कैदी जैविक खेती कर अपना भविष्य संवारेंगे ...
मेरठ की जिला जेल में अब कैदी जैविक खेती कर अपना भविष्य संवारेंगे।जेल में करीब 50 एकड़ खेती की जमीन है जिसपर पहले कैदी सिर्फ गेहूं की खेती करते थे। लेकिन धीरे-धीरे बदलाव हुआ और सब्जियां भी उगाने लगे। सब्जी उगाने में पूरी तरह से जैविक खाद का इस्तेमाल किया जा रहा है।देशभर में जैविक खेती को लेकर बढ़ रहे रुझान को देखते हुए अब जेल में भी जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने का निर्णय लिया गया केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण को इसका आधार बनाया गया इसके माध्यम से जेल में कंपोस्टिंग प्लांट लगाया जाएगा।
चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में प्रत्येक वर्ष करीब तीन हजार क्विंटल आलू का उत्पादन होता है। एक हजार क्विंटल आलू जेल में खप जाता है, जबकि चार क्विंटल आलू को बीज के रूप में सुरक्षित रखते हुए शेष आलू की सप्लाई सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, देवबंद की जेलों के लिए की जाती है।
कंपोस्टिंग प्लांट संभालेंगे बंदी
जेल में बंदियों की संख्या लगभग 2500 है। बंदी की रुचि को देखते हुए जेल में उसे काम सौंपा जाता है। कंपोस्टिंग प्लांट लगने के बाद इन बंदियों को खाद तैयार करने की ट्रेनिंग मिलेगी। बाद में वही जेल के कूड़े से जैविक खाद तैयार करेंगे। जेल सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन जेल से करीब 70 से 80 किलो कूड़ा निकलता है। ऐसे में जैविक खाद का यह प्रयोग सफल साबित हो सकता है।