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वाल्मीकि मंदिर में पीएम मोदी लगा चुके हैं झाडू ...

वाल्मीकि समाज के वोटरों को अपने पाले में......

धार्मिक-आध्यत्मिक आस्था का केंद्र होने के साथ नई दिल्ली का वाल्मीकि मंदिर सियासत के केंद्र में भी रहा है। सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लगातार तीसरी बार इसी मंदिर से अपनी मुहिम की शुरुआत की। वहीं, दलगत आस्थाओं से ऊपर नई दिल्ली की सियासत का हर खिलाड़ी मंदिर में मत्था नवाता रहा है। माना जाता है कि मंदिर पहुंचकर नेता वाल्मीकि समाज के वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश करते हैं।
दिलचस्प यह कि अकेले नई दिल्ली विधान सभा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या करीब 19 फीसदी है। वहीं, दिल्ली की 12 सीटों पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं का बोलबाला है। यह सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। आम आदमी पार्टी से पहले आरक्षित सीटों अमूमन कांग्रेस के पास रही हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में 67 सीटें जीतने वाली आप ने सभी आरक्षित सीटों पर कब्जा कर लिया था। अब आप की कोशिश अपने प्रदर्शन को दोहराने की है।

लिहाजा केजरीवाल ने 2013 व 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी वाल्मीकि मंदिर से मिशन दिल्ली की शुरुआत की। पिछले दो विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने वाल्मीकि मंदिर से अपना मिशन शुरू किया था। वहीं, लोकसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस व आप के उम्मीदवार भी मंदिर पहुंचे थे। निगम चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था।

मंदिर से लांच किया था प्रधानमंत्री ने अपना सबसे महत्वाकांक्षी मिशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने सबसे महत्वाकांक्षी मिशन स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत वाल्मीकि मंदिर से की थी। वाल्मीकि समाज की महिलाओं के साथ प्रधानमंत्री ने मंदिर परिसर में झाड़ू लगाई थी। हालांकि, इससे पहले उन्होंने नजदीकी मंदिर मार्ग थाने का औचक निरीक्षण करके थाना परिसर की भी सफाई की थी।

पूर्व प्रधानमंत्रियों ने लिया है आशीर्वाद

मंदिर से जुड़े संतों का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव ने भी मंदिर में पूजा अर्चना की है। इसके अलावा दूसरी पार्टियों के शीर्ष नेता भी यहां आते रहे हैं। सभी की मंदिर में तस्वीरें हैं।

 मंदिर से जुड़ी हैं गांधीजी की यादें

बताते हैं कि यह मंदिर एक अप्रैल 1946 से एक जून 1947 तक महात्मा गांधी का आवास रहा। यहीं से उन्होंने तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन को खत लिखा था। इसे गांधी-इरविन समझौते की शुरुआत माना जाता है। बाद में लार्ड माउंटबेटन भी यहां आए। राजकुमारी अमृत कौर तथा लार्ड माउंटबेटन की पत्नी गांधीजी के साथ प्रार्थना सभा में शामिल होती थीं। इस मंदिर में गांधीजी का चरखा, कपड़ा, ब्रश आदि रखा है। इनका वह इस्तेमाल करते थे।

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