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पनकी मंदिर के बड़े महंत की गद्दी बनी अखाड़ा ...

 कृष्ण या बालकदास ?

कानपुर:- श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर पनकी के ब्रह्मलीन बड़े महंत बाबा रमाकांत की गद्दी अखाड़ा बन गई है। वसीयत के आधार पर अपना पक्ष मजबूत कर रहे महंत कृष्णदास के बाद सोमवार को बालकदास के समर्थन में महामंडलेश्वर महंत जितेंद्रदास जिलाधिकारी से मिले। उन्होंने मंदिर की परंपरा का हवाला देते हुए बालकदास को असली उत्तराधिकारी बताया। उधर, महंत कृष्णदास ने खुद की जान को खतरा बताते हुए मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी को चिट्ठी लिखी है।

जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी को सौंपे ज्ञापन में महंत जितेंद्रदास ने कहा है कि मंदिर की परंपरा के अनुसार ब्रह्मचारी ही यहां महंत बनता आया है। महंत कृष्णदास गृहस्थ होने के नाते बाबा रमाकांत के उत्तराधिकारी नहीं हो सकते। मंदिर की परंपरा बनाए रखने के लिए उन्होंने ब्रह्मचारी संत बालकदास को बडे़ महंत का उत्तराधिकारी बनाने की मांग रखी। साथ ही जानकारी दी कि इसे ध्यान में रखते हुए ही रविवार को अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा की ओर से बालकदास को उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया है। इस पर महंत कृष्णदास शहर के प्रमुख संतों के साथ जिलाधिकारी से भी मिले थे।

बदलते रहे उत्तराधिकारी

बड़े महंत बाबा रमाकांत नौ मई को ब्रह्मलीन हुए थे। इन्होंने 1988 को ब्रह्मचारी बालकदास को, 2015 में गृहस्थ सुरेश दास को और 2018 में गृहस्थ महंत कृष्णदास को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। पनकी मंदिर की परंपरा के अनुसार, यहां अब तक सिर्फ ब्रह्मचारी ही महंत बनते आए हैं।

सीएम से सुरक्षा की गुहार

उधर, महंत कृष्णदास ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत मुख्य सचिव और डीजीपी को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उत्तराधिकार को लेकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। बताया कि कुछ लोग मंदिर की संपत्ति पर कब्जे के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने शासन से सुरक्षा की गुहार की है। पत्र में महामंडलेश्वर स्वामी विनय स्वरूपानंद, स्वामी अरुण पुरी, स्वामी प्रकाशानंद, संत जनार्दन दास के भी हस्ताक्षर हैं।

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