अलग-अलग जुलूस में पहुंची महिलाएं और छात्राएं ...
सीएए का विरोध
प्रयागराज। सीएए, एनआरसी का विरोध लगातार विस्तार लेता जा रहा है। विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों और छात्र नेताओं से इतर आंदोलन को समर्थन देने के लिए सोमवार को संत भी मंसूर अली पार्क स्थित धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ आंदोलन का समर्थन किया बल्कि संकल्प की पूर्ति के लिए मंगलवार को धरना स्थल पर ही याज्ञिक अनुष्ठान करने की घोषणा की। उधर, धरना स्थल पर ही जोहर की नमाज अदा करके खुदा से आंदोलन की कामयाबी के लिए दुआएं मांगी जाएंगी।
धरने में संतोषानंद महाराज, मध्य प्रदेश के उदासीन महाराज, सुधाकर महाराज, श्याम सुंदर ब्रह्मचारी आदि संत शामिल हुए। ये लोग माघ मेले में कल्पवास के लिए आए हैं। उन्होंने आंदोलन का समर्थन किया। संतोषानंद महाराज ने कहा कि इस लड़ाई में संत समाज उनके साथ खड़ा है। उन्होंने सीएए और एनआरसी को काला कानून बताया। संतों ने पार्क में ही मंगलवार को याज्ञिक अनुष्ठान की घोषणा की। इसके अलावा वहां सिख समाज के लोगों के भी मौजूद रहने के दावे किए गए। चूंकि धरना स्थल पर ही महिलाओं की ओर से पांचों वक्त की नमाज पढ़ी जा रही है। ऐसे में मंगलवार को हवन और नमाज एक साथ होगी। इरशाद उल्ला, सै.मो.अस्करी, नेहा यादव, शैलेष, आदिल हमजा आदि ने धरना स्थल पर हवन-पूजन की घोषणा का स्वागत किया।
सीएए, एनआरसी के विरोध में धरना जारी
प्रयागराज। सीएए, एनआरसी के विरोध में मंसूर अली पार्क में महिलाओं का धरना जारी है। सैकड़ों महिलाएं और छात्राएं लगातार नौ दिनों से दिन रात पार्क में डटी हुई हैं। सोमवार को उनके समर्थन में बड़ी संख्या में लोग धरना में शामिल हुए। अलग-अलग संगठन के बैनर तले महिलाओं-छात्राओं का अलग-अलग समूह जुलूस बनाकर पार्क में पहुंचा और आंदोलन का हिस्सा बना। इस दौरान संबोधन में उन्होंने सीएए को काला कानून बताया और केंद्र सरकार से इसे वापस लिए जाने की मांग की।
सोमवार को दिन में मौसम का मिजाज अचानक बदला और गलन बढ़ गई लेकिन पार्क में बैठी महिलाओं का इरादा नहीं डिगा। वहां आने-जाने वालों के साथ देश भक्ति, जोश बढ़ाने वाले गीतों तथा संबोधनों का दौर दिन रात जारी है। सोमवार को भी वही माहौल बना रहा और देर रात तक गीत सुनाई देते रहे। दिन निकलने के साथ ही पार्क में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। रात में करीब साढ़े आठ बजे अकबरपुर रसूलपुर से महिलाओं का जुलुस धरना स्थल तक पहुंचा। वे हाथ में तिरंगा तथा मांग के समर्थन वाली तख्तियां लिए हुए थीं। मजिदिया इस्लामिया स्कूल की सैकड़ों छात्राएं धरने में शामिल हुईं। कई छात्राओं ने सीएए के विरोध की पट्टी भी सिर पर बांध रखी थी। हमीदिया गर्ल्स डिग्री कालेज से कई छात्राएं सीधे धरना स्थल पर पहुंची थीं। आसमां, नुपूर आदि का कहना था कि यह हमारा देश है। हमसे यहां की नागरिकता का सबूत मांगा जा रहा है। फातिमा का कहना था, ऐसे हजारों गरीब परिवार हैं जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। इसलिए वे सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित है। ऐसे लोग कहां से दस्तावेज लाएंगे। जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाता वे पीछे नहीं हटेंगे। दरियाबाद के सैय्यदवाड़ा, अब्बास कालोनी से भी बड़ी संख्या में महिलाएं जुलूस के रूप में धरना स्थल पर पहुंची।
आंदोलन के समर्थन में बड़ी संख्या में पुरुष भी धरना स्थल पर मौजूद रहे। हालांकि भीड़ और सुरक्षा के मद्देनजर पार्क में उनका प्रवेश प्रतिबंधित रहा। इसे सुनिश्चित करने के लिए चारों तरफ बेरिकेडिंग की गई है। प्रवेश द्वार पर ही खड़े युवा पुरुषों को बाहर रोक दे रहे थे। आंदोलन के समर्थन में वामपंथी संगठन, कांग्रेस, सपा समेत अनेक दल के नेता और कार्यकर्ता शामिल रहे। पार्षद रमीज अहसन, अब्दुल समद, फजल खान, सपा से ऋचा सिंह, नेहा यादव, सबीहा मोहानी, खुशनूमा बानो, अब्दुल्ला तेहामी अदील हमजा, कांग्रेस से इरशाद उल्ला, नफीस अनवर, अरशद अली, एमआईएम से अफसर महमूद, फजल फाखरी, आबिद आदि वहां डटे रहे तथा व्यवस्था संभाल रखी है।
