राजेंद्र कुमार तिवारी ने संभाला मुख्य सचिव का प्रभार ...
पहले भी बेहतर विकल्प पर कनिष्ठ अफसरों की मुख्य सचिव पद पर तैनाती
प्रदेश के मुख्य सचिव डा. अनूप चंद्र पांडेय शनिवार को 35 वर्ष लंबी प्रशासनिक सेवा पूरी कर सेवानिवृत्त हो गए। एक वर्ष दो महीने तक वह प्रदेश के मुख्य सचिव रहे। शासन ने नियमित मुख्य सचिव की तैनाती तक 1985 बैच के आईएएस अधिकारी व कृषि उत्पादन आयुक्त राजेंद्र कुमार तिवारी को प्रदेश का मुख्य सचिव नियुक्त किया है। देर रात उन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1984 बैच के आईएएस अधिकारी अनूप को 30 जून 2018 को प्रदेश का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया था। पांडेय की फरवरी 2019 में सेवानिवृत्ति की तिथि आई तो सरकार ने केंद्र की सहमति लेकर छह महीने का सेवाविस्तार दे दिया। सेवा विस्तार की अवधि शनिवार को पूरा होने के साथ ही अनूप रिटायर हो गए। पिछले काफी दिनों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति व प्रदेश में कार्यरत छह-सात अधिकारियों के नाम नए मुख्य सचिव के पद के दावेदारों में चल रहे थे। 31 अक्तूबर को पांडेय की पहले से विदाई भी तय थी। इसके बावजूद सरकार नियमित मुख्य सचिव पर फैसला नहीं ले पाई। शनिवार देर शाम मुख्य सचिव के पद पर नियमित नियुक्ति होने तक के लिए राजेंद्र को जिम्मेदारी सौंप दी गई। तिवारी के पास एपीसी के साथ अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा की भी जिम्मेदारी है।
अब केंद्र में तैनात दुर्गाशंकर, संजय व शालिनी पर टिकी निगाहें
जानकार बताते हैं कि कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति से यह बात स्पष्ट हो गई है कि राज्य में कार्यरत जिन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को इस पद का दावेदार माना जा रहा था, फिलहाल उनमें से कोई भी मुख्यमंत्री की कसौटी पर खरा नहीं उतरा है। सरकार पहले भी बेहतर विकल्प पर कनिष्ठ अफसरों को मुख्य सचिव बनाती रही है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों में से किसी को नियमित मुख्य सचिव बनाने पर विचार कर रही है। इनमें 1984 बैच के आईएएस अधिकारी व शहरी विकास मंत्रालय में सचिव दुर्गाशंकर मिश्र तथा कृषि कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल के अलावा 1985 बैच की आईएएस व पंचायतीराज मंत्रालय में अपर सचिव शालिनी प्रसाद का नाम शामिल है।
1982 बैच व यूपी काडर के वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी अविनाश कुमार श्रीवास्तव भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। लेकिन उनका कार्यकाल केवल जनवरी 2020 तक बाकी है। बेहतर विकल्प के बावजूद केवल पांच माह का कार्यकाल बाकी होने से उन्हें इस पद की होड़ में नहीं माना जा रहा है। माना जा रहा है कि सरकार की ओर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत इन अधिकारियों में से पसंद के अधिकारी को प्रदेश की सेवा के लिए वापस करने का पत्र भेज दिया गया है।
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