काशी विश्वनाथ मंदिर vs ज्ञानव्यापी मस्जिद केस ...
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हलचल तेज
वाराणसी:- अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शिलान्यास के बाद मथुरा और काशी को लेकर हिंदूवादी संगठनों ने हलचल तेज कर दी है। यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले यह हलचल सियासी गलियारों में सुनाई देने लगी है। इधर, वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक) की कोर्ट में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानव्यापी मस्जिद मसले की सुनवाई भी चल रही है। जिस पर अब सबकी नजरें टिक गई हैं। इस बार की तारीख में जिला जज की अदालत ने प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए अग्रिम सुनवाई के लिए एक सितंबर की तारीख मुकर्रर कर दी है। बता दें कि पिछली तारीख एक जुलाई को प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की ओर से जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में याचिका दाखिल की गई थी।
क्यों दाखिल की गई याचिका?
प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में अर्जी देकर ये कहा गया था कि मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट में नहीं हो सकती। इस याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए सुनवाई चालू रखने का आदेश दिया। इधर, प्रतिवादी ने एक और अर्जी पेश की। जिसमें कहा गया कि लखनऊ वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल न्यायाधिकरण के पास प्रकरण को भेजा जाए। 25 फरवरी को ये याचिका भी सीनियर डिवीजन सिविल कोर्ट से खारिज हो गई। इसी के खिलाफ जिला जज की अदालत में एक जुलाई को याचिका दाखिल की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए जिला जज ने प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।
क्या है मामला?
स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास और डॉ. रामरंग शर्मा ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में स्थानीय अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। इस मुकदमे में वर्ष 1998 में हाईकोर्ट के स्टे से सुनवाई स्थगित हो गई थी। कुछ समय पहले स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विश्वेश्वर के मुकदमे की सुनवाई फिर से वाराणसी की सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्ट ट्रैक कोर्ट) में शुरू हुई। दिवंगत वादी पंडित सोमनाथ व्यास और डॉ. रामरंग शर्मा के स्थान पर प्रतिनिधित्व करने के लिए पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को न्याय मित्र नियुक्ति किया।
भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने की अर्जी पर मस्जिद पक्षकारों से उनका पक्ष मांगा गया है। इंतजामिया कमेटी की ओर से आपत्ति दर्ज की गई। लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड की आपत्ति नहीं आ पाई। 21 जनवरी को सुन्नी वक्फ बोर्ड का प्रार्थना पक्ष सामने आया और उनकी ओर से नए वकील इस केस के लिए नियुक्त हुए। नए वकील ने केस से जुड़े कुछ दस्तावेज मांगे, उसके बाद अपना पक्ष रखने की बात कही। जिसके बाद कोर्ट ने दोनो पक्षों के वकील की मौजूदगी में अगली तारीख लगाई।
अगली तारीख में मस्जिद पक्षकार की ओर से पुरातात्विक सर्वेक्षण को लेकर अपना जवाब देने को कहा गया। उसके बाद पहले मस्जिद पक्ष की ओर से पहले ये बताया गया कि अब भी हाईकोर्ट में स्टे बरकरार है तो फिलहाल सिविल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को लेकर आपत्ति दर्ज की जा रही है। फिलहाल मामला जिला जज की कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी पर टिका है, जिसमे जिला जज ने प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए एक सितंबर 2020 की तारीख मुकर्रर की है।
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