राम मंदिर निर्माण से पहले पुख्ता होगा सुरक्षा घेरा ...
सुरक्षा का नया खाका तैयार
श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने से पहले पुख्ता सुरक्षा घेरा कसने की तैयारी है। इसके लिए संपूर्ण 70 एकड़ परिसर में कम से कम 12 फुट ऊंची पक्की चहारदीवारी बनेगी, साथ ही छतों से भी अंदर के निर्माण कार्य न दिख सके, इसके लिए चहारदीवारी से 50 फुट ऊंचा कर्टेन का घेरा होगा। निर्माण सामग्री लाने से लेकर रखने तक की सुरक्षा और पवित्रता को लेकर फूलप्रूफ रणनीति बन रही है। परिसर के अंदर बगैर अधिकृत पास के न कोई व्यक्ति प्रवेश करेगा न वाहन।
राम मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले रामलला के विग्रह समेत पूरे परिसर की सुरक्षा का नया खाका तैयार करने की रणनीति बन रही है। छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अस्थायी लोहे की मोटी पाइप व जालियों से घेरकर अधिगृहीत 70 एकड़ परिसर की सुरक्षा की जा रही थी।
परिसर को इस तरह से लोहे की पाइपों से डेढ़ फुट चौड़े गलियारे बनाकर रास्ते बनाए गए, जिसमें एक व्यक्ति ही आ-जा सके। भक्तों की भीड़ बढ़ने पर यू आकार के ऐसे गलियारे काफी सघन बनाए गए हैं। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट से रामलला के पक्ष में आए फैसले के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भव्य राम मंदिर बनाने की रणनीति बना रही है।
भूमि पूजन में हो सकती है देर
सुरक्षा गलियारों व जालियों को हटाने से पहले पूरे 70 एकड़ भू-भाग की मजबूत ईंट की सीमेंटेड चहारदीवारी बनाने की रणनीति है। यह काम पहले करने की चर्चा है, ऐसे में भूमि पूजन में देर हो सकती है। सूत्र बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण के लिए अभी ट्रस्ट को एजेंसियों का चयन करना है, इसके लिए पारदर्शी ऑनलाइन निविदा प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
नए गर्भगृह में रामलला को ले जाने का समय तय नहीं : डीएम
ट्रस्ट के पदेन सदस्य जिलाधिकारी अनुज कुमार झा कहते हैं कि रामलला को नए स्थान पर ले जाने का समय अभी तय नहीं है। अभी आधारभूत संरचनाओं को मुहैया कराने की योजना बन रही है। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के आने के बाद ही परिसर की सुरक्षा से लेकर रामलला को नए गर्भगृह में ले जाने और राममंदिर निर्माण की रणनीति बन सकती है।
सुरक्षा एजेंसियां देंगी क्लीयरेंस, तब होगी रामलला की स्थापना : डॉ. मिश्र
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र बताते हैं कि रामलला की नए स्थान पर स्थापना के पहले ट्रस्ट के सामने कई सारी मुश्किलें और कठिनाइयां हैं, जिसको ट्रस्ट पहले विभिन्न एजेंसियों से चर्चा करके दूर करेगा। सुरक्षा एजेंसियों की क्लीयरेंस के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता।
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