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गिरफ्तारी के एक मामले में पुलिस के द्वारा हुई लापरवाही  ...

अजब गज़ब एम पी पुलिस

मध्यप्रदेश- हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने धार पुलिस की लापरवाही पर मध्यप्रदेश सरकार को 5 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को दिया सख्त आदेश कि अब हर केस मे पुलिस पहले पूरी जांच करे। मामला धार पुलिस का है जहां एक निर्दोष वृद्ध को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर चार माह तक जेल में बंद रखा गया। 

हाई कोर्ट ने इस कृत्य मे सख्त रुख अपनाते हुए निर्दोष को तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया और मध्यप्रदेश सरकार को आदेश किया कि वो तीस दिन में 5 लाख मुआवजा दे तथा संबन्धित अधिकारी सहित दूसरे पुलिसकर्मियो पर अवमानना का केस दर्ज करे।

इंदौर हाईकोर्ट के जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेन्द्र शुक्ला की डिवीजन बैंच ने पीड़ित के बेटे की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। हत्या के एक मामले में हुस्ना नाम के व्यक्ति को सजा हुई थी जो पैरोल पर छूटा था। पैरोल पर रिहा होने के दौरान ही 10 सितंबर 2016 को हुस्ना की मृत्यु हो गई लेकिन परिवार ने जेल और पुलिस विभाग को इसकी सूचना नही दी। इस बीच हुस्ना के वापस जेल ना पहुंचने पर उसके नाम वारंट जारी हो गया।
धार जिले की बाग पुलिस तीन साल बाद 18 अक्टूबर 2019 को हुस्ना के घर पहुंची और उसके भाई हुसान को गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद बेकसूर हुसान के बेटे कमलेश ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के सामने फरियाद लगाई, उसका पिता निर्दोष है उनका हत्या से कोई लेना देना नही है। लेकिन कही भी उसकी सुनी नही गई जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 
सरकार की ओर से पेश जवाब मे एसडीओपी मनोहर सिंह बारिया ने भी कोर्ट मे शपथ पत्र देकर जवाब पेश किया जिसमे आरोपी हुस्ना के होने की पुष्टि की। उसके बाद कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिए कि वो इस मामले की पूरी जांच करें और बायोमेडिकल और डीएनए जांच के आधार पर रिपोर्ट पेश करें। प्रमुख सचिव की पेश की गई रिपोर्ट मे ये स्पष्ट हो गया कि जेल में बंद व्यक्ति हत्या का वो आरोपी हुस्ना नही है हुस्ना की मौत हो चुकी है।

इस मामले में पुलिस की गंभीर लापरवाही सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को सख्त आदेश दिया कि अब सभी केस मे पुलिस पहले पूरी जांच करे और भविष्य मे किसी की भी गिरफ्तारी के पहले उसकी पहचान के लिए बायोमेट्रिक दस्तावेजों का पूर्ण परीक्षण कराया जाए जिससे कि भविष्य मे किसी निर्दोष को इस तरह की घटना का सामना न करना पड़े।

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