मध्यप्रदेश में अधर में लटका सरकारी कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता ...
भोपाल
राज्य सरकार ने आईएएस,आईपीएस एवं आईएफएस अफसरों का महंगाई भत्ता जुलाई 2018 से दो प्रतिशत बढ़ा दिया है पर प्रदेश के लाखों अधिकारी-कर्मचारियों का मामला अटक गया है।राज्य सरकार अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं कर पाई है। वहीं पेंशनर्स को कर्मचारियों से भी दो प्रतिशत कम यानी पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता ही मिल रहा है। दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने भत्ता बढ़ाने हेतु अभी तक सहमति नहीं दी है। बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के मद्देनजर अब एक या दो कैबिनेट और होंगी। इसमें यदि फैसला नहीं होता है तो मामला लंबा खिंच सकता है।सूत्रों के मुताबिक 22 सितंबर को सामान्य प्रशासन विभाग ने अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को सात की जगह नौ फीसदी महंगाई भत्ता एक जुलाई से देने के आदेश दिए हैं। प्रदेश के कर्मचारियों का भत्ता बढ़ाने का फैसला कैबिनेट में होगा। इसके लिए वित्त विभाग ने प्रारंभिक तैयारियां भी कर ली हैं पर अभी तक एजेंडा बैठक में रखने का फैसला नहीं हुआ है। प्रदेश में सैद्धांतिक रूप में जिस दिन से केंद्र सरकार महंगाई भत्ता बढ़ाती है, उस दिन से लागू करने का नीतिगत फैसला हो चुका है।
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दो फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाने से काफी वित्तीय भार खजाने पर आएगा। चुनाव के समय में पूरा फोकस मैदानी कामों पर है, इसलिए राशि भी उन्हीं विभागों को प्राथमिकता में दी जा रही है जिनका व्यापक असर है। यही वजह है कि महंगाई भत्ता बढ़ाने को लेकर कहीं कोई सुगबुगाहट भी नहीं है।उधर, पेंशनर्स का मामला छत्तीसगढ़ की सहमति में अटक गया है। बताया जा रहा है कि वित्त विभाग के अधिकारी कई बार छत्तीसगढ़ के अधिकारियों से बात कर चुके हैं पर अभी तक महंगाई भत्ता बढ़ाने पर सहमति नहीं बनी है। राज्य बंटवारा अधिनियम के तहत जब भी पेंशनर्स का महंगाई भत्ता बढ़ाया जाता है तो दोनों राज्यों की सहमति जरूरी है।अब देखना है कि आगामी चुनाव से पूर्व सरकार कर्मचारियों का भुकतान कर पाती है, यह कर्मचारियों की नाराज़गी चुनाव के नतीजो पर असर डालेंगी।
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