ट्रस्ट की कार्यशैली पर सवाल, संतों में नाराजगी ...
अयोध्या के साधू संतों को लगाातर अपमानित किया जा रहा है
उत्तर प्रदेश में अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल न किए जाने को लेकर अब अयोध्या के फायर ब्रांड संत नाराज़ हैं। निर्वाणी अनी अखाड़ा की तरफ से मंदिर मस्जिद केस में पक्षकार रहे महंत धर्मदास ने ट्रस्ट के क्रिया कलापों को लेकर नाराजगी दिखाई है और ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को खूब खरी खोटी सुनाई है। वहीं विश्व हिंदू परिषद से जुड़े भाजपा के पूर्व सांसद डा रामविलास दास वेदांती ने भी ट्रस्ट को लेकर नाराजगी दिखाई है।
महंत धर्मदास ने आरोप लगाया है कि हनुमानगढ़ी की कोई भागीदारी ट्रस्ट में नहीं है। राम मंदिर के नाम पर ट्रस्ट में बंदरबांट हो रही है। सारी संपत्ति व आने वाला दान सब रामलला का है क्योंकि राम लला विराजमान के पक्ष में ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सबके मालिक राम लला है।
महंत ने कहा कि सभी ट्रस्टी व शामिल संत महंत केवल सेवक ही हैं। ये कोई मालिक नहीं है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण में इसके पदाधिकारी ही रोड़ा बन गए हैं, जो अयोध्या के साधुओं को अपमानित करते रहते है।
वेदांती ने कहा- अनी अखाड़े को नहीं मिली जगह
रामविलास दास वेदांती ने कहा कि रामजन्मभूमि आंदोलन में निर्वाणी अनी अखाड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ट्रस्ट में निर्वाणी अनी अखाड़ा को जगह नहीं मिली। ऐसे में ट्रस्ट में निर्वाणी अनी अखाड़ा को भी शामिल करना चाहिए।।
उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास मे स्व अशोक सिंघलजी के कहने पर मुझे न्यास में रखा गया था। अशोक सिंघल ने ही कहा था कि निर्वाणी अनी अखाड़ा के नाम पर वेदांती का नाम शामिल किया गया था। नए बने हुए ट्रस्ट में निर्वाणी अनी अखाड़ा को शामिल नहीं किया गया। ट्रस्ट में सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राम चबूतरा पर राम लला की पूजा करने वाले बाबा अभिराम दास की गुरुवार को 39वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर दोनों संतों ने मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर नाराज़गी जताई।
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