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जिन बच्चों के साथ दरिंदगी हुई वो भारतीय नहीं ?सुप्रीम कोर्ट ...

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच में ढिलाई बरतने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जमकर फटकार लगाई है। मामले की जांच में इतनी ढिलाई पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बिहार सरकार की नाकामी है कि उसने इतने गंभीर मामले की आईपीसी की धारा 377 और पॉस्को एक्ट की धाराएं जोड़ने में 24 घंटे से भी ज्यादा का समय ले लिया।  इसे अमानवीय और शर्मनाक बताते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का इस मामले को लेकर ऐसा रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है।  कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा कि TISS की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 17 शेल्टर होम में यौन उत्पीड़न हुआ लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में ठीक से एफआईआर तक दर्ज करने की जहमत नहीं उठाई. कोर्ट ने सवाल उठाया कि हर मामले की जांच क्यों नहीं लिया गया? कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा कि क्या ये बच्चे भारत के नागरिक नहीं हैं? कोर्ट ने बिहार सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें कहा गया था कि मामले की जांच गंभीरता से की जाएगी, क्या यही गंभीरता है? जो फाइल सरकार ने पेश की है वो बेहद शर्मनाक और निराशाजनक है। सिर्फ पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है लेकिन IPC की धाराओं को उसमें शामिल नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर बिहार सरकार के उदासीन रवैये पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए बच्चों के लिए अफसोस जाहिर किया है।
 बिहार शेल्टर होम मामले की ढीली जांच को लेकर बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाते हुए अमानवीय और शर्मनाक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि क्या जिन बच्चों के साथ दरिंदगी हुई वो भारतीय नहीं थे? कोर्ट ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि मामले की जांच पूरी संजीदगी के साथ होगी तो फिर 18 मामलों की अलग-अलग जांच क्यों नहीं की गई। बुधवार को मामले पर फिर से सुनवाई होगी।

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