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जामिया आन्दोलन का 30वां दिन, सरकार विरोध से बुरी तरह घबराई ...

आजादी के बाद इतना बड़ा आंदोलन

जामिया के छात्रों द्वारा सीएए के खिलाफ शुरू किया गया आंदोलन का आज तीसवां दिन है। कड़ी सर्दी में भी छात्र और स्थानीय लोग यहां से पीछे हटने को तैयार नही हैं। शुक्रवार शाम प्रदर्शन स्थल पर कई सामाजिक व राजनीतिक लोगों ने पहुंचकर छात्रों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया। 
जिनमें आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमएआईएम) के प्रवक्ता आसिम वक़ार और महिला शिक्षाविद जोया हसन प्रमुख रूप से शामिल हुए। यहां आसिम वक़ार ने कहा कि मैं यहां राजनीति नहीं करने आया हूं, बल्कि यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने अधिकार और संविधान की रक्षा के लिये लड़ें, जिससे भारत की आत्मा बची रहे। 

उन्होंने छात्रों का हौसला बढ़ाते हुए भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी उनके साथ है। यह लड़ाई केवल मुस्लिम और सरकार के बीच नहीं हैं, बल्कि ये भारत और सरकार के बीच की लड़ाई है। इस दौरान यहां पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के वकील जेड. के. फ़ैजान ने कहा कि सीएए काला कानून है और संविधान के विरूद्ध है। सरकार छात्रों के विरोध से बुरी तरह घबराई हुई है। 

जामिया के पूर्व कुलपति मुशीरूल हसन की पत्नी और प्रख्यात शिक्षाविद् जोया हसन ने भी छात्रों के बीच पहुंचकर उनका साथ देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद उन्होंने इतना बड़ा आंदोलन पहले कभी नहीं देखा। निर्भया और अन्ना आंदोलन भी केवल दिल्ली तक ही सीमित था, लेकिन जामिया के छात्रों का सीएए के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन देशव्यापी हो गया है। 

शांतिपूर्ण ढंग से हुई दूसरे दिन की परीक्षाएं

जामिया विश्वविद्यालय में छात्रों की परीक्षाएं भी जारी हैं। यहां दूसरे दिन की परीक्षाएं शांतिपूर्ण संपन्न हुई। प्रदर्शन के बीच परीक्षाएं कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती थी, लेकिन कुलपति ने बड़ी सूझबूझ से परीक्षाओं को आगे बढ़ाया है। पहले दिन विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने परीक्षाओं का विरोध किया था, लेकिन सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने ही सहपाठियों से परीक्षाएं न छोड़ने की अपील की थी। 

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