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महज 6 साल की मासूम के साथ गैंगरेप /एक कुत्ते के साथ गैंगरेप ...

    इंसान की गिरती मानसिकता    

  (1)   मुंबई के मालवणी इलाके में एक कुत्ते के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। नशे में धुत चार लोगों ने कुत्ते को अपनी हवस का शिकार बनाया। उसे गंभीर हालत में पशु चिकित्सालय ले जाया गया। जहां तीन दिन बाद इलाज के दौरान कुत्ते ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने मामले में चार अज्ञात लोगों को खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। शनिवार को मलाड की रहने वली सुधा फर्नांडिस नाम की महिला को मालवणी चर्च के पास एक कुत्ता घायल हाल में नजर आया। उसके प्राइवेट पार्ट्स से खून निकल रहा था। इसके बाद सुधा ने जानवरों के हित में काम करने वाले एक एनजीओ 'एनिमल्स मैटर टू मी' को इसकी जानकारी दी और कुत्ते को पशु चिकित्सालय पहुंचाया। तीन दिनों तक इलाज के बाद कुत्ते ने दम तोड़ा।

   (2)    नुंह के पिनगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत एक गांव में महज 6 साल की मासूम को गांव के ही दो नाबालिग युवक सुनसान जगह उठाकर ले गए और उसके साथ गलत काम किया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।पीड़ित परिवार की शिकायत पर पिनगवां पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करते हुए दोनों आरोपियों की पहचान कर उन्हें दबोचा। पीडित बच्ची की हालत नाजुक बताई जा रही है। बच्ची का पुलिस ने मेडिकल भी करा लिया है। जानकारी के अनुसार मंगलवार की शाम  दरिंदों ने मासूम के साथ बारी-बारी से दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। बाद में जब मासूम की हालत  बिगडने लगी तो आरोपित मासूम को छोड़कर फरार हो गए।जब इस मामले का मासूम के परिजनों को पता चला तो पिनगवां थाने में मामला दर्ज कराया।इसके बाद पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार करके बुधवार को अदालत में पेश कर दिया, जहां से उन्हें फरीदाबाद जेल भेज दिया गया। एसएचओ पिनगवां आनंद कुमार ने बताया कि जैसे ही पुलिस को शिकायत मिली, उन्होंने दोनों आरोपियों को पकड़ लिए. दोनों आरोपियों की उम्र करीब 15 वर्ष के आस पास बताई जा रही है।

इंसान की गिरती मानसिकता एवं हमारी लचर एवं कमज़ोर कानून व्यवस्था का उदहारण ही है जो आज हमारे देश में कोई ऐसा दिन तो बड़ी बात है दिन का घंटा नही बीतता जिसमें हमको बलात्कार नारी शोषण आधी आबादी पर हो रहें जुल्मों से रूबरू न होते हो,पर अब तो ऐसा प्रतीत होने लगा है कि जैसे यह तो आम बात हो चली है किसी को कोई फर्क ही नही पड़ता,अंधे बहरों सी ज़िन्दगी जी रहे है हम सब कोढ़ पर खाज का काम हमारी सरकार और न्याययिक ढांचा क्या काम करता है जो बातें और कानून तो ग़ज़ भर की करते है पर ज़मीनी हक़ीक़त का कड़वा सच सिर्फ वही समझ पाता है या सहता है जिस पर अत्याचार होता है,छोटी छोटी बातों को हमारा सामाजिक ढांचा मान सम्मान के स्याहा चश्में से देखता है,झूठी आन बान के लिए रिश्ते ख़त्म कर दिए जाते है जानें ले ली जाती,कहने का तातपर्य मात्र इतना है कि एक नारी के साथ जब ऐसा कोई घिनोना अपराध घटित होता है तो हम सब क्यो शून्य हो जाते है, ज़्यादा से ज़्यादा कैंडल मार्च एक आध धरना काली पट्टी कही किसी सामाजिक संस्था द्वारा विरोध प्रदर्शन कुछ दिन का हो हल्ला इज़्ज़त के बदले कुछ पैसा दिखावे की गिरफ्तारी फिर तारीख पर तारीख,पीड़ित पक्ष पर दबाव यह फिर सामाजिक सोच के चलते सुलह,क्या और कोई हल है जिसके माध्यम से हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित कर सके ऐसी सोच एवं अक्षम्य अपराध से,कुछ तो फैसला लेना ही होगा कठिन है पर न मुमकिन नही,सवाल हम सब के लिए है आज तेरी तो कल मेरी भी, क्यो इंतिज़ार करना है, यह उज्जवल भारत के भविष्य के लिए पहले कौन की संकीण मानसिकता से बाहर आकर उस आधी आबादी के हक़ के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा,मंदिर मस्जिद राइजिंग इंडिया मेड इन इंडिया पाकिस्तान कब्रिस्तान धर्म विशेष पर मत न देकर अपनी आधी आबादी की सुरक्षा के लिए कठोर कानून का वादा,एक माह में फैसला,आरोप साबित होने पर तुरंत सज़ा,किसी भी प्रकार की कोई छूट नही,आयु धर्म रसूख़ अमीर गरीब कुछ नही सिर्फ मौत की सज़ा आगामी चुनावों में सबसे पहले उठाते हुए मताधिकार का प्रयोग करने का निश्चय करने,आरोपी एवं उसके पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार शायद मैं गलत हूं पर कभी कभी भविष्य को बेहतर करने के लिए कुछ निर्णय कठोर लेना ही पढ़ते है,मेरी बात मोदी जी समझ सकते है,तब शायद हम अपनी अगली पीढ़ियों के लिए कुछ बेहतर कर सके वरना वो दिन दूर नही जब कोई माँ अपनी कोख से एक माँ बेटी बहन पत्नी नही जनना चाहेंगी, आज का फैसला अभी भी हमारे बस में है कही इतनी देर न हो जाये कि धारा 377 ही एक मात्र विकल्प हो और नारी जाति का अस्तित्व ही विलुप्त होने की कगार पर आ जाए।

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