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लक्ष्मी कॉटसिन ने 16 बैंकों के डुबाए 2700 करोड़ ...

 डॉ. एमपी अग्रवाल पर है 5200 करोड़ की बकायेदारी 

टेक्सटाइल और प्रतिरक्षा उत्पाद बनाने वाली शहर की जानी मानी कंपनी श्री लक्ष्मी कॉटसिन ने भी 16 बैंकों के 2700 करोड़ रुपये डुबो दिए हैं। हालांकि इस कंपनी के मालिक एमपी अग्रवाल की अलग-अलग कंपनियां करीब 5200 करोड़ रुपये की कर्जदार हैं। बैंकों ने कर्ज वसूली के लिए इनकी चार संपत्तियों की नीलामी कर दी है।
बाकी की वसूली के लिए प्रकरण अभी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल  (एनसीएलटी) में चल रहा है। 10 फरवरी को इसकी सुनवाई है। शहर में 3500 करोड़ रुपये से अधिक की कर्जदारी का यह तीसरा मामला है। पहला मामला रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी का सामने आया था। कोठारी को 3690 करोड़ रुपये की बकायेदारी पर सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।


दूसरा मामला हीरा कारोबारी उदय देसाई का है। इन पर 3592 करोड़ की बकायेदारी में सीबीआई ने हाल ही में रिपोर्ट दर्ज की है। एमपी अग्रवाल के प्रकरण को सुलझाने के लिए एनसीएलटी का सहारा लिया है। इन पर कुल 5200 करोड़ की बकायेदारी है, जिनमें से 2700 करोड़ के खाते एनपीए हो गए हैं। लक्ष्मी कॉटसिन का पंजीकृत कार्यालय कृष्णा नगर में है।

कंपनी मुख्य रूप से टेक्सटाइल, गृह सज्जा और प्रतिरक्षा उत्पाद बनाती थी। कंपनी की तमाम फैक्टरियाें में उत्पादन ठप हो चुका है। सहयोगी कंपनियों की नीलामी हो रही है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एवं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने इनकी शेयर ट्रेडिंग को निरस्त कर दिया है। न तो कोई व्यक्ति इनके शेयर को बेच सकता है और न ही खरीद सकता है।

करीब एक दशक पहले अच्छा व्यवसाय करने के बावजूद बीते पांच वर्षों में कंपनी की हालत खराब होती गई। बताते हैं कंपनी का विस्तार करने की महत्वाकांक्षा की वजह से उद्योगपति डॉ. एमपी अग्रवाल कई बैंकों के कर्जदार हो गए। वैश्विक मंदी के दौर में कार्यशील पूंजी के अभाव में कंपनी का उत्पादन प्रभावित हुआ और समय पर कर्ज की रकम अदा होनी बंद हो गई। 

लक्ष्मी डिफेंस सॉल्यूशंस भी होगी नीलाम 

उद्योगपति डॉ. एमपी अग्रवाल की एक और कंपनी मैसर्स श्री लक्ष्मी डिफेंस सॉल्यूशंस लिमिटेड की नीलामी होने जा रही है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने करीब 11 करोड़ रुपये की बकायेदारी पर इस कंपनी की बिंदकी (राहशूपुर गांव) फतेहपुर में 1.797 हेक्टेयर भूमि पर बनी फैक्टरी, प्लांट व मशीनरी की नीलामी के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की है।

दोनों के लिए पांच करोड़ 52 लाख रुपये की बोली आरक्षित की गई है। इस कंपनी पर 11 करोड़ की बकायेदारी पर बैंक ने 23 जनवरी 2015 को मांग सूचना जारी की थी। बकाया न मिलने पर पांच मई 2015 को संपत्तियों को कब्जे में ले लिया था। अब चार साल बाद नीलामी की तारीख तय हो पाई है। 

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