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कोरोना काल में लोग विटामिन-डी की कमी को लेकर परेशान ...

जानिए इसके बारे में सबकुछ

भारत समेत दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में अब तक 94 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि एक लाख 37 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि सरकार का कहना है कि भारत में प्रति दस लाख आबादी पर कोरोना वायरस से होने वाली मौतें अन्य देशों के मुकाबले दुनिया में सबसे कम हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देशभर में प्रतिदिन कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 500 से कम है। फिर भी आखिर लोग मर तो रहे हैं और इससे पूरी तरह बचने का फिलहाल सिर्फ एक ही उपाय नजर आ रहा है और वो है वैक्सीन, लेकिन सवाल ये भी है कि क्या कोरोना वैक्सीन आने के बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा? आइए इस बारे में विशेषज्ञ से जानते हैं और साथ ही कोरोना से जुड़े अन्य जरूरी सवालों के जवाब भी... 

संक्रमित होने पर कितने दिन में लक्षण आते हैं? 

डॉ. नरेंद्र सैनी बताते हैं, 'कोरोना में इनक्यूबेशन पीरियड 2-14 दिन तक का होता है। अगर संक्रमित हुए हैं तो इस दौरान लक्षण आ जाते हैं। हालांकि जरूरी नहीं है कि हर किसी को लक्षण नजर आएं। अगर किसी की इम्यूनिटी अच्छी है तो वायरस शरीर को प्रभावित नहीं कर पाता है, और तो और शरीर के अंदर बढ़ भी नहीं पाता है। कुछ दिन में धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। जब ये तेजी से बढ़ता है तो अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है और तब लक्षण नजर आते हैं।' 

फेवीपिराविर किस स्थिति में लोगों को दी जाती है? 

डॉ. नरेंद्र सैनी बताते हैं, 'विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के दिशा-निर्देशों के तहत फेवीपिराविर या रेमेडेसिवीर, आदि दवाएं सभी को नहीं दी जाती हैं। डॉक्टर ये दवा केवल उनको देते हैं, जिन्हें जरूरत होती है, क्योंकि ये दवाएं भी ट्रायल स्टेज पर हैं। अभी तक कोरोना की कोई दवा नहीं है, इसलिए दवा के चक्कर में न पड़ें। अपनी इम्यूनिटी बनाए रखने के लिए ताजा भोजन, फल, हरी सब्जियां आदि का सेवन करें और मास्क जरूर लगाएं।' 

कोरोना काल में लोग विटामिन-डी की कमी को लेकर परेशान हैं, उनसे क्या कहेंगे? 

डॉ. नरेंद्र सैनी कहते हैं, 'विटामिन-डी कोरोना से बचने के लिए नहीं बल्कि हमेशा शरीर के लिए महत्वपूर्ण है। पहले लोगों में विटामिन-डी की कमी नहीं होती थी, क्योंकि लोग धूप में बैठते थे, बाहर आने-जाने पर धूप मिलती थी, लेकिन अब समय के साथ बदलाव आया है। लोग ज्यादातर समय घर के अंदर या ऑफिस में रहते हैं और शाम को बाहर निकलते हैं। इस वजह से उन्हें सही मात्रा में विटामिन-डी नहीं मिल पाता है। विटामिन-डी के लिए सप्लीमेंट लेने से अच्छा है धूप में समय बिताएं।' 

वायरस से बचने में ग्लव्स कितनी सुरक्षा प्रदान करता है? 

डॉ. नरेंद्र सैनी बताते हैं, 'ग्लव्स वायरस की सुरक्षा में उतना कारगर नहीं होता है, क्योंकि अगर आम आदमी ग्लव्स पहनता है और उस हाथ से किसी सतह को छूने के बाद अपने नाक, मुंह या आंख को छूता है, तो ग्लव्स के जरिए वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है। इसे हर आदमी को पहनने की जरूरत नहीं है। हाथ धुलते रहना ही काफी है।' 

क्या वैक्सीन आने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा? 

आईएमए के पूर्व सचिव डॉ. नरेंद्र सैनी के मुताबिक, 'वैक्सीन आने की सूचना है, लेकिन कब आएगी ये कहना मुश्किल है। अभी संभावना जताई जा रही है कि जनवरी-फरवरी तक आ जाएगी, लेकिन जब तक नहीं है तब तक नियमों का पालन करना है। वैक्सीन आने के बाद भी वायरस का संक्रमण न हो, उसके लिए मास्क पहनना होगा और सुरक्षित दूरी का पालन करना होगा।' 

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