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भीड़ ने आरोपी सुभाष को मार डाला ...

2001 में हत्या करने का आरोप

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक सिरफिरे ने 21 बच्चों को बंधक बना रखा था। लखनऊ से करीब 200 किलोमीटर दूर मोहम्मदाबाद के कथरिया गांव में हुई घटना से पूरा प्रशासन हिल गया है और बच्चों को छुड़ाने के लिए कमांडो तक को बुलाना पड़ा है। 12 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। भीड़ ने पहले आरोपी पर पथराव किया इसके बाद उसे पीट-पीटकर मार डाला।

जानकारी के मुताबिक हत्या के आरोपी सुभाष बाथम ने अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने बच्चों को अपने घर बुलाया और बाद में तहखाने में बंधक बना लिया। वह छत पर चढ़कर हवाई फायर करते हुए बार-बार स्वाट टीम के दो सिपाहियों व मुखबिरी करने वाले ग्रामीण को सामने बुलाने की मांग कर रहा था।

मगर जैसे ही कोतवाल मौके पर पहुंचे, तो उसने उन पर गोली चला दी। इसके बाद हथगोला भी फेंक दिया। इस हमले में कोतवाल व दीवान घायल हुए हैं। समझाने के लिए एसपी और स्थानीय विधायक भी पहुंचे, लेकिन वह नहीं माना और पास जाने की कोशिश करने वाले एक ग्रामीण की पैर में गोली मार दी। पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि पुलिस और जिले के आला अधिकारी घटनास्थल पर हैं। यूपी एटीएस के कमांडो को भी घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया। 

छह महीने तक की बच्ची भी बनी बंधक 

 नाम\उम्र- खुशी07,मुस्कान06,आदित्य03,जुड़वां बहनें गंगा व जमुना11,आकाश12,लक्ष्मी07,अंजली,15अरुण,14लक्ष्मी,10सोनी,15रोशनी,08आरती,05भानू,10अक्षय,10पारस,08पायल,05सोनम,06लव,05शबनम,06 माह गौरी

सुभाष पर गांव के ही एक व्यक्ति मेघनाथ की 2001 में हत्या करने का आरोप है। हालांकि वह अभी जमानत पर चल रहा है। करीब चार महीने पहले उसे चोरी करने के मामले में पकड़ा गया था। उसका दावा है कि पड़ोसी लालू तिवारी की मुखबरी की वजह से ही उसे पकड़ा गया था। इसके बाद से ही वह मोहल्ले के लोगों से बदला लेने की फिराक में था। बच्चों के परिजन परेशान, महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल। 

एसपी, एएसपी मौके पर पहुंचे 

घटना की जानकारी मिलने के थोड़ी देर बाद ही एसपी डॉक्टर अनिल मिश्रा मौके पर पहुंच गए। उनके साथ एएसपी त्रिभुवन सिंह, सीओ राजवीर सिंह, स्वाट टीम प्रभारी दिनेश गौतम और जहानगंज एसओ पूनम जादौन भी थे। 

विधायक ने भी की समझाने की कोशिश 

स्थानीय विधायक नागेंद्र सिंह राठौर भी सूचना मिलने के बाद तुरंत वहां पहुंच गए। उन्होंने उसे समझाने की भी कोशिश की। जानकारी के मुताबिक वह चिल्लाकर बोले, 'सुभाष तुम बच्चों को छोड़ दो, मैं तुम्हारे प्रकरण में बात कर समस्या का निस्तारण कराऊंगा।' मगर वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। 

अचानक चला दी गोली

थोड़ी देर बाद सुभाष ने गांव के लल्लू सिंह, बालू दुबे समेत स्वाट टीम के सिपाही सचेंद्र व अनुज तिवारी को बुलाने के बाद ही बच्चों को छोड़ने की बात कही। पुलिस ने बालू दुबे को बुलाया। बालू दुबे ने सुभाष से गेट के पास जाकर बात की और भरोसा दिया कि उसको न्याय मिलेगा। मगर तभी सुभाष ने अचानक गेट के नीचे से फायर कर दिया। पैर में गोली लगते ही लोगों ने तुरंत बालू को वहां से हटाया। 

उन्हें सीएचसी में भर्ती कराया गया। इसके बाद सुभाष अंदर से आवाज देकर विधायक व स्वाट के दोनों सिपाहियो समेत गांव के ही लालू तिवारी को बुलाने पर ही बच्चों को छोड़ने की बात कहकर पुलिस पर दबाव बनाने लगा। सुभाष ने एसपी को बताया कि लालू तिवारी की मुखबरी पर ही अकारण चार माह पहले स्वाट टीम ने उसको पकड़कर प्रताड़ित किया था।

बच्चों के परिजन परेशान, महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल

सुभाष बाथम की पुत्री गौरी के जन्मदिन के कार्यक्रम में गांव के ही अरुण दुबे का पुत्र अक्षय (12), मुनेश कुुमार का पुत्र प्रशांत, कृष्णा, पुत्री नैंसी, नीरज कुमार का पुत्र पारस व पुत्री पायल के अलावा पंक्षीलाल बाथम का पुत्र किशन, प्रशांत, पुत्री खुशी, आशाराम की पुत्री गंगा, जमुना, लालाजीत की पुत्री गौरी शामिल होने गए थे। जब बच्चों को बंधक बनाने की बात पता चली तो बच्चों के माता पिता सुभाष के घर के बाहर पहुंचे और रोने पीटने लगे। लेकिन सुभाष ने बच्चों को छोड़ने से इनकार कर दिया। बच्चों के माता पिता का रो-रोकर बेहाल हैं।

 रुबी कठेरिया से किया था प्रेम विवाह

वर्ष 2001 में गांव के मेघनाथ की हत्या के मामले में जमानत पर छूटने के बाद सुभाष बाथम ने गांव की रुबी कठेरिया से प्रेम विवाह किया था। गुरुवार को घटना के बाद उसकी पुत्री गौरी व पत्नी रुबी भी मकान के अंदर हैं। उसने एक वर्ष पहले अपनी मां को मारपीट कर भगा दिया था। तब से मां कहीं रिश्तेदारी में रहने लगी हैं।

चार बीघा जमीन बेचकर चला रहा परिवार

सुभाष बाथम ने अपनी चार बीघा जमीन बेच डाली है। वह अब धोखाधड़ी कर ही परिवार की गुजर बसर कर रहा है। गांव के लोग उसके सनकीपन के कारण उससे बोलने से भी घबराते हैं। घटना के बाद गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के लोगों के अलावा पुलिस व प्रशासन के लोग भी अंदर फंसे बच्चों के कारण सुभाष के गेट के सामने जाने की हिम्मत नहीं जुुटा पा रहे हैं।

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