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पत्रकारों के शोषण,दमन के विरुद्ध आईरा का आईजी को ज्ञापन ...

शासन प्रशासन की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध हुए पत्रकार एक जुट

कानपुर:- देश के चौथें स्तम्भ पर लगातार किये जा रहे हमलों, लोकतांत्रिक व्यवस्ता को अस्त व्यस्त कर निष्पक्ष पत्रकारिता का दमन करने को आतुर सत्ता में आसीन विधायक एवं धृतराष्ट्र की भूमिका का निर्वाहन करते प्रदेश प्रशासन के विरुद्ध आईरा (ऑल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन) के तत्वाधान में आई जी मोहित अग्रवाल को सौंपा गया ज्ञापन। आईरा सदस्यों द्वारा कानपुर देहात संग अन्य सभी पत्रकारों के विरुद्ध हुई घटनाओ पर विरोध जताते हुए एवं शासन द्वारा बिना किसी जांच के पत्रकारों पर दर्ज किए जा रहे मुकदमों की वापसी एवं देश के चौथें स्तम्भ की छवि को धूमिल करने वाले तत्वों के विरुद्ध तुरंत कार्यवाही की मांग की। 

सत्ता के नशे में चूर नेताओं के दिन पूरे होने वाले है:-ज़िला अध्यक्ष आईरा आशीष त्रिपाठी

कानपुर देहात प्रकरण पर आईरा ज़िला अध्यक्ष आशीष त्रिपाठी द्वारा प्रकाश डालते हुए कहा गया, वर्तमान समय सत्ता में आसीन सरकार की नीतियां अशोभनीय है जिस प्रकार देश के चौथें स्तम्भ का दामन सत्ता में आसीन लोगों द्वारा किया जा रहा है वह इतिहास के पन्नो में दर्ज विदेशी आक्रमणकारियों, अग्रेज़ों के शासनकाल की पीड़ादायक यादों की पुनावृत्ति समान ही है।

कानपुर देहात की घटना हो या पत्रकार साथी IPN न्यूज़ के डायरेक्टर विजय यादव के विरुद्ध भोगनीपुर भाजपा विधायक विनोद कटियार द्वारा दर्ज कराया गया फ़र्ज़ी मुक़दमा हो, बिल्हौर आईरा महामंत्री टीकम सिंह को चौबेपुर पुलिस महकमें द्वारा झूठे मुक़दमे में फंसाने का निंदनीय कार्य माननीय ऊँच्च न्यायालय के निर्देश के विरुद्ध जाते हुए जिस में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है बिना किसी ठोस प्रमाण एवं जाँच के बिना किसी भी पत्रकार पर फ़र्ज़ी मुकदमें नही लगाए जा सकते है।स्पष्टरूप से बताता है यूपी की मित्र पुलिस एवं उनके काकाओ को कहाँ किसी की चिंता, संविधान की शपत तो मात्र आडंबर है शासन एवं प्रशासन के लिए।

बांटो और शासन करो:- आईरा प्रदेश प्रवक्तता फ़ैसल हयात

जिस प्रकार आज पत्रकारों को अपनी सुविधा अनुसार श्रेणीयों में विभाजित कर सरकार निष्पक्ष पत्रकारिता का गला घोंट चाटुकारिता करवाना चाहती है वह संभव नही है।जनता की आवाज़ है पत्रकार सत्य कहना लिखना और दिखाना ही पत्रकार का धर्म है, परंतु आज सत्ता के अधीन नतमस्तक कुछ मीडिया संस्थानों एवं पत्तलकारो ने पत्रकारिता का स्वरूप ही बदल दिया है, आज पत्रकारिता एवं पत्रकार कैसे परिभाषित किये जाते है देख और सुन कलम के सच्चे सिपाहियों के हृदय को कुंठित करता है, सर शर्म से झुक जाता है।

सोई सरकारों को जगाना कलमकारों को आता है :- आईरा ज़िला महामंत्री मयंक सैनी

सरकार ने अपनी नीतियों में सुधार नही किया तो न सिर्फ प्रदेश में देश भर में आईरा समस्त पत्रकारों की आवाज़ बन वह चाहें किसी भी संस्था से संबंध रखता हो सहयोग मांगने पर शांति पूर्वक संविधानिक कार्यवाही में सहयोग करेंगी।

मयंक सैनी द्वारा आगे बताते हुए कहा गया कि हम प्रत्येक घटनाक्रम पर अपनी दृष्टि रखें है। विधिवत कार्यवाही के संग शातिपूर्ण रूप से आईरा पूर्व में भी पत्रकार हितों के लिये प्रतिबध्य थी एवं भविष्य में भी पत्रकार बंधुओ के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है। हम आशा करते है सरकारें जल्दी से जल्द कुम्भकर्णी नींद से जाग जाए अन्यथा हम क़लम के शोर से जगाना जानते है।

बड़ी संख्या में उपस्थित रहे पत्रकार

आई जी कार्यालय पर आज बड़ी संख्या में ऑल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन के पत्रकारों द्वारा अपनी संगठित शक्ति का प्रदर्शन किया गया। 150 सौ से अधिक की संख्या में आईरा की सभी इकाइयों प्रदेश मंडल ज़िला के पदाधिकारी एवं सदस्यों ने अपनी उपस्तिथि दर्ज करा पत्रकारों के दमन एवं शोषण के विरुद्ध एक स्वर में विरोध दर्ज कराते हुए सत्ता के नशे में चूर उन सभी को संदेश दिया कि कलम का वार तलवार की मार से ज़्यादा घातक होता है, सब आते जाते है नेता हो या अभीनेता, नौकरशाह हो या प्रशासनिक अधिकारी सब का आवागमन सरकारों की सुविधा अनुसार निश्चित है,परंतु पत्रकार अपने स्थान अर्थार्त पत्रकारिता करता है अपनी आखरी सांस तक पत्रकार ही रहता है, उसके कलम की धार कभी कुंद नही पड़ती और न ही किसी की गुलाम हो सकती है जब तक वह अपने ज़मीर का सौदा कर अपने पत्रकारिता के धर्म के विरुद्ध जा श्रेणी में न बंटे।

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