


पुलिस ने बिना पड़ताल के ही कैसे आरोपी बना दिया ...
मेरा पूरा परिवार और बिजनेस बर्बाद हो गया। हत्या के झूठे केस में पिता सहित हम चारों भाइयों को फंसा दिया गया।गांव के ही उमेश शर्मा और उसके बेटे और दामाद द्वारा जान से मारने की धमकी भी दी जा रही थी। इसी वजह से तंग आकर मैं आत्महत्या कर रहा हूं।' ये मजमून है उस खत का जो गया के 35 साल के अरविंद सिंह ने सुसाइड करने से पहले लिखी थी। उसने दिल्ली में एक ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी।आज जब उसका शव जब दिल्ली से निमसर गांव में लाया गया तो चारों ओर मातम पसरा था और हर जुबान पर एक ही सवाल था कि पुलिस ने बिना पड़ताल के ही कैसे आरोपी बना दिया। मामला कुछ यूं है बीते 20 जून को गया के अलीपुर थाना के निमसर गांव के उमेश शर्मा के बेटे गुड्डू शर्मा की हत्या कर दी गई थी। गांव से सटे मदारपुर बस्ती में हुई इस हत्या के लिए निमसर के बलिराम सिंह और उनके चार बेटों को जिम्मेदार बताकर स्थानीय थाने में केस दर्ज करवा दिया गया। पुलिस की दबिश बढ़ी तो सभी आरोपी फरार हो गए। इन लोगों ने खुद को निर्दोष बताते हुए डीएसपी, एसएसपी और डीआईजी को आवेदन देकर सही जांच की मांग की। मृतक के पिता का आरोप है कि बार-बार गुहार के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पांच महीने बाद भी किसी वरिष्ठ अधिकारी ने जांच नहीं की। दूसरी ओर थाना स्तर से आरोपी बनाए गए बलिराम सिंह एवं उनके बेटों की गिरफ्तारी के लिए दबिश बढ़ती ही गई। पुलिस के डर से सभी लोग फरार ही रहे बलिराम सिंह के एक बेटे अरविंद सिंह दिल्ली में छिप गए, लेकिन बार-बार पुलिस कार्रवाई और उमेश शर्मा द्वारा धमकी दिए जाने से तंग आकर 20 नवंबर को दिल्ली में कैंट एरिया के पास एक हाल्ट के पास ट्रेन के नीचे आकर जान दे दी।
अरविंद सिंह की जेब से जो सुसाइड नोट मिला है उसमें उसने स्पष्ट रूप से झूठे मुकदमे में फंसाए जाने का जिक्र किया है। मृतक के परिजन ने बताया कि उमेश शर्मा के बेटे की हत्या अवैध संबंधों के कारण की गई है। इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है फिर भी उन्हें फंसा दिया गया। उनका कहना है कि केस को रफा-दफा करने के लिए उनके तीन बीघा जमीन की मांग की जा रही है और नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है। मृतक के पिता का कहना है कि सही जांच की जाए अन्यथा वे परिवार समेत आत्मदाह कर लेंगे।
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