसर राममंदिर बनने से पहले मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन, अब ट्रस्टी, शासन-प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियां कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए लाखों भक्तों को अयोध्या में जमावड़ा रोकने के लिए दूरदर्शन से लाइव प्रसारण ही विकल्प मान रही हैं। गृह मंत्रालय से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। 

रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसी दास जी कहते हैं कि नौमी तिथि मधु मास पुनीता... मध्य दिवस अति सीत न घामा..। बाद में वे, भये प्रकट कृपाला दीन दयाला... से प्रभु के जन्म की आरती गाते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि प्रभु राम का जन्म वहीं हुआ था, जिसपर 1528 में बाबर के सेनापति मीरबाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी। फैसले के बाद पड़ रही पहली चैत्र रामनवमी (दो अप्रैल) में रामलला के जन्मोत्सव के समय भक्तों को शामिल होने का शुभ अवसर था। 

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसकी तैयारी भी कर रखी थी, 492 साल बाद रामलला के जन्मोत्सव में बगैर किसी बाधा के भक्तों को शामिल करना था। भोर से देर शाम तक दर्शन अवधि बढ़ाने का खाका भी बन चुका था। लाखों भक्तों में अयोध्या आने का उत्साह भी दिख रहा था। विश्व हिंदू परिषद ने भी अयोध्या के सभी मंदिरों समेत देश के पौने तीन लाख गांवों में रामोत्सव की तैयारी की थी। मगर, अब कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए रामनवमी पर भक्तों की  अयोध्या में संख्या कैसे कम की जाए, इसे लेकर सरकार व प्रशासन चिंतित है।

जिलाधिकारी अनुज कुमार झा कहते हैं कि श्रीरामजन्मभूमि को लेकर आए फैसले के बाद रोजाना भक्तों की संख्या बढ़ रही है। कोरोना वायरस से बचाव की गॉइडलाइन सख्त है। फिर भी रामनवमी पर भी भीड़ काफी हो सकती है। ऐसे में लोगों को घर बैठे विराजमान रामलला का जन्मोत्सव लाइव दिखाया जा सकता है। मुख्यमंत्री का 25 मार्च को कार्यक्रम व नवरात्र का पहला दिन शायद लाइव न हो सके, लेकिन कनक भवन की तरह रामलला का जन्मोत्सव दूरदर्शन के जरिए दिखाया जा सकता है। ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र ने कहा कि लाइव जन्मोत्सव दिखाने की ट्रस्ट की मंशा है, गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों की स्वीकृति का इंतजार है।

कनक भवन की तरह लाइव हों रामलला

अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्त ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रामलला का जन्मोत्सव भी दूरदर्शन पर लाइव दिखाया जाना चाहिए। बताया कि वे विधायक बनने के बाद पहली नवरात्र में कनक भवन में जन्मोत्सव के लाइव प्रसारण के लिए प्रमुख सचिव सूचना रहे अवनीश अवस्थी से आदेश जारी कराए थे, अब वही अधिकारी गृह विभाग के सर्वेसर्वा हैं, ऐसे में रामलला का लाइव प्रसारण भक्तों को जरूर सुलभ होगा। वे यह प्रस्ताव अपनी ओर से भी भेजेंगे।

1528 से पहले वाला नहीं है रामलला का विग्रह

श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला का विग्रह 1528 में मीरबाकी के हमले से पहले वाला नहीं है। रामजन्मभूमि मामले में पक्षकार रहे निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास कहते हैं कि 23 दिसंबर 1949 को जब रामलला का प्राकट्य उनके गुरु बाबा अभिरामदास ने वहां रामलला की मूर्ति प्रतिष्ठापित किए थे। फिर जब 6 दिसंबर 1992 को रामभक्तों ने ढांचा ढहाना शुरू किया तो वे एक बक्से में रामलला समेत चारों भाइयों व हनुमान जी का विग्रह रखकर हनुमानगढ़ी ले आए थे। बाद में जन्मभूमि को उंचा करके स्थापित किया गया था। 

अब यही रामलला का विग्रह विराजमान हैं। वे कहते हैं कि अयोध्या के कालेराम मंदिर व ओरछा की रानी को सरयू में पुराना विग्रह मिलने की बातें कही जाती हैं, लेकिन कोई पौराणिक तथ्य नहीं है। अयोध्या पर शोध करने वाले पूर्व आईपीएस कुणाल किशोर कहते हैं कि मध्यप्रदेश के ओरछा में राजा राम के रूप विराजमान मूर्ति भी रामलला से जोड़कर बताई जाती है। इसे मधुकरशाह की रामभक्त महारानी गणेश कुंवरि संवत 1631 में अयोध्या से लेकर आईं थीं। लेकिन इसकी कोई तथ्यात्मक व ग्रंथिय उल्लेख नहीं मिलता। सब भक्तमाल की कहानियां हैं।

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