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अनुच्छेद 14 की पलट सीएबी संविधान की बुनयादी संरचना के विरुद् ...

 संविधान के अनुच्छेद चौदह का अनुपालन

आज हमारा देश अजब विडम्बना से गुजर रहा है हमारे देश में सत्ताधारी सरकार ऐसे ऐसे विधेयक संख्या बल के नशे में चूर हो लोकसभा राज्यसभा से पास करा रही है जो इस देश की अखंडता को समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, पहले इस देश के प्रदेश के सूबे असम मे एन आर सी राष्ट्रीय नागरिक रिजस्टर विधेयक लागू किया जिसमें मुस्लिम घुसपैठियों के नाम से असम प्रावधान लाये जिसमे 19 लाख हिंदी भाषी अनधिकृत लोग के नागरिक होने की जांच शुरू की जिसमे पांच लाख मुस्लिम को चिन्हित किया दुर्भाग्यपूर्ण बात यह साबित हुई जिसमें ग्यारह लाख हिन्दू भाइयों की संख्या निकली, जिसमे कई नेता भी अपने आप को सिद्ध नहीं कर पाए कि वह भारत के मूलनिवासी है। 

इस कार्य में भारत सरकार के सोलह हजार करोड़ भारतीय कोष से खर्च हुए और एन आर सी अनुउत्रीण साबित हुआ, फेल साबित हो जाने के बाद अब सदन के पटल से एक और विधेयक पारित करा लिया सी ए बी नागरिकता संशोधन विधेयक जो हमारे के संविधान अनुच्छेद चौदह की अवहेलना है। अनुच्छेद चौदह हमें इस देश में समान नागरिकता का सम्मान देता है कुछ वरिष्ठ पत्रकारो का यह कहना है अनुच्छेद चौदह की पलट सी ए बी संविधान की बुनयादी संरचना के विरुद्ध है, बल्कि संविधान के विचारों के अनुच्छेद के विरुद्ध है, सरकार के कहने के अनुसार जिसमें हमारे देश में हिन्दू, बौद्ध,जैनी, ईसाई गैर मुस्लिम शरणार्थी हमारे देश में नागरिकता मिल सकती है।

जिस कारण पूरा पश्चिमी उत्तर भारत आज आग में झुलस रहा है लोगों का इतना आक्रोश दिख रहा, जिनमें हमारे देश की कारगिल जंग में राष्ट्रहित में विजय व शौर्य का परिचय देने वाले रिटायर फौजी भी इस विधेयक का विरोध कर रहे है,  सी ए बी पर विरोध प्रर्दशन कर रहे हैं लोगो ने गुस्से में हाथों मे माशाल लेकर सड़को पर प्रर्दशन कर रहे है। प्रर्दशनकारियो ने असम के मुख्यमंत्री सरमानंद सोनू व केंद्रीय मंत्री रमेशवर तेली के घर पर आगजनी व पथराव किया जिससे गुवहाटी असम कई क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ा सरकार को घेरते हुए पूर्व जस्टिस काटजू ने कहा कश्मीर की तरह पूरा पश्चिमी उत्तर राज्य झुलस रहा है।  

इस विधेयक की आलोचना न सिर्फ हमारे देश में नहीं बल्कि हमारे मित्र देश अमेरिका व बांग्लादेश ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवता आयोग ने कहा यह कानून मूलता विव्धेयकारी है और स्वंम अपने संविधान के प्रति भारत के वचन बाध्यता के विरुद्ध है नागरिकता और शरण के मामले में संविधान सभा में हमारे देश में विस्तार से चर्चा हो चुकी है जिसमें जवाहर लाल नेहरू,भीमराव अंबेडकर,प्रजेष प्रसाद,अलगुराम शास्त्री,महमूद अली बेग से विचार विमर्श कर सर्व सहमति से पेश किया जिसमें सामान आधार नागरिकता के प्रावधान को पेश किया गया। 

आज नागरिकता संशोधन विधेयक की देश प्रदेश में कड़ी आलोचना करते हुए की कई प्रदेश सरकारों ने अपने अपने प्रदेशों में नहीं पारित करने का सख्त निर्णय ले लिए हैं, बंगाल, बिहार, तमिलनाडु, पंजाब,महाराष्ट्र जैसे कई प्रदेशों ने न लागू करने का मूड बना लिया, देश की सत्ताधारी सरकार दबाव बना कर विधेयक लाने में विजय हुई, विपक्ष के नेता, देश के बुद्धिजीवियों,पत्रकारों के मुंह और कलम लिखने वालों को रोक सकने में सफल रही और अपनी मनमानी कर रही है, मगर देश में रहने वाले प्रत्येक जागरूक भारतवासियों के मुंह को कैसे बन्द करगे, भारत का इतिहास गवाह है तानाशाही को इस मिट्टी से हमेशा पराजय ही प्राप्त हुई है। हमारी गंगा जमनी तहज़ीब सदियों से बरकरार है भारतवासियों ने न पहले कभी बर्दाश्त किया था और न भविष्य में किसी को देश की सौहार्दपूर्ण सभ्यता से खिलवाड़ की छूट हम भारतीय देगें। 

