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देश का सबसे कम उम्र का अंगदाता ...

100 घंटे का ब्रेन डेड शिशु 

फाउंडेशन के एक अधिकारी ने कहा, जन्म के बाद बच्चे को इनक्यूबेट किया गया, क्योंकि उसके दिल की धड़कन कम चल रही थी और वह सांस नहीं ले रहा था। 48 घंटे की निगरानी के बाद उसे न्यूरोसर्जन के पास भेजा गया, जिन्होंने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। 

गुजरात के सूरत शहर में सौ घंटे के ब्रेन डेड शिशु के माता-पिता द्वारा उसके शरीर के अंगदान करने के बाद चार बच्चों को नया जीवन मिला है। एक अंगदान फाउंडेशन ने रविवार को यह जानकारी दी।

इस प्रक्रिया में भूमिका निभाने वाले गैर-सरकारी सगंठन (एनजीओ) जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन ने दावा किया कि शिशु देश का सबसे कम उम्र का अंगदाता है। फाउंडेशन के एक अधिकारी ने कहा, जन्म के बाद बच्चे को इनक्यूबेट किया गया, क्योंकि उसके दिल की धड़कन कम चल रही थी और वह सांस नहीं ले रहा था। 48 घंटे की निगरानी के बाद उसे न्यूरोसर्जन के पास भेजा गया, जिन्होंने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। 
 
फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी विपुल तलाविया ने बताया कि जरुरतमंद लोगों को नया जीवन दिया जा सके, इसके लिए शिशु के माता-पिता से परामर्श किया गया और वे अपने बेटे के अंगों को दान करने पर सहमत हो गए थे।   

उन्होंने कहा, 'बच्चे के माता-पिता अनूप और वंदना ठाकोर 18 अक्तूबर को पांच दिन के बच्चे के इसी तरह के मामले के बारे में बताए जाने के बाद उसके अंग दान करने के लिए सहमत हो गए। उन्होंने बताया कि 23 अक्तूबर की शाम को बच्चे के जन्म के करीब सौ घंटे बाद शुक्रवार रात उसकी दो किडनी, एक तिल्ली और आंखें निकाली गईं। प्राप्तकर्ता सभी बच्चे हैं।

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