व्यापारियों ने वित्त मंत्री से जांच कराने की मांग की ...
नोटों से भी कोरोना फैलने का डर
कोरोनावायरस फैलने के पीछे हाथ के संपर्क में आने वाली चीजों को सबसे ज्यादा जिम्मेदार बताया जा रहा है। इसी क्रम में लोगों को यह डर लगने लगा है कि क्या बैंक के नोटों से भी कोरोना फैल सकता है जो एक ही दिन में कई लोगों के हाथों के संपर्क में आते हैं?
कोरोनावायरस फैलने के पीछे हाथ के संपर्क में आने वाली चीजों को सबसे ज्यादा जिम्मेदार बताया जा रहा है। इसी क्रम में लोगों को यह डर लगने लगा है कि क्या बैंक के नोटों से भी कोरोना फैल सकता है जो एक ही दिन में कई लोगों के हाथों के संपर्क में आते हैं? व्यापारिक संगठन कैट ने एक पत्र लिखकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से इस मामले में जांच कराने की भी मांग की है।
कैट ने यह भी कहा है कि सरकार को नकद भुगतान के वैकल्पिक साधनों को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक नीति बनानी चाहिए और डिजिटल या अन्य तरीके के वैकल्पिक भुगतान को अपनाने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। बैंक नोटों से अगर कोरोनावायरस के फैलने की संभावना बनती है तो देशभर के व्यापारियों के इसकी चपेट में आने का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि वे दिनभर नोटों का लेनदेन करते रहते हैं। विकल्प के तौर पर डिजिटल लेनदेन के अलावा पॉलीमर से बनने वाली नोटों के प्रयोग में लाने की संभावनाओं का पता लगाने का अनुरोध भी किया गया है।
कई बीमारियों का घर बताते रहे हैं वैज्ञानिक
कई वैज्ञानिक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर बैंक के नोटों से विभिन्न कीटाणु दूसरों तक पहुंचने के खतरे बताए जाते रहे हैं। नई नोटों से कम तो पुराने बैंक नोटों से ज्यादा जर्म्स दूसरों तक पहुंचने की आशंका जताई जाती रही है। कैट के मुताबिक 2016 में जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी और एप्लाइड साइंसेज में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 120 मुद्रा नोटों में से 86.4% बीमारी का कारण बनते हैं। इन नोटों से क्लेबसिएला न्यूमोनिया, स्टैफिलोकोकस ऑरियस आदि बीमारियों के होने की आशंका व्यक्त की गई थी।
सभी नमूने दूषित
इसी प्रकार इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मा एंड बायोसाइंस में 530 नोटों (1-3 वर्ष पुराने) के अध्ययन के आधार पर मुद्रा में जीवाणु और कवक संदूषण दोनों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। एक अन्य लेख से पता चलता है कि 58 फीसदी बैंक नोटों में रोगजनकों के कारण बीमारी होती है। कर्नाटक के दावणगेरे में एकत्र किए गए 100, 50, 20 और 10 मूल्य वर्ग के सौ नोटों की जांच की गई। जांच से पता चला कि लगभग सभी नमूने दूषित थे।
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