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दुनिया को कोरोनिल खिलाता रह गया बड़बोला लाला रामदेव ...

पतंजलि डेयरी के हेड थे सुनील बंसल 

नई दिल्ली:- योग गुरु रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद के डेयरी व्यवसाय का नेतृत्व करने वाले सुनील बंसल का पिछले सप्ताह कोविड के चलते निधन हो गया। 57 वर्ष के सुनील का निधन कोविड19 से गंभीर स्थिति बनने के कारण हो गया था। दरअसल, उनके फेफड़ों में पानी भर जाने के साथ-साथ फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया था। जिसके बाद 19 मई को ब्रेन हैमरेज की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी।

डेयरी विज्ञान के विशेषज्ञ बंसल ने 2018 में पतंजलि के डेयरी व्यवसाय का कार्यभार संभाला था। वो भी तब, जब कंपनी ने पैकेज्ड गाय के दूध, दही, छाछ और पनीर सहित अन्य दूध आधारित उत्पादों को बेचने की अपनी योजना की घोषणा की थी।

 उनके एक दोस्त और पूर्व बॉस ने जानकारी दी कि "उन्हों पिछले कुछ दिनों से ECMO पर रखा गया था।"

ECMO या एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन मशीन एक मरीज के दिल और फेफड़ों के काम बंद करने के बाद इस्तमाल में लाई जाती है। साथ ही दिल और फेफड़ों को कार्य करने में मदद करती है। अन्य स्थितियों में जटिल हृदय / फेफड़े की सर्जरी से पहले / बाद में भी काम करती है।

बंसल की मृत्यु ऐसे समय में हुई है जब बाबा रामदेव ने एलोपैथिक दवाओं और कोविड के बारे में अपनी टिप्पणियों से विवाद खड़ा कर दिया है। इस हफ्ते वायरल हुई 140 सेकंड की एक क्लिप में रामदेव को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि "कोविड19 के इलाज के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोग मारे गए हैं"।

उन्होंने कहा था, "हमने ऑक्सीजन की कमी के बजाय एलोपैथिक दवाओं के कारण लाखों लोगों (कोविड -19 रोगियों) को खो दिया है।"

साथ ही उन्हें वीडियो में कोविड -19 के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल करते हुए भी सुना जा सकता है।

इसी टिप्पणी पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था। लेकिन पतंजलि ने इस आरोप का खंडन करते हुए, साफ तौर पर इनकार किया कि रामदेव ने एलोपैथी का अपमान किया है। साथ ही ये आचार्य बाल कृष्ण ने एक पत्र लिख कर ये भी कहा कि वो केवल "फॉरवर्ड व्हाट्सएप संदेश" पढ़ रहे थे। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रामदेव को पत्र लिखकर कहा कि उनका बयान कोविड फ्रंटलाइन पर काम कर रहे डॉक्टरों का अपमान है और उन्हें इसे वापस लेना चाहिए।

पतंजलि ने पिछले साल भी उस समय विवाद खड़ा कर दिया था जब उसने कोरोनिल नामक आयुर्वेदिक दवाओं का एक पूरा पैकेज कोविड19 के इलाज के रूप में बेचना शुरू किया था। यहां यह ध्यान में रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि कोविड -19 का इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है।

जिस पर सरकार ने नाराजगी जताई थी क्योंकि पतंजलि ने इलाज के रूप में इसकी प्रभावकारिता साबित करने के लिए अपेक्षित नैदानिक ​​परीक्षण डेटा प्रस्तुत नहीं किया था। लाइसेंस के बिना उत्पाद का विपणन किया था। कोरोनिल को तब से एक कोविड सहायक उपचार और प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में तैयार किया गया है।

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