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आरोपियों का सम्मान होता रहा तो मॉब लिंचिंग कैसे रुकेगी ? ? ? ...

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे
हर बरस मेले
वतन पे मरने वालो का
यही बाकी निशा होंगा

 

उपर्युक्त कविता अपने आप में कितने मार्मिक भाव समेटे है शब्दों में उल्लेख करना संभव नही,आज़ादी एवं उससे पूर्व बलिदानों की अनगिनत गाथाएं हम सब ने पढ़ी सुनी या फिर फ़िल्मी रूपांतर में देखी अवश्य है।पीड़ा,क्रोध,प्रेम,देश भक्ति की भावना आदि भिन्न भिन्न प्रकार के विचारों से मन मस्तिष्क विभोर हो जाता है।परन्तु जो सबसे प्रमुख भावना प्रत्येक हिंदुस्तानी को गौरान्वित करती है वह है आज़ादी के मतवालों का बलिदान हर स्वरूप में तन मन धन सब कुछ मात्र भूमि पर निछावर कर जाना बिना किसी लालच भेदभाव के।परंतु क्या आज हम उन बलिदानियों की आहुतियों का श्रण पूर्ण कृतज्ञता से देश के प्रति अपनी पूर्ण निष्ठा से अदा कर रहे है बिल्कुल नही।जिस भारत की परिकल्पना कर बापू,सरदार पटेल,अमर शहीद भगत सिंह,चंद्र शेखर आज़ाद,सुभाष बाबु आदि असंख्यक भारत माता के वीर सपूतों ने आहुतियां दी थी, हम और हमारे देश की आज़ादी बाद के राज नेताओं ने बनाने की कोशिश की कहना गलत न होगा कभी नही,सिर्फ बंदर बाट धर्म जाति तेरा मेरा पर आज देश डामाडोल हो रहा है।रोज़ जनता को एक नए सरकारी राजनीतिक शगूफे का चमत्कार दिखा सर्कस होता आ रहा है जहाँ या भी नही पता कि दर्शक कौन और मदारी कौन? वर्तमान समय में सिर्फ देश हित में अच्छा कार्य वही है जो वोट बैंक पर आधारित एवं निर्धारित हो पक्ष कोई भी हो सत्ता या विपक्ष सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे,जनता मरे या जवान कितनी भी पीड़ा झेले किसान पर कुर्सी से चिपके रहे श्रीमान सिर्फ चीखते रहो मेरा भारत महान या है आज का मेरा हिंदुस्तान जहाँ देश में अमन शांति सौहार्दपूर्ण वातावरण को बरकरार रखने वाले शहीदों की हत्या के आरोपियों को समाज राजनेताओं और अंधभक्त हो चली जनता सर आंखों पर बिठाती है साथ ही सबूतों के अभाव में अंधे कानून की गिरफ्त से बाहर निकलने पर पुष्प माला पहना सम्मान कर जश्न मानती है।बेहद शर्मनाक और अफ़सोस जनक।

ताज़ा मामल....

पिछले साल दिसंबर में हुई थी हिंसा। 03 दिसंबर 2018 को स्याना के चिगरावठी में गोकशी की अफवाह के बाद हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के दौरान इंसपैक्टर सुबोध कुमार की हत्या और सुमित कुमार नाम के एक युवक की मौत हो गई थी। जेल में बंद सातों आरोपियों को हाल ही में हाइकोर्ट से जमानत मिली है। इस मामले में एसआई सुभाष चंद्र ने 27 नामजद और 50- 60 अज्ञात के खिलाफ स्याना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

यूपी के बुलंदशहर के स्याना में हुई हिंसा  के आरोपी जीतू फौज़ी समेत सात आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं। जेल से बाहर आने पर लोगों ने उनका फूल माला पहनाकर स्वागत किया। राजद्रोह, हत्या और बलवा के आरोपियों के स्वागत की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर हुई। 
3 दिसंबर 2018 को भड़की हिंसा के मामले में रविवार को सात आरोपी जेल से बाहर आ गए। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को जितेंद्र सिंह उर्फ जीतू फौजी समेत सात आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे।

देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर प्रधानमंत्री मोदी ने चिंता जताई थी। ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात भी कही थी लेकिन पीएम के संदेश को अनदेखा कर कुछ लोग ऐसी घटनाओं के आरोपियों का सम्मान कर रहे हैं, उन्हें फूल मालाएं पहना रहे हैं। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि अगर इसी तरह इन आरोपियों का सम्मान होता रहा तो मॉब लिंचिंग कैसे रुकेगी।

बुलंदशहर के स्याना में हुए हिंसा के आरोपियों का स्वागत फूल-मालाओं से करने पर जारी सियासत को लेकर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य  ने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा है कि 'राई का पहाड़' बनाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर किसी आरोपी के समर्थक जेल से उसके बाहर आने पर स्वागत करते हैं तो इससे सरकार और बीजेपी का कुछ भी लेना देना नहीं है। विपक्ष इस बात को बेवजह तूल न दे।

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