यही है सब का साथ सब का विकास.............. ...
गरीब,बेबस,लाचार इंसान के लिए इंसाफ कितना दुर्लभ होता हैं इसका एक जीता जागता उदाहरण राजधानी के वीवीअाईपी समझे जाने वाले गोमती नगर इलाके में मौजूद हैं,इसी गोमती नगर के उजरियांव में रहने वाली कैसरजहां ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित के समक्ष इस आशय का एक प्रार्थनापत्र सौंपा कि उनकी बेटी मैहर जहां को कानपुर के रहने वाले राजेश सिंह देवल नामक व्यक्ति द्वारा अपने तीन साथियों के साथ जबरन घर से उठा ले गए जिसके संदर्भ में गोमती नगर थाने में यह प्रकरण प्र.सू.रि.-1074,धारा- 363/366/506,11-09 - 2018 के अंतर्गत दर्ज है लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.इससे पहले 13 जून को भी इस लड़की को गायब किया गया था जिसका आरोप राजेश सिंह देवल के ऊपर लगा था और 14 जून को गोमती नगर थाने में राजेश सिंह देवल के विरुद्ध प्र.सू.रि. 0651/ धारा 363 , 366 में मामला दर्ज हुआ,स्थानीय पुलिस ने देवल के इशारे पर मामलें में लीपापोती किया,देवल के ऊपर जब ज्यादा दबाव पड़ा तब उसने किसी नूरी नामक महिला एवं उसके साथ आए एक व्यक्ति के जरिए 08 जुलाई को मेहर जहां को उसके माता-पिता को सुपूर्द कर दिया,इसी बीच एक नया घटनाक्रम सामने आया और वह यह था कि न्यायालय में एक निकाहनामा प्रस्तुत किया जाता हैं जिसमें किसी मो.सलीम नामक व्यक्ति के साथ 24 मई को मेंहरजहां का निकाह दर्शाया जाता हैं,अब सवाल यह हैं कि यदि मेहर जहां कानूनी रुप में मो.सलीम की पत्नी हैं तब जुलाई माह में जिस कानपुर की नूरी नामक महिला ने मेहर जहां को उसके मां-पिता के पास लखनऊ ले अाई,उसने देवल का नाम क्यों लिया?राजेश सिंह देवल ने अपने बचाव में जो सलीम और मेहर जहां का निकाहनामा प्रस्तुत किया,वह उसके पास कहां से आया ? जाहिर हैं कि यह तथ्य राजेश सिंह देवल की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा कर देते हैं,पुलिस को कम से कम मेहर जहां की काल डीटेल निकलवाना चाहिए था जिससे यह पता चलता कि उसके और देवल के बीच संबद्ध हैं अथवा नहीं,पुलिस की यह जिम्मेदारी बनती थी कि इन तथ्यों के आधार पर राजेश सिंह देवल को कठोर पूछताक्ष की प्रक्रिया से गुजारते लेकिन एैसा हुआ नहीं ,वाणिज्य कर विभाग में कार्यरत देवल का रसूख और प्रबन्धन कौशल पुलिस की निष्पक्ष कार्रवाई के रास्ते में रोड़ा बन गया,पुलिस की पूरे मामलें में देवल के प्रति नरमी को एैसे समझा जाए कि 14 जून को उसके विरुद्ध दर्ज हुए मुकदमें में एफ.आर.लगाते हुए अाई.ओ.द्वारा यह लिखा गया हैं कि मेहर स्वेच्छा से राजेश सिंह देवल के साथ जाना स्वीकार किया हैं जबकि इसके पहले न्यायालय में देवल द्वारा जो निकाहनामा प्रस्तुत किया गया , उसमें मेहर को सलीम की औरत होना दर्शाया गया हैं,इसके बाद 08 सितम्बर को मेहर द्वारा पुलिस को भेजे गए प्रार्थनापत्र में पुन: खुद को सलीम की विवाहिता होना बताया गया हैं. पुलिस और न्यायालय को गुमराह करने वाले यह तथ्य आखिरकार गोमती नगर की पुलिस को क्यों नहीं दिखाई पड़ते ?इसके अलावा जब 10 सितम्बर को मेहर को घर से उठाया गया तब इसे जिन तीन लोगों ने अंजाम दिया उसकी अगुवाई राजेश सिंह देवल कर रहा था,इसकी लिखित शिकायत मेहर के मां - पिता ने किया तब दूसरी बार उसके खिलाफ एफअाईआर दर्ज हुआ लेकिन कार्रवाई के नाम पर पुलिस के खाते में केवल नाकामी हैं,पुलिस के इस गैर जिम्मेदाराना रवैए के चलते एक माता-पिता असहाय अवस्था में तड़फ रहे हैं जिनको यह अंदेशा हैं कि कहीं उनकी लड़की को किसी गैर कानूनी कार्यों में तो नहीं फंसा दिया गया हैं,इंसाफ के लिए भटकते-भटकते कैसरजहां - मो.अजीज ने विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित के यहां पहुँच गए ,उनकी फरियाद पर दीक्षित जी द्वारा एसएसपी को पत्र लिखा गया जिसे 11अक्टूबर को एसएसपी के कैम्प कार्यालय में प्रस्तुत करा दिया गया,देखना यह हैं क्या मेहर के गायब होने में राजेश सिंह देवल की भूमिका का पर्दाफाश हो पायेगा ?क्या पुलिस पीड़ित मां-पिता के आँखों से आँसू पोछेगी ?क्या इस मामलें में देवल के समक्ष आत्मसमर्पण करके कानून का मजाक बनाने वाली गोमती नगर थाने की पुलिस को एसएसपी द्वारा जिम्मेदारी का सबक सिखाया जायेगा ?फिलहाल सवाल बहुत हैं जिसका उत्तर भविष्य के हाथों में हैं।
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