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अंधाधुंध एंटीबायोटिक खाने से महाबली बना बैक्टीरिया ...

कोर्स बीच में छोड़ना खतरनाक

कानपुर में अंधाधुंध एंटीबायोटिक के इस्तेमाल और इसका कोर्स बीच में छोड़ देने की लोगों की आदत से बैक्टीरिया महाबली हो गया है। पहली बार सेंसिटिविटी टेस्ट में एक बैक्टीरिया ऐसा मिला है, जिस पर किसी एंटीबायोटिक का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
इस बैक्टीरिया ने अंतिम ड्रग मानी जानी वाली कोलेस्टीन और बैंको माइसिन को भी पछाड़ दिया है। ग्राम पॉजिटिव और ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया की एंटी बायोटिक संवेदनशीलता की जांच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का माइक्रोबायोलॉजी विभाग कर रहा है।

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) का एंटी माइक्रोब्रियल रिसेस्टेंस सर्विलांस प्रोजेक्ट माइक्रोबायोलॉजी विभाग में चल रहा है। इसके तहत रोगियों की जांच करके यह देखा जाता है कि एंटी बायोटिक के प्रति बैक्टीरिया में कितनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है।

इसकी रिपोर्ट हर तीसरे महीने एनसीडीसी को भेजी जाती है। इस बार जांच में एक बैक्टीरिया ऐसा पाया गया जिसमें कोलेस्टीन और बैंको माइसिन एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। इसके बाद अब कोई एंटीबायोटिक नहीं है। यह स्थिति परेशान करने वाली है। इस बैक्टीरिया का संक्रमण अस्पताल और आम गंदगी से हो सकता है।

इस वजह से बैक्टीरिया हो रहे रिसेस्टेंट

1- अपने स्तर से दवाएं मेडिकल स्टोर से खरीद कर खा लेना।
2- मेडिकल स्टोर वाले को बीमारी बताकर दवा ले लेना।
3- नीम-हकीमों के बिना-सोचे समझे मरीजों को एंटीबायोटिक खिलाना।
4- एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा किए बिना बीच में छोड़ देना।
5- जुकाम, डायरिया सरीखे वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक खाने की आदत।
6- ग्राम निगेटिव और पॉजिटिव श्रेणी के बैक्टीरिया से त्वचा, पेट, मूत्र समेत अन्य संक्रमण और बीमारियां होती हैं।

बैक्टीरिया में हाई लेवल रिसेस्टेंस पाई जा रही है। एंटीबायोटिक का अंधाधुंध इस्तेमाल, रोगियों के ओवर दि काउंटर खरीद तथा इलाज के बीच में दवा छोड़ देने की आदत से बैक्टीरिया में रिसेस्टेंस बढ़ रहा है। पहले जिन एंटीबायोटिक से शत-प्रतिशत सेंसिटिविटी आती थी, अब बैक्टीरिया उससे रिसेस्टेंट हो रहे हैं। - डॉ. सुरैया अंसारी, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज 

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