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प्रस्तावित मॉडल के आधार पर ही होगा राममंदिर का निर्माण ...

रामभक्त के ह्रदय में बसा

ज्योतिष्पीठाधीश्वर व श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती बुधवार को रामनगरी अयोध्या पहुंचे। मणिरामदास की छावनी में ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास से मुलाकात कर उनके 82वें जन्मदिवस की बधाई दी। शाम को रामलला के दरबार में दर्शन-पूजन कर आरती उतारी। इस दौरान समतलीकरण कार्य का भी निरीक्षण किया।

राममंदिर मॉडल को लेकर छिड़ी बहस पर कहा कि प्रस्तावित मॉडल के आधार पर ही राममंदिर का निर्माण होगा। इस मॉडल का विरोध करने वाले संत ही मंदिर की भव्यता का पैमाना बताएं। उन्होंने कहा कि अभी समतलीकरण का कार्य हो रहा है, इसके बाद भूमिपूजन होगा, फिर राममंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।

स्वामी वासुदेवानंद ने कहा कि मंदिर का प्रस्तावित आकार-प्रकार ही ठीक है। हमारे रामलला बाल स्वरूप हैं इसलिए उनका मंदिर भी छोटा ही बनना चाहिए। कहा कि मंदिर परिसर भव्यता की नजीर होगा, मंदिर परिसर में स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना देखने को मिलेगा। मंदिर को बड़ा बनाने का आग्रह ठीक नहीं है, जो मॉडल है उसके अनुसार पत्थर भी तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि मकराना सफेद संगमरमर ज्यादा दिन तक टिकने वाला नहीं है, उदयपुर का पत्थर भी अभी कच्चा है इसलिए इन्हीं लाल पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया जाना उचित होगा। कहा कि जो प्रस्तावित मॉडल है, इसी आधार पर राममंदिर निर्माण के लिए लाखों रामभक्तों को कसम दिलाई गई थी। इसके लिए पौने तीन लाख गांवों में शिलापूजन हुआ, सवा रूपया चंदा लिया गया, यह मॉडल प्रत्येक रामभक्त के ह्रदय में बसा हुआ है। मंदिर सबसे ऊंचा होना चाहिए यह आवश्यक नहीं है बल्कि भव्यतम होना चाहिए।

ट्रस्ट पर कोई दबाव नहीं बनाना चाहिए

मॉडल का विरोध करने वालों पर कहा कि लोगों को अपनी महत्वाकांक्षा पर अंकुश रखना चाहिए और ट्रस्ट पर कोई दवाब नहीं बनाना चाहिए। कहा कि आम जनमानस ने इस नक्शे पर विश्वास किया है,  इसका विरोध करना मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा को और लंबा करने का प्रयास है।

कहा कि राममंदिर व काशी विश्वनाथ की अपनी स्वंय की महिमा है, यह किसी स्थापत्य कला का मोहताज नहीं है। मंदिर लाखों रामभक्तों की भावना के आधार पर ही बन रहा है। मंदिर खड़ा होने दीजिए, रामनगरी की धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक गरिमा शिखर पर होगी। इस दौरान महंत कमलनयन दास व अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जीतेंद्रानंद सरस्वती भी मौजूद रहे।

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