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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला ...

इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला

प्रयागराज-: इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर लड़का और लड़की दोनों बालिग हैं तो पॉक्सो एक्ट  के तहत दर्ज मुकदमे का कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हाईकोर्ट ने घर से भागकर शादी करने वाले बालिग जोड़े को पुलिस को उत्पीड़न से सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि 2018 में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो एक्ट) के तहत चल रहे मुकदमे को कानून के तहत निर्णीत किया जाये।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि यदि लड़का लड़की दोनों बालिग है तो अपनी मर्जी से रह सकते हैं। बालिग जोड़े को माता और पिता सहित किसी को भी उनके शादीशुदा शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

यह आदेश जस्टिस डॉक्टर केजे ठाकर ने कानपुर नगर की प्रिया वर्मा और अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस समय दोनों बालिग हैं। एफआईआर दर्ज करते समय नाबालिग थे, लेकिन इससे इनके शादीशुदा जिंदगी में फर्क नहीं पड़ेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई याचियों को परेशान करे,तो वे पुलिस से संरक्षण मांगे और पुलिस उनको संरक्षण दे। इसके अलावा हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि परिवार के लोगों को लगता है कि फर्जी दस्तावेज से आदेश लिया गया है तो वे इस आदेश की वापसी की अर्जी दे सकते हैं।

क्‍या है पॉक्‍सो एक्‍ट

पॉक्‍सो एक्ट का मतलब - पॉक्सो शब्द अंग्रेजी से आता है। इसका मतलब है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई होती है। ये एक्ट बच्चों को सेक्सुअल उत्पीड़न, सेक्सुअल हमला और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी तय किया गया है। इस अधिनियम की धारा 4 में वो मामले आते हैं, जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसमें सात साल सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है। गंभीर सेक्सुअल हमले या कुकर्म धारा पांच के तहत आते हैं, इसमें आजीवन सजा भी दी जा सकती है।

वहीं, पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वो मामले आते हैं, जिसमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गंभीर चोट पहुंचाई गई हो। इसकी सजा दस साल से लेकर उम्रकैद तक है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले आते हैं, जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है। इसके धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। इस ऐक्ट की धारा 4, धारा 5, धारा 6, धारा 9, धारा 14, धारा 15 और धारा 42 में संशोधन किया गया है। धारा 4, धारा 5 और धारा 6 में संशोधन के बाद अब अपराधी को इस ऐक्ट के तहत मौत की सजा दी जा सकती है।

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