कन्नन को रोके जाने का विरोध, सौंपा ज्ञापन
प्रयागराज। नागरिकता के मुद्दे पर शनिवार आयोजित गोष्ठी में शामिल होने के लिए आए पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन को एयरपोर्ट पर ही रोके जाने से आल इंडिया पीपुल्स फोरम व नागरिक समाज के सदस्यों में नाराजगी है। फोरम और समाज की ओर से सोमवार को कलक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपकर अफसरों के इस फैसले की निंदा की गई। उनका कहना था कि कन्नन को रोकने वाले अफसरों को माफी मांगनी चाहिए। सीएए, एनआरसी के विरोध में आंदोलन करने वालों पर कार्रवाई के खिलाफ वामपंथी संगठनों ने भी ज्ञापन सौंपा और मुकदमा वापस लिए जाने मांग की।
फोरम के सदस्यों का कहना था कि किसी को बोलने से रोका जाना यहां की संस्कृति के खिलाफ है। प्रयागराज में ऐसे कम ही मौके आए जब किसी को अपनी बात रखने से रोका गया। फोरम के सदस्यों ने तिरंगा यात्रा की तरह सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध में लोकतांत्रिक तरीके से जारी आंदोलनों को भी सुरक्षा प्रदान करने की मांग की। उन्होंने धारा 144 के नाम पर कार्रवाई तथा आंदोलनकारियों पर हुए मुकदमें वापस लिए जाने की मांग की। ज्ञापन सौंपने वालों में फोरम के संयोजक ओडी सिंह, पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह, पूर्व सभासद शिव सेवक सिंह, डॉ.कमल उसरी, राम सागर, ऋषेश्वर उपाध्याय, सुभाष पांडेय, विनोद तिवारी, ओमप्रकाश पाल, अनिल वर्मा, अन्नू सिंह, आनंद मालवीय, तारिक अनवर, आरिफ सिद्दकी, राजन पांडेय आदि शामिल रहे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी तथा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी के संयुक्त तत्वावधान में कलक्ट्रेट में राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। नेताओं ने सरकार पर लोकतांत्रिक से चल रहे आंदोलनों के बर्बर दमन का आरोप लगाया। वाम नेताओं का कहना था कि देश में बगेरोगारी, कृषि संकट, महंगाई, महिला पर हिंसा जैसी विकराल समस्याएं हैं। वहीं केंद्र सरकार इनके समाधान के प्रति गंभीर होने के बजाय सीएए ला रही है। उनका कहना था कि सरकार एनपीआर बनाकर एनआरसी की शुरूआत करने जा रही है। ऐसे काले कानून के खिलाफ जब जनता सड़कों पर उतर रही है तो उनके खिलाफ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने इसका तीखे स्वर में किया। नेताओं ने आंदोलन के दौरान इंटरनेट सेवा बंद करने का भी उन्होंने विरोध किया। ज्ञापन सौंपने वालों में भाकपा के नसीम अंसारी, माकपा के अखिल विकल्प, भाकपा माले के रामजी राय, गिरधर गोपाल, आनंद मालवीय, मुस्तकीम, गायत्री गांगुली, समीर गांगुली, शैलेश पासवान आदि शालि रहे।
अनुमति के बावजूद शनिवार को मऊआइमा में आयोजित सभा को रोके जाने के विरोध में भी कलक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन सौंपने वालों में शामिल अलग-अलग संगठन के प्रतिनिधियों का कहना था कि केंद्र और राज्य सरकार पुलिसिया गुंडई के दम पर अपनी जनविरोधी नीतियां लागू कर रही है। उनका कहना था कि प्रदेश भर में धारा 144 लगाना और आंदोलनों के बारे में बदला लेंगे जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना मुख्यमंत्री की बौखलाहट बता रही है। ज्ञापन सौंपने वालों में सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रवि मिश्रा, जिला संयोजक अविनाश मिश्रा, हरिश्चन्द्र द्विवेदी, किसान सभा के जिला संयोजक भूपेंद्र पांडेय, जनवादी नौजवान सभा के अखिल विकल्प, लॉयर्स यूनियन के आशुतोष तिवारी आदि शामिल रहे।
एमएलसी रामवृक्ष धरना में हुए शामिल
सपा नेता एमएलसी रामवृक्ष यादव देर रात धरना स्थल मंसूर अली पार्क पहुंचे। उन्होंने आंदोलन का समर्थन किया। उनका कहना था कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार से लोगों का भरोसा उठ चुका है। सीएए के मुद्दे पर लोगों का गुस्सा सड़कों पर दिख रहा है लेकिन सरकार इसे लागू करने पर अड़ी। उन्हाेंने इस कानून के विरोध में हर स्तर पर लड़ाई की बात कही।
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