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इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरियां निशाने पर ...

इन गाड़ियों पर सबसे ज्यादा वाहन चोरों की नजर

पिछले साल भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में आई सुस्ती के बीच एक अच्छी खबर यह आई थी कि केवल SUV (स्पोर्ट्स् यूटिलिटी व्हीकल्स) (एसयूवी) सेगमेंट में गाड़ियों में बिक्री में स्थिरता बनी रही। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि एसयूवी सेगमेंट की गाड़ियां इंश्योरेंस कंपनियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन रही हैं। इसका कारण यह कि पिछले काफी समय से एसयूवी गाड़ियों की चोरी में इजाफा हुआ है। ऐसे में इन महंगी गाड़ियों को खरीदने से पहले खरीदारों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। 

चोरों ने निशाने पर हैं ये गाड़ियां

चोरों की निगाह जिन SUV पर सबसे ज्यादा रहती है उस लिस्ट में Hyundai Creta (ह्यूंदै क्रेटा) सबसे ऊपर है। इसके बाद चोरों की पसंद में नंबर आता है Maruti Suzuki Vitara Brezza (मारुति सुजुकी विटारा ब्रेजा), Mahindra Scorpio (महिंद्रा स्कॉर्पियो), Toyota Fortuner (टोयोटा फॉर्च्यूनर) जैसी एसयूवी का। इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि इस वित्त वर्ष में ऐसी गाड़ियों की चोरी के मामले 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं और उन्हें इसके लिए ज्यादा क्लेम चुकाने पड़ रहे हैं। कंपनियों के अनुसार पिछले सालों की तुलना में साल 2019 में 10 हजार ज्यादा एसयूवी गाड़ियों की चोरी हुई। 

महज 10 मिनट में तोड़ा क्रेटा का लॉक

ताजा मामला दिल्ली से सटे गाजियाबाद का है। यहां की रहनेवालीं रुपाली गुप्ता ने पिछले साल अप्रैल 2019 में Hyundai Creta की टॉप मॉडल कार खरीदी। लेकिन इस नए साल 2020 की 29 जनवरी को चोरों ने उनकी गाड़ी को निशाना बनाया और महज 10 से 15 मिनट के भीतर लॉक तोड़कर कार चोरी कर ली। रुपाली ने अमर उजाला को बताया कि उन्होंने पुलिस में एफआईआर दर्ज करा दी है और बीमा कंपनी से क्लेम की अपील की है। उनकी शिकायत है कि ग्राहक बहुत मेहनत से कमाई गई रकम चुकाकर इतनी महंगी गाड़ी खरीदते हैं इसलिए कंपनियों को कार की सुरक्षा बढ़ाने वाली टेक्नोलॉजी पर काम करना चाहिए। वे कहती हैं कि चोर बहुत शातिर हो गए हैं, वे हर तकनीक को तोड़ ढूंढ लेते हैं। उन्होंने कंपनी से मांग की है कि अपनी इन महंगी लग्जरी गाड़ियों में विश्वस्तरीय एंटी थेफ्ट तकनीक दी जानी चाहिए। 

वाहन कंपनियों तक कैसे पहुंचाए अपनी बात

रूपाली आगे कहती हैं कि ह्यूंदै दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी और भारत में दूसरे नंबर की कार निर्माता कंपनी है। अपनी व्यथा बताते हुए वे कहती हैं कि अगर किसी ग्राहक को कंपनी से संपर्क कर अपनी शिकायत दर्ज करानी हो तो वे क्या करें? रुपाली कहती हैं कि उन्होंने कंपनी के हेल्पलाइन कॉल सेंटर से संपर्क किया तो उन्होंने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया और किसी तरह की मदद करने से नाकाम रहे। रुपाली का सुझाव है कि कंपनी को अपनी साइट पर कोई ई-मेल आईडी या फोन नंबर मुहैया कराना चाहिए जिससे ग्राहक सीधे कंपनी से संपर्क कर सके। 

चोरी की गाड़ियों का क्लेम 1,000 करोड़ रुपये

बीमा कंपनियों के मुताबिक भारत में बीमा की हुईं 100 गाड़ियों में से केवल 35-40 का ही क्लेम फाइल किया जाता है, वहीं आमतौर पर 2 फीसदी से कम बीमा वाली कारें ही चोरी होती हैं। हर साल तकरीबन 35 हजार करोड़ रुपये के क्लेम फाइल किए जाते हैं, जिनमें से 1000 करोड़ रुपये के क्लेम केवल चोरी हुए वाहनों के होते हैं। 

