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30 मिनट में परिणाम होंगे सामने, 500 रुपये से कम दाम में किट ...

इस नई तकनीक से 

कोरोना वायरस को लेकर देश के युवा वैज्ञानिकों की खोज को आखिरकार भारत सरकार से मंजूरी मिल ही गई। अब इस नई तकनीक के जरिए कागज का रंग यह बता देगा कि व्यक्ति को कोरोना संक्रमण है या नहीं। नई खोज के बारे में जानकारी दी थी।

भारत के युवा वैज्ञानिकों की नई तकनीक को केंद्र से मिली मंजूरी

अब ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की ओर से शनिवार को इस नई तकनीक से निर्मित जांच किट्स को भारतीय बाजार में उतारने की अनुमति प्रदान कर दी है। इस अध्ययन में टाटा कंपनी ने करार किया था।

दरअसल, इस फेलुदा जांच किट को मई माह के अंत तक बाजार में उपलब्ध होने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन तकनीकी खामी के चलते इस प्रोजेक्ट को अब अनुमति मिल पाई है। सीएसआईआर के नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के वैज्ञानिकों ने फेलुदा नामक जांच किट तैयार की है जिसे गर्भवास्था का पता लगाने वाली किट की भांति इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

30 मिनट में परिणाम होंगे सामने, 500 रुपये से कम दाम में किट

इसका परिणाम पता लगने में करीब 30 मिनट तक का वक्त लग सकता है। टाटा कंपनी के साथ यह किट करीब 500 रुपये से भी कम दामों में उपलब्ध हो सकता है। इसी तरह का एक अध्ययन रिलायंस कंपनी के साथ मिलकर भी चल रहा है जिसमें जम्मू के वैज्ञानिक आरटी लैंप पर काम कर रहे हैं।

आरटी-पीसीआर की तुलना में पांच गुना सस्ती

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने बताया कि यह तकनीक आरटी पीसीआर की तुलना में तीन से पांच गुना तक सस्ती है। युवा वैज्ञानिकों की यह खोज आने वाले दिनों में न सिर्फ देश में कोरोना जांच में तेजी ला सकेगी, बल्कि कम दाम में बेहतर जांच परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने इस शोध में जुड़े सभी वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे एक बड़ी कामयाबी बताया है।

वहीं टीम प्रमुख वैज्ञानिक देवोजीत चक्रवर्ती ने बताया कि क्रिस्पर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए डीएनए क्षमता पर काम किया गया है। इस बॉयोलॉजी भाग और रसायन से तैयार कागज का इस्तेमाल करते हुए एक पेपर स्ट्रिप किट को तैयार किया है जिसे फेलुदा नाम दिया गया है। जांच के दौरान कागज पर एक लाइन दिखाई देती है। अगर मरीज संक्रमित है तो लाइन दिखाई देगी, निगेटिव होने पर नहीं दिखेगी।

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