अरबों के एक्सप्रेस-वे निर्माण घोटाले की आशंका ...
जहां से एक्सप्रेस-वे गुजरा है
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए अधिग्रहीत की गई जमीनों के मामले में घोटाले की आशंका पर चल रही जांच ने तेजी पकड़ ली है। मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दस जिलों (लखनऊ से आगरा तक के सभी जिले, जहां से एक्सप्रेस-वे गुजरा है) के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर भूमि अधिग्रहण संबंधी सारे दस्तावेज मांगे हैं। दस्तावेजों का सत्यापन करने के साथ ही जांच टीमें मौका-मुआयना भी करेंगी। शुरुआती जांच में कुछ ऐसे तथ्य मिले हैं, जिनसे अरबों के घोटाले की आशंका व्यक्त की गई है।
सपा सरकार में लखनऊ से आगरा तक 302 किमी का लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे बना था। सरकार बदलने के बाद मामले में जांच के आदेश दिए गए। करीब चार महीने पहले शासन ने ईओडब्ल्यू कानपुर शाखा को इसकी जांच सौंपी। अब ईओडब्ल्यू ने लखनऊ, कानपुर, उन्नाव, हरदोई, इटावा, कन्नौज, औरैया, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मैनपुरी और आगरा के जिलाधिकारियों से भू-अधिग्रहण से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं।
ये दस्तावेज मांगे गए
ईओडब्ल्यू एसपी बाबूराम के मुताबिक जिलाधिकारियों से जो जानकारी मांगी गई है उसमें कुल भूमि का विवरण, बेचने व खरीदने वालों का विवरण, किसानों के नाम-पते व अन्य जानकारी, एक्सप्रेस-वे की अधिसूचना जारी होने से पहले अधिग्रहीत भूमि, एक्सप्रेस-वे की पूरा डीपीआर, कब-कब डीपीआर बदली गई आदि।
किसानों से संपर्क कर होगा सत्यापन
सूत्रों के अनुसार यह पता चला है कि एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में किसानों की जमीनों को सस्ती दरों पर लेकर अधिकारियों ने अपने-अपने करीबियों के नाम जमीन कराई। उसके बाद अधिक दरों पर मुआवजा लिया गया। सूत्रों के मुताबिक जब जांच में परतें खुलेंगी, तो बड़े नाम भी सामने आएंगे। एसपी के मुताबिक अभी जांच में समय लगेगा। जिन किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई हैं, उनसे भी संपर्क किया जाएगा। पता किया जाएगा कि उनको किन-किन दरों पर मुआवजा दिया गया।
जांच के बाद दर्ज होगी एफआईआर
ईओडब्ल्यू की जांच पूरी होने के बाद अधिकारी इसकी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। अगर जांच में घोटाले की पुष्टि होती है, तो ईओडब्ल्यू की तरफ से एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी मांगी जाएगी। शासन रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद जब मंजूरी देगा, तो एफआईआर दर्ज होगी
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