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नीलाक्षी ने पाया गोल्ड मेडल,अखिलेश को मिला मेडल, ...

जिन पहाड़ियों पर चलने में ही सांस फूल जाती हो वहां मैराथन जीत कर आए आईआईटीयंस

जिन पहाड़ियों पर चलने में ही सांस फूल जाती हो, वहां आयोजित मैराथन दौड़ में भाग लेना ही किसी चुनौती से कम नहीं। कानपुर आईआईटी के आठ विद्यार्थियों ने न केवल इस चुनौती को स्वीकारा, बल्कि जीतकर मेडल भी हासिल किया।

उत्तराखंड के 8500 फीट ऊंचे पहाड़ कनाताल में 29 जून को 63.300 किलोमीटर दूरी वाली फॉरेस्ट मॉक अल्ट्रा मैराथन आयोजित हुई थी। चार वर्गों में बंटी मैराथन में देश-दुनिया के करीब तीन हजार प्रतियोगी शामिल तो हुए, लेकिन करीब 1200 ही दौड़ पूरी कर पाए। बाकी बीच में ही मैराथन छोड़ गए।

नीलाक्षी ने पाया गोल्ड मेडल

पहले वर्ग की मैराथन दौड़ 10 किलोमीटर की थी। इसमें पीएचडी की छात्रा नीलाक्षी शकू और भावना सिंह ने हिस्सा लिया। नीलाक्षी ने पहला स्थान पाया तो भावना दौड़ पूरी करने में कामयाब रहीं।

63.3 किलोमीटर दौड़े अरुण और सूरज

मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग ब्रांच से बीटेक-एमटेक ड्यूअल डिग्री कर रहे अरुण तोमर और सूरज सरकार ने 63.300 किलोमीटर की दौड़ साढ़े आठ घंटों में पूरी की। इस दौड़ में करीब 150 लोगों ने भाग लिया। दौड़ में 3000 मीटर दौड़ते हुए चढ़ना और उतरना था। सभी वर्गों में यह सबसे खतरनाक दौड़ थी। अरुण देहरादून से धनौल्टी तक 74 किलोमीटर की मैराथन भी पूरी कर चुके हैं। 

अखिलेश को मिला मेडल

तीसरी दौड़ 42.200 किलोमीटर की थी। इसमें प्रतिभागियों को दौड़कर 2000 मीटर चढ़ना और उतरना था। इसमें एयरोस्पेस विभाग के अखिलेश दूसरे स्थान पर रहे, लवीश अरोरा ने भी दौड़ पूरी की। 1000 मीटर की ऊंचाई वाली 21.100 किलोमीटर की हाफ मैराथन में फिजिक्स से पीएचडी कर रहे राहुल भारद्वाज और मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक कर रहे प्रतीक शर्मा ने मैराथन पूरी की।

अब खारदूंग ला में दौड़ने को तैयार

राहुल ने बताया कि अब वह और अरुण 17 से 20 अगस्त में खारदूंग ला में होने वाली ‘ला अल्ट्रा द हाई’ मैराथन में हिस्सा लेने जाएंगे। इसमें अरुण नुब्रा वैली से लेह तक कुल 111 किलोमीटर व वह लेह से वरीला पाक तक 55 किलोमीटर की दौड़ में शामिल होंगे। पहाड़ों पर मैराथन दौड़ना केवल फिटनेस के बल पर नहीं हो सकता। यहां फिटनेस के साथ दिमाग भी लगाना पड़ता है।

 

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