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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को किसान बताते हैं ...

भूखे पेट न अर्जित होवे कोई ज्ञान,न समझ आवे गीता,न कोई पढ़े कुरान

मध्य प्रदेश में किसानों के हाल किसी से छुपे नहीं है किसानों के मुद्दे पर बीजेपी इस बार कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि किसानों को पानी तक नहीं मिल रहा लेकिन बीजेपी कहती है किसानों का ये हाल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बनाया ये हाल तब हैं जब मध्य प्रदेश विधान सभा में मुख्यमंत्री सहित दो दर्जन मंत्री और 156 विधायक खुद को किसान कहते हैं।

प्रदेश की करीब 2 करोड़ आबादी या तो खेती करती है या तो खेती से जुड़े काम करती है प्रदेश में किसानों का मुद्दा विपक्ष के लिए हमेशा से मुफीद रहा बीते कुछ साल में प्रदेश में किसानों की आत्महत्या के केस लगातार बढ़े कांग्रेस का कहना है पिछले 5 साल में 4 हज़ार से ज़्यादा किसानों ने आत्महत्या की।

किसान आंदोलन के बाद किसानों का गुस्सा भी किसी से छुपा नहीं है ये हाल तब है जब मध्यप्रदेश की विधान सभा में सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व खेती-किसानी से जुड़े नेताओं का है।

एमपी के 230 में से 156 विधायकों की आजीविका का साधन कृषि है।दो दर्जन मंत्रियों ने अपने अपने शपथपत्र में व्यवसाय में कृषि लिखा है.मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी खुद को किसान ही बताते हैं राजघराने से जुड़ी माया सिंह और दिव्यराज सिंह ने भी कृषि को आय का साधन बताया पारुल साहू, रंजना बघेल, अजय सिंह सहित करीब सभी विधायकों के परिवार खेती से जुड़े हैं। इनके अलावा 34 विधायक व्यापार से जुड़े हैं। बाकी में से 2 डॉक्टर, 13 वकील 2 गृहिणी, 2 पत्रकार, 3 ठेकेदार और 8 अन्य हैं। 11 विधायकों ने तो अपने व्यवसाय का उल्लेख ही नहीं किया है।किसानों की स्थिति को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों आमने सामने हैं। कांग्रेस का कहना है प्रदेश में पानी नहीं है लेकिन शराब बिक रही है लेकिन बीजेपी सीना चौड़ाकर दावा कर रही है कि शिवराज सरकार ने जितना किसानों के लिए किया उतना किसी और ने नहीं किया।

आरोप प्रत्यारोप तो राजनीति के प्रमुख हिस्सा है,पर नुकसान किस का हो रहा है,मर कौन रहा है,घर परिवार बर्बाद किस के हो रहे है,कृषि प्रधान देश के अंदत्ता का राजनीतिक शोषण कब समाप्त होगा या कभी होगा भी नही,सत्ता के केंद्र तक का गलियारा क्या इसही प्रकार इनके लहू के धब्बों से रक्तरंजित रहेगा,अगर जल्द ही हमारी सरकारें प्रदेशो एवं केंद्र की अपनी कुम्भकर्णी नींद से नही जागी तो आने वाले समय का भारत अपने इतिहास पर जन्मों तक प्राश्चित भी करने योग्य नही बचेगा,जब अंदात्ता ही नही तो क्या होगा,भूखे पेट न अर्जित होवे कोई ज्ञान,न समझ आवे गीता,न कोई पढ़े कुरान।

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