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कानपुर में बने वेंटिलेटर की विदेशों में डिमांड ...

90 दिन में बनकर तैयार हुआ था, प्रदेश से नहीं मिला एक भी आर्डर

आईआईटी कानपुर इनक्यूबेटेड सेल में तैयार हुआ वेंटिलेटर देश के 1500 से अधिक अस्पतालों में अपनी सप्लाई कर चुका है। अब तक आईआईटी इनक्यूबेटर नोका रोबोटिक्स द्वारा बनाए गए वेंटिलेटर को देश भर के कई प्रदेशों की सरकारों ने खरीदा लेकिन 2020 और 2021 की दूसरी कोरोना लहर झेलने के बाद भी यूपी की योगी सरकार ने एक भी वेंटिलेटर का आर्डर आईआईटी कानपुर को नहीं दिया।

इन प्रदेशों में की है सप्लाई

आईआईटी इनक्यूबेटर नोका रोबोटिक्स ने अब तक दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात की सरकारों को वेंटिलेटर सप्लाई किए है। यह सभी वेंटिलेटर सरकारी अस्पतालों में लगाए गए है। इसके अलावा इन प्रदेशों के प्राइवेट हॉस्पिटल में भी इन वेंटिलेटर की काफी डिमांड है।

विदेशों में भी है सप्लाई

नोका रोबोटिक्‍स के फाउंडर निखिल कुरेले ने बताया, हम लोगों इस समय पूरी तरह भारत में ही इन वेंटिलेटर की डिमांड पूरी करने में लगे है। कोरोना की तीसरी लहर से पहले हम लोग हर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतना चाहते है। अब तक हम लोगों ने नेपाल के साथ साथ दो अन्य साउथ एशियन देशों को अपने वेंटिलेटर के ऑर्डर पूरे किए है। जिनकी संख्या 2000 के ऊपर थी। नेपाल को हमने अब तक 800 वेंटिलेटर दिये है।

यूपी सरकार क्यों नहीं दे रही है ऑर्डर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए स्लोगन वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत का सपना शायद यूपी की सरकार अभी तक नहीं समझ पाई है। कोरोना संकटकाल में वेंटिलेटर को लेकर मची मारामारी के बावजूद यूपी सरकार अपनी आंखें नहीं खोल पाई।

कानपुर के ही मेडिकल कॉलेज में पीएम फुण्ड्स से खरीदे गए 26 वेंटिलेटर एक साल से स्टोर में पड़े धूल खा रहे है। कोरोना की पहली लहर में मरीजों की जान बचाने के लिये इनको शासन से हैलेट अस्पताल भेज गया था। कोरोना की दूसरी लहर आयी तब भी इन 26 वेंटिलेटरो की जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली। 26 वेंटिलेटर अपनी बारी का इंतजार ही करते रहे।

यूपी के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में विदेशी वेंटिलेटर

यूपी में ज़्यादातर अस्पतालों में विदेशी वेंटिलेटर लगे है। कानपुर के जीतने भी सरकारी अस्पताल है सभी में विदेशी वेंटिलेटर है। जबकि इनमे से आधे से ज्यादा खराब पड़े है। कई अस्पतालों में वेंटिलेटर कबाड़ में पड़े हैं, नए वेंटीलेटर काफी महंगे भी हैं। ऐसे में आईआईटी कानपुर भारतीय पुर्जों से बने के वेंटिलेटर मार्केट में लाया है। यह अन्य वेंटिलेटर की तुलना में काफी कम दामों में उपलब्ध हैं।

आईआईटी प्रशासन बोला-यूपी सरकार से नहीं मिला रिस्पांस

आईआईटी प्रशासन का कहना है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात में तो इन वेंटीलेटर की डिमांड है। लेकिन यूपी सरकार की ओर से कोई रिस्पांस नहीं मिला है। कई बार सरकार से मीटिंग तय हुई, आला अधिकारियों को डेमो भी दिखाए गए लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई भी पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिला है।

अधिकारियों का कहना है कि अन्य अस्पतालों में इस्तेमाल हो रहे नौका रोबोटिक्स के इन वेंटीलेटर का अच्छा रिस्पांस आया है। वरिष्ठ प्रोफेसर अमिताभ बंधोपाध्याय और एसआईआईसी के राहुल पटेल का कहना है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात के कई अस्पतालों में इन वेंटिलेटर का इस्तेमाल हो रहा है। कई डॉक्टरों ने अच्छा रिस्पांस दिया है। पूरे देश में करीब 1500 वेंटिलेटर चल रहे हैं।

90 दिन में तैयार हुआ था वेंटिलेटर

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाते हुए आईआईटी कानपुर ने कोरोना संकट काल में 90 दिनों के भीतर वेंटिलेटर तैयार किया है। 2020 में जब महामारी में पांव पसारे तो आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय के नेतृत्व में 2 छात्रों निखिल कुरेले और हर्ष राठौर ने मिलकर इस वेंटीलेटर को तैयार किया। उनके साथ वैज्ञानिकों डॉक्टर की टीम भी लगी जिन्होंने वेंटिलेटर की बारीकियों से रूबरू कराया।

काफी सस्ता है वेंटिलेटर

आईआईटी का वेंटिलेटर अन्य वेंटिलेटर के मुकाबले काफी सस्ता है। इसकी विशेष बात है कि इसमें इस्तेमाल होने वाले सारे पार्ट भारतीय हैं। आईआईटी वेंटिलेटर की कीमत 3:50 लाख से चार लाख रुपए के बीच में है जबकि अन्य कंपनियों के वेंटिलेटर आठ लाख से शुरू होकर 12 से 15 लाख तक जाते हैं।

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