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》सोती सरकार जगाते किसानो के दर्द का मरहम कौन? ...

कुशीनगर: क्या कहें कैसे कहें और कहां कहें यह हालात अगर उत्तर प्रदेश मे बनी है तो इसकी जिम्मेदार एक लचर वयवस्था ही है गरीब किसानो की दर्द भरी भावनाओ को सम्हालते एक कांग्रेस विधायक की निशब्द होते जुबान की जज्बे को कैसे सलाम करें यह आज क्षेत्र की जनता जान चुकी है सरकार चाहे जितनी भी इस विधायक की बातो को निशब्द कर ले लेकीन यह पब्लिक है सब जानती है। आज जहा योगी सरकार किसानो को लेकर अपनी वादो से दूर हटती हुई नजर आ रही है वही कुशीनगर के हजारो गन्ना किसानों की दर्द को अपना समझ कांग्रेस विधान मंडल नेता और स्थानिय विधायक ने किसान हित मे बिगुल फूंक रखी है लगभग 70 करोङ गन्ना मूल्य सेवरही दी सुगर फेक्ट्री पर किसानो की बकाया होने के बाजुद सरकार जैसे इस मुद्दे से कन्नी काट रही है उसे देख किसान आज काफी हताश और आक्रोशित है जिसे लेकर किसानो की आंदोलन जारी है स्थानिय विधायक के बार बार विधानसभा मे मुद्दा उठाने के बावजूद कोई ठोस कदम न उठाये जाने से सरकार की किसानो के प्रति मंशा ठीक नही दिखती हुई नजर आ रही है पिछले 10 दिनो से चल रहे धरने पर स्थानिय विधायक ने भरपूर समय दिया और हर समय मौके पर मौजूद रहे जिसकी बानगी रात मे लगे मच्छरदानी केम्प के रूप मे भी देखा जा सकता हैं। युपी सरकार लाख अपनी किसानो के हित मे वादे कर ले लेकीन सेवरही की यह आंदोलन उनके सभी वादो पर मूह चिढ़ाने के लिये काफी है मौजूदा सरकार के विधायक जहा ऐसे किसानो की बात करना तो दूर कभी सपने मे भी खोज खबर नही लेते हैं वही एक कांग्रेसी विधायक अगर पिछले अपनी कार्यालय से लेकर अबतक क्षेत्र के जनता के साथ हर सुख दुख मे खङा होता है तो इससे सरकार की विफलता जरूर नजर आती है क्यो की किसानो की दर्द सरकार की कानो मे तो है पर उसके जुबानो पर नही आ पा रहा है नही तो आज इस सरकार को बिजमैनो की सरकार का तमगा नही दिया गया होता।

》सोती सरकार जगाते किसानो के दर्द का मरहम कौन?

अगर यू कहें की गन्ने किसानो के प्रति अभी सरकार अपनी पुरी तरह से नींद से बाहर नही आई है तो इसमे कुछ गलत नही होगा क्यो की शायद सरकार ने कच्ची नींद मे ही यह ऐलान कर दिया था की जल्द से जल्द गन्ने किसानो की बकाया मूल्य दिलवाया जायेगा वह भी ब्याज के साथ पर क्या हुआ वह आप सभी के सामने है किसानो की अपनी खुद की मूलधन ही नही मिल सका ब्याज दर तो दूर की बात है या यू कहें की सरकार की कथनी और करनी मे काफी बङा फर्क है आप सबकी क्या बिचार अलग अलग हो सकता है पर किसानो की हर मुददों पर विफल रहने वाली सरकार की गाथा इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की वर्तमान विधायक अजय कुमार लल्लू ने किसानो की बकाया भुगतान हेतु अनेकों बार सरकार पर दबाव बनाया पर सरकार ऐसे तंत्र पर हावी ही नही हो पाई या होना ही नही चाहती है जिससे ऐसे लापरवाह गन्ना फेक्ट्रियो पर लगाम लगाया जा सके। एक अकेला क्षेत्रीय विधायक भला कर ही कया सकता है जब सरकार ही बहरी और गुंगी के साथ साथ कमजोर सिस्टम की हिस्सा हो फिर भी इस विधायक के द्वारा किसानो के जङ की मुददो को लेकर चलना और अपनी सुख सुविधाओं से दूर रहकर गरीब मजदूर किसानो के साथ आवाज बूलंद करना ही इस विधायक को औरो से अलग बनाता है पर इस मार्मिक दर्द मे किसानो की मर्महम बनेगा कौन? किसानो की गन्ने की भुगतान न होने से अनेकों उपयोगी जरूरतों से बंचित हो रहे किसानो की मूलरूप से जिम्मेदार कौन है? किसान अपने परिवार की पालन पोषण अपनी खेती से ही करता है और उसी खेती से अपने बच्चो की भविष्य सांवरता है और उसी खेती से अपने बच्चो को शिक्षा देता है संस्कार देता है जीवन देता है लेकीन रोजगार देने मे नकाम साबित हो रही सरकार ने तो किसानो की खुद की कमाई को भी सुरक्षा देने विफल साबित हूई है फिर ऐसे सरकार पर तो किसानो की गुस्सा फूटेगा ही और कहंर बनकर टूटेगा ही आखिरकार इनकी डूबते सपनो के जिम्मेदार कौन है? अपनी पूर्व चुनावी भाषण मे पडरौना चीनी मिल चलवाने वाली सरकार आखिर आज उसे निलाम क्यो कर रही है पडरौना चीनी मिल पर लगभग 93 करोङ बकाया गन्ना मूल्य का भुगतानो का जिम्मेदार कौन? क्या वहा की जनता से सरकार रूबरू नही है। सरकार अपनी विफलता की एक शिखर पर है जिसे हम आप सब देख सकते है जगह जगह हत्यायें रेप निर्दोष लोगो को सरेयाम गोली मारना आम बात सी हो गई है। कया इन सब पर योगी सरकार लगाम लगा पायेगी? सोचियेगा जरूर और यह भी सोचियेगा की कैसे कहे और कहां कहें जब सुनने के लिये किसी के पास कान ही नही हो..........जय जय हिन्द जय भारत

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