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राज्यकर्मियों के कई और भत्तों को एक साथ खत्म करने की तैयारी ...

खत्म करने का पेश किया गया था प्रस्ताव

यूपी: प्रदेश सरकार चुनिंदा विभागों के कर्मियों को मिलने वाले कई भत्ते अलग-अलग खत्म करने की जगह सभी तरह के अप्रासांगिक भत्तों को एक साथ खत्म करने की तैयारी कर रही है। प्रदेश कैबिनेट की पिछली बैठक में सात भत्ते समाप्त करने संबंधी ऐसे ही एक प्रस्ताव को वापस कर दिया गया। अब भत्ते कटौती संबंधी प्रस्ताव एक साथ लाने की तैयारी है।

वित्त विभाग ने सरकारी खर्चों में मितव्ययिता की पहल पर बढ़ते हुए राज्य कर्मचारियों को वर्षों से मिलने वाले छह भत्तों को अप्रासांगिक करार देते हुए समाप्त करने का पहला फैसला अगस्त में किया था। इसके बाद सिंचाई व लोक निर्माण से जुड़े (तीन-तीन भत्ते) छह व भविष्य निधि लेखों का रखरखाव करने वाले कर्मियों को मिलने वाले एक भत्ते को समाप्त करने संबंधी दूसरा प्रस्ताव एक अक्तूबर की कैबिनेट बैठक में पेश किया। 

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वित्त विभाग द्वारा अप्रासांगिक करार देकर भत्तों को समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव फुटकर-फुटकर कैबिनेट के समक्ष लाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने इस तरह के सभी प्रस्ताव आवश्यक विचार-विमर्श के बाद एक साथ रखने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री का रुख देखकर वित्त विभाग ने सात भत्तों को समाप्त करने संबंधी इस प्रस्ताव को फिलहाल वापस ले लिया। वित्त विभाग ने अब मुख्यमंत्री के निर्देश के मुताबिक सभी अप्रासांगिक भत्तों को एक साथ चिह्नित करने और एक साथ खत्म करने का प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है।

इस तरह टला निर्णय

कैबिनेट की बैठक में शामिल एक मंत्री ने नाम न छापने के आग्रह के साथ बताया कि इन छह भत्तों को समाप्त करने के प्रस्ताव पर भी मुहर लग जाती। मगर, अपर मुख्य सचिव वित्त ने प्रस्ताव रखते हुए मुख्यमंत्री से कहा कि अभी ये छोटे-छोटे अप्रसांगिक भत्ते खत्म करने के प्रस्ताव हैं, जिनसे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ना है। लेकिन, कई ऐसे भत्ते हैं जो अप्रासांगिक हैं और जिनके खत्म होने से अधिक राजस्व बचत होगी। ऐसे भत्तों पर आपसे अभी चर्चा की जानी है। 

मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव की इस बात को पकड़ लिया और प्रस्ताव उचित होने पर भी बार-बार इस तरह के निर्णय से कर्मचारी विरोधी छवि पेश किए जाने के खतरे को भांप लिया। उन्होंने ऐसे प्रस्तावों पर समय लेकर चर्चा करने और अप्रासांगिक भत्तों को समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव एक साथ लाने का निर्देश दिया।

फिलहाल अभी बच गए ये सात्त भत्ते,

लोक निर्माण विभाग के भत्ते (रुपये में)

रिसर्च भत्ता                 100

अर्दली भत्ता                100

डिजाईन भत्ता             100-300

सिंचाई विभाग के भत्ते (रुपये में)

आई.एंड.पी. भत्ता         100-150

परिकल्प भत्ता              200

अर्दली भत्ता                 200

भविष्य निधि लेखों के रखरखाव का प्रोत्साहन भत्ता 

25 पैसे प्रति लेखे प्रतिमाह की दर से मिलने वाला प्रोत्साहन भत्ता

पहले इन भत्तों को समाप्त कर चुकी है सरकार

द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ता

कंप्यूटर संचालन व प्रोत्साहन भत्ता

स्नातकोत्तर भत्ता

कैश हैंडलिंग भत्ता

परियोजना भत्ता

स्वैच्छिक परिवार कल्याण भत्ता

यह थी वित्त विभाग की रणनीति

सूत्रों ने बताया कि वित्त विभाग ने तमाम भत्तों को अप्रासांगिक करार देते हुए उन्हें चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की रणनीति बनाई थी। पहले, उन भत्तों को खत्म करने की योजना थी जिससे चुनिंदा विभाग या सीमित संख्या में कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। इसके बाद ऐसे प्रस्तावों पर निर्णय कराने की योजना थी जो अधिकतम कर्मियों को प्रभाव डालते हैं। विभाग ने इसी रणनीति पर अमल करते हुए पहला प्रस्ताव 20 अगस्त की कैबिनेट बैठक में रखा और स्वैच्छिक परिवार कल्याण प्रोत्साहन सहित छह भत्ते समाप्त कराने का फैसला हो गया। विभाग को उम्मीद थी कि दूसरा प्रस्ताव पर भी वैसे ही मुहर लग जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

शासनादेश जारी होने तक निर्णय दबाने में लगा रहता है वित्त विभाग

वित्त विभाग भत्तों में कटौती पर निर्णय गुपचुप कराने का प्रयास करता रहा है। 20 अगस्त को कैबिनेट की बैठक में छह भत्ते समाप्त करने के निर्णय लिए गए लेकिन कैबिनेट ब्रीफिंग में सरकार के प्रवक्ताओं की ओर से उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। भत्ते समाप्त करने की आधिकारिक जानकारी 23 अगस्त को अपर मुख्य सचिव वित्त की ओर से शासनादेश जारी किए जाने के बाद ही हो सकी। यही तरीका 1 अक्तूबर की कैबिनेट बैठक में भी अख्तियार किया गया। प्रस्ताव कैबिनेट में…

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