विदेशी लिंक वाले नेटवर्क का CBI ने किया भंडाफोड़ ...
100 से अधिक शेल कंपनियों के शामिल होने के संकेत
नई दिल्ली : सीबीआई ने एक साल से अधिक की जांच के बाद विदेशी तत्वों से जुड़े एक सॉफेस्टिकेटेड, कॉम्पलेक्स नेटवर्क का खुलासा किया है। इस नेटवर्क में शामिल लोगों ने भारतीयों को नौकरी और लोन का लालच देकर और साथ ही उन्हें पोंजी योजनाओं में निवेश करने की पेशकश करके बेवकूफ बनाया और धोखाधड़ी करके सैकड़ों करोड़ रुपये हड़प लिए।
पैसा ट्रांसफर करने के लिए यूपीआई खातों के लिए एक कॉम्पलेक्स वेब, क्रिप्टोकरेंसी और इंटरनेशनल मनी ट्रांसफर का उपयोग किया गया था। सीबीआई ने हाल ही में मनी ट्रेल का विश्लेषण करने के बाद संदिग्धों से जुड़े कई स्थानों पर छापे मारे।
चिंता की बात यह है कि सीबीआई की जांच इस मामले में 137 शेल कंपनियों के इसमें शामिल होने की ओर इशारा कर रही है। इनमें से कई बेंगलुरु में कंपनी रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड हैं और उनके डायरेक्टर भी हैं। इनमें से कुछ डायरेक्टर बेंगलुरु में स्थित एक पेआउट मर्चेंट से भी जुड़े थे।
कैसे की जा रही थी धोखाधड़ी?
सीबीआई की एक विज्ञप्ति के मुताबिक यह जांच, जो कि एजेंसी के ऑपरेशन चक्र- II का हिस्सा थी, साल 2022 में शुरू हुई। केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा दिए गए इनपुट सहित विभिन्न सूचनाओं के आधार पर इसमें एक मामला दर्ज किया गया था।
सीबीआई ने कहा कि जालसाजों ने कथित तौर पर पीड़ितों को लोन, पार्ट टाइम जॉब और पोंजी स्कीम व मल्टीलेवल मार्केटिंग इनीशिएटिव में इनवेस्टमेंट का वादा करते हुए लुभाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों, उनके विज्ञापन पोर्टलों, एन्क्रिप्टेड चैट एप्लिकेशन और एसएमएस का इस्तेमाल किया।
पीड़ितों से यूपीआई के जरिए राशि जमा कराकर उन्हें हाई रिटर्न का लालच दिया गया था। यूपीआई खातों के एक कॉम्पलेक्स नेटवर्क के जरिए मनी लॉन्डरिंग की गई और फिर फर्जी प्रमाण-पत्रों का उपयोग करके क्रिप्टोकरेंसी या सोने की खरीद की गई।
सीबीआई ने धोखाधड़ी में लिप्त 137 फर्जी कंपनियों की पहचान भी की है जिनमें बड़ी संख्या उन कंपनियों की है जो बेंगलुरु में कंपनी रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड हैं। गहरी जांच के बाद इन कंपनियों के डायरेक्टरों की पहचान की गई। इनमें से कुछ का संबंध बेंगलुरु स्थित एक पेआउट मर्चेंट से भी पाया गया।
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