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सरकारी स्कूलों की जो बदहाली विभाग के उच्च अधिकारी जिम्मेदर . ...

 शासन की तरफ से जारी एक पत्र से नाराज प्रदेश के खंड शिक्षा अधिकारियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खंड शिक्षा अधिकारी शुक्रवार को बेसिक शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन करने के बाद जीपीओ जाएंगे उनका कहना है कि एक तरफ तो सरकार उनको जरूरी संसाधन नहीं दे रहा, दूसरी ओर हर बात पर खंड शिक्षा अधिकारियों को दोषी ठहरा दिया जाता है।

बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव आनंद कुमार सिंह ने 12 अक्टूबर को सभी बीएसए को एक पत्र भेजा था इसमें कहा गया था कि विभिन्न जनपदों के खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ शासन को शिकायतें मिल रही हैं। इस पत्र में कई ऐसे मामले भी दिए गए थे। पत्र के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की भौतिक उपस्थिति, उनके अटेंडेंस रजिस्टर से नियमानुसार मिलाकर वेतन भुगतान की कार्रवाई नहीं करते। इस पत्र में अमान्य विद्यालयों के लिए भी खंड शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदार बताया गया। शिकायत यह भी है कि खंड शिक्षा अधिकारी शिक्षकों का अवकाश स्वीकृत किए बिना ही उनके अवकाश पर होने के बावजूद वेतन भुगतान करा देते हैं। शिक्षक के अनुपस्थित होने के दिन भी उनकी उपस्थिति पर हस्ताक्षर करते हैं। इन शिकायतों का हवाला देते हुए विशेष सचिव ने खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके शासन को अवगत कराने के निर्देश दिए थे। इसी पत्र से नाराज खंड शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई खंड शिक्षा अधिकारी दोषी है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन कुछ अधिकारियों की वजह से सभी के लिए पत्र जारी करना गलत है ऐसा दुर्भावना से किया गया है।

खंड शिक्षा अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनको शासन की तरफ से जरूरी सुविधाएं नहीं मिलती और उम्मीदें बहुत अधिक हैं. उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रमेंद्र कुमार शुक्ल कहते हैं कि स्वेटर वितरण से लेकर किताबों के बांटने तक में विभाग की वजह से देरी होती है. कभी समय से टेंडर नहीं होता तो कभी समय से किताबें उपलब्ध नहीं कराई जाती. इस साल भी स्वेटर के लिए 20 नवंबर तक विद्यालयों में बजट नहीं दिया गया. जब दिया गया तो 200 रुपये के स्वेटर के लिए कहीं 50 तो कहीं 92 रुपये भेजे गए।उन्होंने कहा कि     लेकिन हर बात के लिए जिम्मेदार खंड शिक्षा अधिकारी को बताया जाता है. खंड शिक्षा अधिकारियों ने खुले शब्दों में कहा कि आज सरकारी स्कूलों की जो बदहाली है, चाहे वह गिरती छात्र संख्या हो या शिक्षकों की गुणवत्ता उसके लिए विभाग के उच्च अधिकारी जिम्मेदार हैं।

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