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जीवीएसएम को जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की दरकार ...

जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की जरूरत

देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर में भी अब तक दो मरीज मिल चुके हैं। लोगों में वायरस को लेकर काफी खौफ है, लेकिन इससे निपटने के लिए कानपुर में किसी तरह की तैयारी देखने को नहीं मिल रही है। पिछले एक महीने से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की मांग कर रहा है, पर प्रशासन सिर्फ चुनावी तैयारियों में लगा हुआ है। जीएसवीएम के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया, मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में रोजाना 4 से 5 हजार जांच की जाती है। लेकिन जिस तरह से कोरोना के वायरस में बदलाव हो रहा है, उसकी जांच करने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की जरूरत है, जिससे सैंपल के डीएनए की जांच कर उसके वैरिएंट का पता लगाया जा सके। अभी सैंपल को केजीएमयू भेजा जा रहा है। यहां से रिपोर्ट आने में काफी देर हो जाती है, जिस कारण मरीज का समय से इलाज नहीं हो पाता है।

प्रस्ताव ठंडे बस्ते में

डॉ. काला ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए प्रशासन ने मेडिकल कॉलेज में जरूरी उपकरणों की लिस्ट मांगी थी। मेडिकल कॉलेज की ओर से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की डिमांड की गई थी। यह प्रस्ताव नवंबर के आखिरी हफ्ते में भेज दिया गया था। लेकिन अभी तक प्रस्ताव अप्रूव नहीं हो पाया है। बता दें कि प्रदेश भर के पांच मेडिकल कॉलेज में जीमोन सिक्वेंसिंग मशीन लगाई जानी थी।

20 लाख रुपए है मशीन की कीमत

शहर के कई प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटरों में यह मशीन लगी हुई है। डॉ. संजय काला ने बताया, यह मशीन मेडिकल कॉलेज में अब तक लग जानी चाहिए थी, इसकी कीमत 15 से 20 लाख रुपए के बीच होती है। जिसमें एक बार में 96 सैंपल की टेस्टिंग हो सकती है।

बदलते स्ट्रेन की पहचान की जा सकेगी

डॉ. संजय काला ने बताया, जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन से वायरस के किसी भी स्ट्रेन की पहचान की जा सकेगी। यानी कोरोना वायरस के डीएनए में किसी भी तरह का बदलाव हुआ तो डीएनए एनालाइजर मशीन की पकड़ में आ जाएगा। ओमिक्रॉन ही नहीं, बल्कि कोई भी अज्ञात म्यूटेशन की मशीन से पहचान हो सकेगी और इस प्रक्रिया से इलाज करने में भी आसानी होगी।

पूरे प्रदेश में नहीं है यह मशीन

जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन प्रदेश में सिर्फ केजीएमयू में है। वहां प्रदेश भर के सैंपल भेजे जाते हैं। डॉ. संजय काला ने बताया, अभी तक डीएनए सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल केजीएमयू, दिल्ली और पुणे भेजे जाते हैं। बाहर जांच करवाने का खर्च करीब 6500 से 7000 रुपए आता है। अगर सरकार इसकी जांच किट्स उपलब्ध करा दे तो यह जांच मेडिकल कॉलेज में सिर्फ 2000 से 2500 रुपए के बीच हो सकेगी।

यूपी में 107 ओमिक्रोन के मरीज

बता दें कि यूपी में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. 24 घंटे में प्रदेश में 7 हजार 6 सौ 95 नए संक्रमित मरीज पाएं गए है। इस बीच महज 253 लोग कोरोना से रिकवर हुए। इसी के साथ प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या 25 हजार 974 तक पहुंच गई है। इनमें से 25 हजार 445 लोग होम आइसोलेशन में है। वहीं, अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की संख्या 529 है. वहीं ओमिक्रॉन के कुल मरीजों की संख्या 113 है। इनमें से 6 रिकवर कर चुके हैं। जबकि सक्रिय मरीजों की संख्या 107 है।

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