आपको तो हमने स्वंम सत्ता पर बैठाया है आज आपने दोहरे चरित्र को संमभवता दिखला दिया है आप की सोच सबका साथ सबका विकास वाली सोच कदापि नहीं रही यह सिद्ध हो चुका है आज यह संदेश दे रहे हैं जैसे मुस्लिम भाई इस देश के नागरिक ही नहीं वे पहले अपनी नागरिकता कोई कागज़ दिखाये तब कहीं जा कर उनकी नागरिकता सिद्ध होगी। हमारे पूर्वज देश में इस कारण नही रुके थे क्योंकि वह अपने भारत देश से बहुत महोब्बत करते थे और भारत देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।
1965 भारत पाकिस्तान की जंग मे परमवीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान के कई टैंकरों को धराशाई किया और इस देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देते हुए वीरगति को प्राप्त किया, कारगिल युद्ध में कितने मुस्लिमों  ने अपनी जान देश के नाम कर दी। स्वतंत्रता पूर्व से वर्तमान समय तक राष्ट्रहित में प्रत्येक क्षेत्र मे योगदान देने के पश्चात भी अगर देश में मुसलमानों को कागज़ के टुकड़ों का मोहताज होना पड़े और किसी भी कागज़ की कमी के चलते अपनी मिट्टी से राजनीतिक द्वेष के कारण अपनी नागरिकता पर लगने वाले प्रश्न चिन्ह की चिंता प्रत्येक विरोध प्रदर्शन का प्रमुख कारण है। किस बात का प्रमाण और क्यो वह भी सिर्फ एक धर्म विशेष से यह संविधान का खुला उलंघन है।

कश्मीर क्या वहाँ सिर्फ हमारे देश की रक्षा करते हमारे अन्य धर्मों से आने वाले वीर भारत माता के सपूत ही शहीद हो रहे है, देश के लिए जान देने वालो में अनगिनत मुस्लिम भी होते है। देश की सुरक्षा के लिए तन पर वर्दी पहने के पश्चात कोई किसी धर्म विशेष का नही रह जाता वह सिर्फ एक हिंदुस्तानी होता है जो अपने प्राणों को सिर्फ हमारे और आप की सुरक्षा के लिए बलिदान कर देता है। बॉर्डर पर हर रोज मुठभेड़ होती रहती है मुस्लिम इसमें भी शहीद हो रहे क्या उनका मृतक शरीर उनके घर जाता नहीं दिखता है भारतीय फौज पूरी दुनिया में किसी से भी लोहा लेने की ताकत रखती है इसकी विशेषता है हमारे सेना में हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध सभी लोगो का मंथन है और हम अपने लक्ष्य में कामयाब हो जाता है उनके लिए सिर्फ लक्ष्य विजय प्राप्त करना। भारत देश के मुस्लिम का कहना है हम क्यो नही गये पाकिस्तान क्योकी हमें नहीं चाहिए था महोम्मद अली जिन्ना के दो भागों में बांटने वाली विभाजन कारी सोच आज वर्तमान में सरकार इतिहास को पुनः दोहराने का काम कर रही है बीजेपी सरकार क्या वोट लेने के लिए आज जिन्ना के पद्दति पर चल कर हमारे देश को फिर से एक बार आग में झुलसाना चाहती है मोदी सरकार इस देश का निवासी आपको कैसे दिखाये किस तरह समझाये आज मुस्लिम अपने देश का नागरिक है। 

पाकिस्तान आज गलत नितियों के वजह से आज पूरी दुनिया में अलग थलग लिखाई देता है आज पाकिस्तान कोई देश के समर्थन नहीं दिखता है हमारा देश ऐसा एक मात्र ऐसा देश है हमारे भारत देश को देख कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को देख कर कई देशों ने अपनी परिकल्पनाएं बदल दी ब्रेटेन, अमेरिका जैसे देश में महात्मा गांधी जी की मूर्ति स्थापित है। महोम्मद अली जिन्ना कोई सरोकार नहीं है इस देश ने पूरी दुनिया को एक साथ रहने का तरीका सलिखा सिखाया और हम विश्व गुरु बनने के प्रति सोच रहते थे हम आज इन पाच से छः सालों में किस दिशा मे जा रहे हैं क्या इस बात की परिकल्पना हमने की आज हमारे देश में दिल्ली, अलीगढ़,असम,बंगाल, के सभी विधायाथीं आज अपनी पढ़ाई अपने आगे के भविष्य को छोड़कर कर रोड़ पर प्रर्दशन करना पड़ रहा है।