ये खास कारें निशाने पर

बीमा कंपनियों से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक कारों में आने वाली कीलेस एंट्री चोरों के निशाने पर है, ये उनका सॉफ्ट टारगेट हैं। कीलेस एंट्री वाली एसयूवी और कारों की 20 फीसदी ज्यादा रीसेल वेल्यू मिलती है। वहीं डीजल वाहनों की भी अच्छी रीसेल वेल्यू मिलती है। साथ ही, चोरों के निशाने पर ऑटोमैटिक वेरिएंट्स वाली गाड़ियां भी होती हैं। 

हैकिंग डिवाइस से करते हैं चोरी

2017 से पहले चोर केवल उन्हीं वाहनों को चुराना पसंद करते थे, जो साधारण चाभियों के साथ आती थीं और उनमें इमोबिलाइजर नहीं लगा होता था। लेकिन जैसे ही कीलेस एंट्री वाली कारें आना शुरू हुईं तो चोरों ने विंडो तोड़ कर हैकिंग डिवाइसेज की मदद से गाड़ी चुराना शुरू कर दिया। वहीं खास बात यह है कि चोरी के ज्यादातर मामले पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों के मुकाबले उत्तरी इलाकों में ज्यादा हैं। दिल्ली-एनसीआर चोरी के मामलों में अव्वल है और यहां चोरी हुई ज्यादातर गाड़ियां उत्तर प्रदेश, उत्तर पूर्वी राज्यों और जम्मू-कश्मीर में बेची जाती हैं।

एमजी हेक्टर और किआ सेल्टोस भी निशाने पर

क्रेटा और ब्रेजा को चोर सहसे ज्यादा निशाना बनाते हैं और बीमा कंपनियों के पास 2000 से ज्यादा क्लेम इन्हीं गाड़ियों के हैं। ऑटो सेक्टर की बेस्ट सेलिंग एसयूवी ह्यूंदै वेन्यू, ब्रेजा, क्रेटा और महिंद्रा बोलेरो है। वहीं हाल ही में लॉन्च हुई एमजी हेक्टर और किआ सेल्टोस भी चोरों के निशाने पर हैं। गौरतलब है कि एसयूवी सेगमेंट में छह फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 

कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट है पसंद

चोर केवल उन्हीं गाड़ियों को निशाना बनाते हैं जो काफी पॉपुलर हैं। खासतौर पर कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट उनका पसंदीदा है, क्योंकि इन्हें प्राइवेट और कमर्शियल दोनों तरह से प्रयोग किया जा सकता है। यहां तक कि इमोबिलाइजर लगी गाड़ियों का भी चोर कोड तोड़ लेते हैं। ह्यूंदै, मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे कार कंपनियां इंश्योरेंस कंपनियों, पुलिस, डीलर्स पाटर्नर्स के साथ लगातार संपर्क में रहती हैं, ताकि चोरी के तरीकों का तोड़ निकाला जा सके। 

ह्यूंदै वेन्यू है सुरक्षित

हाल ही में लॉन्च ह्यूंदै वेन्यू में इनबिल्ट ट्रैकिंग सिस्टम के साथ नोटिफिकेशन अलर्ट, इमोबिलाइजर और जियोफेंसिंग का फीचर दिया गया है। जैसे ही कोई कार को चुराने की कोशिश करता है, वैसे ही नोटिफिकेशन अलर्ट के जरिए कार का अलार्म बजना शुरू हो जाता है। 

डीलर भी लगा रहे हैं एंटी-थेफ्ट डिवाइसेज

इसके अलावा कई डीलर भी कारों में एंटी थेफ्ट डिवाइसेज लगा रहे हैं, जिन्हें खरीदने के दौरान लगाया जा सकता है और इनकी कीमत 5000 रुपये तक है। बीमा कंपनियों के मुताबिक अगर सभी डीलर एकजुट हो कर एंटी थेफ्ट डिवाइसेज लगाना शुरू कर दें और चोरी की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है। इसके लिए बीमा कंपनियां ऑटोमोबाइल ट्रेडर्स असोसिएशऩ, ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज और पुलिस के साथ मिल कर चोरी के मामलों में कमी लाने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। 

इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरियां निशाने पर

इसके लिए कार निर्माता कंपनियों ने डीलर्स के जरिए डुप्लीकेट चाभियों बनवाने की प्रक्रिया को मुश्किल कर दिया है। कुछ कारों में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेसर्स भी लगाए जा रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि चोर केवल पेट्रोल या डीजल इंजन वाली कारें ही चुरा रहे हैं। उनका निशाना इलेक्ट्रिक वाहन भी हैं। दिल्ली में सबसे ज्यादा ई-रिक्शा की बैटरियां चोरी होती हैं क्योंकि बैटरियां ही सबसे महंगी होती हैं। वहीं बैटरियों को रिप्लेस करने का खर्च भी ज्यादा होता है। लेकिन एक बार अगर इन गाड़ियों में भी ट्रैकिंग फीचर लग गया तो इनकी चोरी पर भी लगाम कसना आसान हो जाएगा। 

 

 

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