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राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक के एजेंडे में अहम मुद्दा ...

 डूब क्षेत्र होंगे प्रदूषण मुक्त

गंगा की मुख्य धारा को हमेशा गतिमान रखने वाले पहाड़ों के झरनों और मैदानी इलाकों की सतत जलधाराओं को सहेजा जाएगा। इसके साथ ही गंगा नदी के तट और इसके डूब क्षेत्रों (बाढ़ मैदानों) को प्रदूषण और अतिक्रमण मुक्त बनाया जाएगा। डूब क्षेत्रों की नदी के पोषण में महती भूमिका होती है।

इससे लीन सीजन में गंगा में पानी की कमी नहीं हो पाएगी। जाड़ों और गर्मी के मौसम को लीन सीजन कहा जाता है, इस दौरान नदी में पानी बहुत कम हो जाता है। राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक के एजेंडे में यह मुद्दा बहुत अहम रहा है। गंगा नदी का तट और इसके बाढ़ का मैदान प्रदूषण मुक्त रखने, निर्माण मुक्त रहने पर जोर दिया गया। इससे नदी में बाढ़ का पानी फिर से लौटने में आसानी रहेगी और जल कम नहीं होगा।
यह स्पष्ट कर दिया गया है कि डूब क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी संरचना का निर्माण नहीं करेगा। गंगा बेसिन की सहायक नदियों के सक्रिय बाढ़ क्षेत्रों को भी प्रदूषण और अतिक्रमण मुक्त रखा जाएगा। एजेंडे में बताया गया कि हरिद्वार से उन्नाव तक बाढ़ सीमांकन हो गया है।

एनएमसीजी द्वारा गठित विशेष समिति की रिपोर्ट क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार को भेज दी गई है। गंगा को पोषित करने वाले पहाड़ी झरनों के पानी को अहम स्रोत बताया गया। इन्हें सहेजने पर बल दिया गया। सर्वे आफ इंडिया, देहरादून और आईआईटी रुड़की को झरनों के मानचित्रण की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही केंद्रीय भूजल बोर्ड भी जिम्मेदारी संभालेगा। इसके साथ ही गंगा में मिलने वाली भूगर्भ सतत जलधाराओं को भी सहेजा जाएगा, जिससे पूरे साल नदी को पानी मिलता रहेगा। गंगा के पास के क्षेत्र के भूगर्भ स्रोत रिचार्ज करने के लिए पौधरोपण किया जाएगा। गंगा बेसिन के राज्यों की 20 हजार हेक्टेयर भूमि पर वर्ष 2020 तक पौधरोपण किया जाएगा। चिह्नित गांवों को गंगा ग्रामों के रूप में विकसित किया जाएगा।

नेशनल रिवर कंजर्वेशन प्लान 
1- कुल 41 नदियां।
2- गंगा बेसिन की आठ नदियां। गंगा, यमुना, गोमती, दामोदर, महानंदा, बेतवा, मंदाकिनी, रामगंगा।
3- नमामि गंगा विजन: अविरल धारा, निर्मल धारा, जियोलॉजिक अस्तित्व और इकोलॉजिकल अस्तित्व।
4- गंगा बेसिन कवर करता है देश की 26 प्रतिशत भूमि।
5- देश की 47 फीसदी आबादी गंगा बेसिन में रहती है।
6- 28 फीसदी जल संसाधन प्राप्त होता है।

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