हमारे देश की पुलिस फोर्स को अपराधियों के लिए अपराध के विरुद्ध गलत करते हुए व्यक्ति के बंदोबस्त के उपयोग के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है आज देश की विडंबना है जो इन विश्वविद्यालयों से पढ़ कर यह विधायर्थी इस देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री,वैज्ञानिक,जज,सांसद, विधायक, डाक्टर,ईन्जीनियर, सर्वोच्च पदों पर नियुक्त होकर देश में विदेशों भी आजाद भारत देश का हिमालय की ऊंचाई की तरह सर बाला व बुलन्द करते है उन विधार्थियों को हमारे देश की पुलिस अपराधियों से ज्यादा बर्बरता से मार रही है जैसे उनको हमारे देश में अपनी न्याय और अपनी मूलभूत मांगों के मांगने के लिए इस बर्बरता का दंश झेलना पड़ता रहा है। 

हम अपने अधिकार मांगने के लिए अपनी ही देश में आजादी नहीं मिल रही है क्या देश में अनैतिक तरिके स्त्ताधारी सरकार दबाव बनाने में प्रयास कर रही है भारत देश कभी दमनकारियो को ज्यादा दिन बर्दाश्त नहीं करता है आज विदेशों में हमारे देश की उदारवादी छवि जो सदियों से बहुचर्चित और लोकप्रिय रही है आज लज्जित धूमिल होती दिख रही है।

हम नियमों और कानूनों और संविधान चलते हुए बहुत स्यंम से बड़ी से बड़ी समस्याओ निवारण कर लेते थे वह भारतवर्ष समस्याओं से ग्रसित होता नजर आ रहा रहा है जैसे उसे लखवा मार गया है इस देश को हिन्दू बनाम मुस्लिम, मुस्लिम बनाम हिन्दू ना कर रख दिया है हम अपने किशोरावस्था में अपने पाठकों के पाठ में ऐसी कहानियां अनगिनत सुनते थे एक राजा अपने राज्य दरबारियो के साथ मिल कर आम जनता पर अपने पीड़ादायक कानून को पारित करके और सैनिक और गुप्तचरों से आदेश दिया करते थे की ऊंची आवाज से बोले उसे तत्काल दरबार में हाजिर कराओ और उसकी जुबान एक खुले मैदान में काट दो जिससे उसकी चीख का शोर अगल बगल के गांव तक पहुंच जिससे ये डर सदियों तक बना रहे और वह चैन से अपना राजपाट संभाले रहे।

आज कुछ स्थिति ऐसी बनाने के कोशिश है और बनती नजर आ रही है पहले सी ए बी उसके बाद पूरे देश में एन आर सी लागू करेंगे आज हमारा देश किस स्थिति में जिसकी जी,डी,पी 4.5 है अर्थव्यवस्था पर हमारी स्थिति बिगड़ती जा रही हैं ऐसा नहीं कि हमारे देश की जनता नहीं समझ रही आज प्रर्दशन करने और अपने अधिकारों की मांग हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध आपस मे मिलकर सभी भाई एन आर सी व सी ए बी दोनों ही विधेयक का पूरा विरुद्ध कर रहे हैं ऐसी दशंदायक सत्ताधारी सरकारें यह अब समझ रही यह वही भारत देश की जनता है जिसने हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध सभी धर्मों के लोग ने इस देश को जरा भी क्षति नहीं पहुचने दी। 

इस देश में झूम झूम कर आजादी के दिवानो ने अपनी प्राणों की आहुति दी और अपने ह्रदय में आजादी कि अलख जलाकर शहरों गांवों में सड़कों पर आकर अंग्रेजों को भारत से भागा कर ही अपनी प्रतिज्ञा पूरी की कुछ ऐसा दृश्य बनता नजर आ रहा है और आम जनता की पीड़ादायक करहाती आवाज कोई नही सुन रहा है। 

लोगों की आवाज तेज हो रही अब ऐसा लगता नहीं ये थम सकेगी अभी समय है सरकार इन लोगों की मूलभूत मांगों और पीड़ा को संज्ञान में ले जल्द से जल्द इनकी बातों को प्राथमिकता देकर हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 14 की अवमानना न हो देश पुन:अपने कालचक्र में फिर से वर्तमान स्थिति में आ जाये और अपने प्यारे से देश सभी धर्मों के लोग सुख चैन से रह सके जो हमें अनुच्छेद चौदह से सभी देशवासियों को समानता का हक मिला है वह हमें सदैव मिलता रहे यह विश्वास हर प्रत्येक देश का नागरिक चहाता है।

नोट: यह लेख का उद्देश्य किसी भी धर्म जाति व्यक्ति विशेष की भावनाओ को आहत करना नही, यह लेख लेखक द्वारा विभन्न लोगो से प्राप्त जानकारी एवम देश की वर्तमान स्तिथि को उजागर कर आप के समक्ष प्रस्तुत करना मात्र है।

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