कब्जा करने वाले लोग ट्रेन को आगरा से निजामुद्दीन लेकर आ गए.. ...
मुंबई से निजामुद्दीन के बीच चलने वाली राजधानी ट्रेन पर आगरा में जबरन कब्जा कर लिया,जी हाँ ट्रेन पर कब्जा। ट्रेन उस वक्त मुंबई से निजामुद्दीन आ रही थी। कब्जा करने वाले लोग ट्रेन को आगरा से निजामुद्दीन लेकर आ गए। ट्रेन पर कब्जा करने वाले लोग आगरा रेल डिवीजन के लोको पायलट थे। इनका कहना था कि ट्रेन को हम चलाएंगे, जबकि ट्रेन में झांसी डिवीजन का लोको पायलट स्टाफ मौजूद था।हैरानी की बात यह है कि 24 घंटे से अधिक समय के बाद ट्रेन को छीनने वाले आरोपियों के खिलाफ सोमवार की दोपहर निलंबन की कार्रवाई की गई,लेकिन शाम होते-होते उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया। आगरा में रेलवे यूनियन के पदाधिकारी सुकेश यादव ने इस बारे में बताया, 'झांसी और दिल्ली डिवीजन के मुकाबले आगरा डिवीजन को कम ट्रेन का संचालन दिया गया है, जबकि झांसी और दिल्ली डिवीजन के पास ज्यादा ट्रेन हैं। जिसके चलते हमारे लोको पायलट को कम ट्रेन चलाने को मिलती हैं। वहीं दूसरी ओर जब नई वीआईपी ट्रेन के ट्रॉयल की बारी आती है तो इसकी जिम्मेदारी आगरा डिवीजन को दी जाती है। हमने राजधानी ट्रेन छीन कर अपना हक मांगा है।'
नॉथ सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ गौरव कृष्ण बंसल ने बताया, नई ट्रेन चलाने को लेकर डिवीजन के बीच होड़ रहती है। इसी के चलते आगरा डिवीजन का लोको स्टाफ राजधानी ट्रेन को आगरा से लेकर निजामुउद्दीन आ गया था। जबकि ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी झांसी डिवीजन को दी गई है। जिसके चलते आगरा डिवीजन के तीन लोगों के खिलाफ प्रतीकात्मक कार्रवाई की गई थी। रेलवे से जुड़े जानकारों की मानें तो कोई भी नई और वीआईपी ट्रेन का संचालन मिलने से उस डिवीजन का कद बढ़ता है जो उसका संचालन करेगा. वहीं एक ट्रेन मिलने से कम से कम 3 से 4 लोगों का स्टाफ बढ़ जाता है। सबसे अहम ये कि जितनी ज्यादा ट्रेनों का संचालन होगा उतना ही लोको पायलट ट्रेन चलाएगा और प्रति किमी के हिसाब से उसे भत्ता मिलेगा।
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