कानपुर में बारहवें प्रयागराज में सातवें दिन जारी धरना ...
सीएए-एनआरसी स्वीकार नहीं
दिल्ली शाहीन बाग़ से शुरू हुए शांतिपूर्ण सीएए/एनआरसी विरोध प्रदर्शन की चिंगारी अब धीरे धीरे देश के अन्य प्रांतों में भी आग की तरह फैल रही है। दिल्ली के शाहीन बाग़ से पेश की गई नज़ीर के नक़्शे कदम पर कानपुर के चमनगंज का मोहम्मद अली पार्क हो बनारस, लखनऊ आदि शहरों और अब प्रयागराज खुल्दाबाद का मंसूर अली पार्क सब जगह सीएए/एनआरसी का शांतिपूर्ण प्रदर्शन बड़ी ज़ोरदार तरीक़े से किया जा रहा है। जहाँ प्रदर्शन स्थल पर मौजूद महिलाओं बच्चों नौजवानों बुजुर्गों द्वारा पोस्टर्स, गज़लों, इन्क़िलाबी नारो, राष्ट्रगान आदि का प्रयोग काले कानून के विरोध के प्रतिनात्मक नारों के साथ शांतिपूर्ण तरीक़े से किया जा रहा है।
खून से लिखा
खुल्दाबाद स्थित मंसूरअली पार्क में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध के लिए अनूठा तरीका अपनाया गया। प्रदर्शन में शामिल कुछ युवाओं ने अपने खून से पोस्टर पर ‘नो सीएए-नो एनआरसी’ लिखकर विरोध जताया। उधर, पार्क में लगातार सातवें दिन धरना प्रदर्शन जारी रहा जिसमें आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं।
खुल्दाबाद के रोशनबाग स्थित मंसूर अली पार्क में 12 जनवरी को सीएए व एनआरसी के विरोध में कुछ महिलाओं ने शांतिपूर्वक धरना शुरू किया था। जो शनिवार को लगातार सातवें दिन भी जारी रहा। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं धरनास्थल पर डटी रहीं और सीएए व एनआरसी को काला कानून बताते हुए इसके विरोध में आवाज बुलंद की। इस दौरान दिनभर जोरदार नारेबाजी भी की गई। हर बीतते पल के साथ ही यहां भीड़ बढ़ती गई और शाम होते-होते हजारों लोग यहां जमा हो गए थे। इस दौरान कई वक्ताओं ने भी प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। जिसमें कहा गया कि सीएए व एनआरसी देश के लोगों को बांटने की महज एक साजिश है। जिसके विरोध में आवाज उठाना जरूरी है।
उधर इससे पहले दोपहर में धरना प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे दर्जनों युवकों ने अपना खून निकलवाया और फिर इसी खून से पोस्टर पर ‘नो सीएए-नो एनआरसी’ लिखकर अनूठे तरीके से विरोध जताया। इस दौरान वह इंकलाब जिंदाबाद व अन्य नारे भी लगाते रहे। प्रदर्शन में कई राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठनों के साथ ही छात्र-अधिवक्ता व अन्य तबके के लोग भी शामिल रहे। इनमें वरिष्ठ कांग्रेसी इरशाद उल्ला खां, शहर अध्यक्ष नफीस अनवर के अलावा वकार रिजवी, सुहैबुल रहमान, नसीबुद्दीन, उबैद अंसारी व शुएब अंसारी समेत अन्य शामिल रहे। उधर विरोध के दौरान पार्क के बाहर पुलिस भी तैनात रही। हालांकि एक दिन पहले के ठीक उलट पुलिस शनिवार को बैकफुट पर ही रही। बता दें कि शुक्रवार को पुलिस ने दो बार प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की थी। लेकिन इस दौरान उसे तीखे विरोध का सामना करना पड़ा था।
महिलाओं ने निकाला कैंडल मार्च
उधर शाम को अटाला से महिलाओं के एक बड़े समूह ने कैंडल मार्च निकालकर सीएए व नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आवाज बुलंद की। शाम सात बजे के करीब निकाला गया जुलूस विभिन्न मोहल्लों से होते हुए मंसूर अली पार्क में पहुंचा जिसके बाद इसमें शामिल महिलाएं धरना प्रदर्शन में शामिल हो गईं। खास बात यह रही कि जुलूस मुख्य मार्गों से न होेकर गलियों से निकाला गया। जुलूस में शामिल महिलाएं हाथों में मोमबत्ती के साथ ही पोस्टर भी लिए हुईं थीं जिसमें सीएए व एनआरसी के विरोध में नारे लिखे थे।
जनता का सिर्फ़ एक ही मांग है सरकार से की वह सीएए/एनआरसी को पूर्ण रूप से वापस ले एवं भविष्य मे इस प्रकार के किसी भी संविधान विरोधी कानून को जनता पर धर्म के आधार पर मत थोपे।
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