जाली नोट छापने वाले दो शातिर गिरफ्तार, उपकरण बरामद ...
ऐसे करते थे छपाई
लखनऊ के आलमबाग पुलिस ने सोमवार दोपहर जाली नोट छापने वाले शातिर सतीश कुमार पांडेय उर्फ मून पांडेय और उसके साथी राम कमल यादव को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के पास से 21750 रुपये की तैयार व 32750 रुपये की अर्द्धनिर्मित करंसी के अलावा प्रिंटर व उपकरण बरामद हुए हैं।
कार्यवाहक एसएसपी सुरेश चंद्र रावत ने बताया कि सतीश कुमार पांडेय मूलरूप से गोसाईंगंज के हसनापुर स्थित बस्तिया गांव का रहने वाला है और फिलहाल कृष्णानगर के मधुबननगर में किराए का कमरा लेकर रह रहा था। उसका साथी राम कमल यादव रायबरेली के हरचंदपुर स्थित कंडौरा गांव का है और यहां पीजीआई थानाक्षेत्र के सरपोटगंज में रह रहा था। दोनों कई महीने से जाली नोट छापने का काम कर रहे थे।
मुखबिर की सूचना पर आलमबाग कोतवाली के इंस्पेक्टर आनंद शाही ने अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक ऋषिदेव सिंह को टीम लेकर गीतापल्ली ढाल पुल पर भेजा। वहां पुल के नीचे से सतीश और राम कमल को दबोच लिया। राम कमल के पास से 100 रुपये के नोटों के रूप में 10990 रुपये और सतीश के पास से 50 रुपये के 4450 रुपये बरामद हुए हैं। पूछताछ में सतीश ने बताया कि वह घर पर ही प्रिंटर से 100 व 50 रुपये के नोट छापता है। पुलिस ने सतीश के कमरे की तलाशी ली तो वहां प्रिंटर, 100 और 50 रुपये के नोट की कागज की डाई, कागज काटने का कटर, एक छोटी कैंची, दो प्लास्टिक के स्केल और नोट छापने के कागज समेत 32750 अर्द्धनिर्मित नोट मिले हैं।
चार युवकों को 40 प्रतिशत पर देते थे जाली करेंसी
इंस्पेक्टर आनंद शाही ने बताया कि सतीश और राम कमल सिर्फ जाली नोट छापते थे। तैयार जाली करेंसी को वह चार युवकों को 40 प्रतिशत रकम पर देते थे। इंस्पेक्टर ने बताया कि दोनों ने खुद कभी जाली करेंसी नहीं चलाई। सतीश का कहना था कि छोटे नोट बाजार में जल्दी व आसानी से चल जाते हैं। इसलिए सिर्फ 100 व 50 रुपये के नोट ही छापता था।
सरगना को बीते वर्ष गिरफ्तार कर चुकी एसटीएफ
इंस्पेक्टर आनंद शाही ने बताया कि रामकमल पहले राघवेंद्र सिंह उर्फ राजू के साथ नकली नोट छापने का काम करता था। एसटीएफ ने बीते वर्ष राघवेंद्र को विभूतिखंड इलाके से गिरफ्तार करके जेल भेजा था। राघवेंद्र के जेल जाने के बाद रामकमल ने सतीश के साथ मिलकर जाली करेंसी छापने का काम शुरू कर दिया।