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गणतंत्र दिवस पर तिरंगे में रंग गया हिजाब ...

राष्ट्रगान गाया, संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए

देशभर में देशभक्ति की बही बयार, प्रदर्शन स्थलों पर भी धूमधाम से मनाया गया 71वा   गणतंत्र दिवस साथ ही जारी रहा सीएए का विरोध प्रदर्शन, ध्वजारोहण के संग ली संविधान बचाने की शपत, सरकार से कानून वापस लेने का निवेदन दोहराया न पीछे हटने का संकल्प।

देश के 71वें गणतंत्र दिवस पर CAA विरोध-प्रदर्शन भी आजादी के रंग में रंग गया। तिरंगे के रंग में रंगी चूड़ियां और बिंदिया लगाए महिलाओं ने हाथों में राष्ट्रध्वज लेकर आजादी के नारे लगाए और राष्ट्रगान गाया। गणतंत्र दिवस पर  मुस्लिम महिलाओं के हिजाब का रंग भी तिरंगामय हो गया। खूंरेजी में हो रहे विरोध-प्रदर्शन में तिरंगे के रंग में रंगे हिजाब पहने मुस्लिम महिलाओं ने रविवार को भी केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग की। जामा मस्जिद पर प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब वे इसी देश के संविधान के तहत आज 71वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं तो आज 71 साल बाद उनसे उनके हिंदुस्तानी होने का सबूत क्यों मांगा जा रहा है।
जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर डटे प्रदर्शनकारी

रविवार को गणतंत्र दिवस पर एक हाथ में तिरंगा तो दूसरे हाथ में सीएए कानून के विरोध की तख्ती थामे सैकड़ों प्रदर्शनकारी जामा मस्जिद पर जुटे। उन्होंने राष्ट्रगान गाया, संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून वापस लेने की भी अपील की।

प्रदर्शनकारियों में से एक शबीना बेगम ने कहा कि यही वे सीढ़ियां हैं जहां आजादी दिलाने वालों ने अपनी समाधि बना ली, अब वे भी यहीं पर अपनी जान दे देंगे, लेकिन विवादित कानून को वापस कराए बिना वापस नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को देर से ही सही, लेकिन उनकी बात समझनी पड़ेगी क्योंकि यह देश और संविधान की आत्मा का सवाल है।

शाहीन बाग में लहराया तिरंगा

सीएए की मुखालफत में 15 दिसंबर से शाहीन बाग में विरोध-प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने तिरंगा लहराकर राष्ट्रगान गाया और तिरंगे को सलामी दी। हजारों की भीड़ के बीच यहां संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई और केंद्र से इस कानून को वापस लेने की मांग की गई। सोनिया विहार से शाहीन बाग पहुंची निलोफर ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन का हल निकले बिना सरकार को राहत मिलने वाली नहीं है। उनका भी दर्द वही है जो करोड़ों मुसलमानों को है। 

उन्होंने कहा कि तीन-तीन पीढ़ियों के गुजरने के बाद आज भी अगर उनसे उनके हिंदुस्तानी होने का सबूत मांगा जाएगा तो वे सबूत कहां से लाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी सरकार को इस बात का हक नहीं है कि वह यह तय करे कि कोई कितने बच्चे पैदा करेगा। इसकी बजाय सरकार को देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर ध्यान देना चाहिए जो उनका काम होना चाहिए। 

शाहीन बाग के करीब जाकिर नगर में रहने वाले कबीर सिद्दीकी ने अमर उजाला को बताया कि मुसलमानों और सरकार के बीच बना हुआ अविश्वास इस समस्या की सबसे बड़ी जड़ है। शाहीन बाग के लोग बार-बार सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे आएं और उनसे बात करें, कानून को लेकर उनके मन में व्याप्त अविश्वास दूर करें। लेकिन सरकार का कोई भी  प्रतिनिधि इनसे आज तक बात करने नहीं आया जो समस्या की सबसे बड़ी जड़ बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि सरकार ही इस मुद्दे पर सही हो, लेकिन उसे इनसे बात कर समस्या का हल सुझाने की कोशिश करनी चाहिए।

 निकलेगा कैंडल मार्च

खूंरेजी में हो रहे प्रदर्शन में शामिल एक स्थानीय खालिद शैफी ने कहा कि आज शाम सभी प्रदर्शनकारी कैंडल मार्च निकालेंगे। आसपास के इलाकों से गुजरते हुए वे लोगों को इस कानून की संवेदनशीलता से परिचय कराएंगे। इस दौरान हजारों प्रदर्शनकारी इसमें शामिल हो सकते हैं। दिल्ली में लगभग 16 जगहों पर शाहीन बाग की तरह से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इन सभी जगहों पर इसी तरह से कैंडल मार्च निकाला जा सकता है। 

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